तीन दिवसीय एचआरवीसीए प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

धर्मशाला 25 जून: आज दिनांक 25 जून 2025 को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कांगड़ा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय “हैज़र्ड, रिस्क, वल्नरेबिलिटी एवं कैपेसिटी असेसमेंट” (एचआरवीसीए) प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी, कांगड़ा, शिल्पी बैक्टा के कर कमलों द्वारा किया गया।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण की दिशा में एचआरवीसीए उपकरणों और पद्धतियों की समझ प्रदान करना है, जिससे वे अपने-अपने विभागों एवं समुदायों में बेहतर योजना और तैयारी कर सकें।

कार्यक्रम के पहले दिन में विभिन्न संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों, आपदा प्रबंधन अधिकारियों तथा अन्य प्रमुख हित धारकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी कांगड़ा ने अपने उद्घाटन भाषण में प्रशिक्षण की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि एचआरवीसीए विश्लेषण आपदा प्रबंधन की रीढ़ है, जो खतरों की पहचान, जोखिम के मूल्यांकन और क्षमता निर्माण की दिशा में एक वैज्ञानिक एवं समावेशी दृष्टिकोण प्रदान करता है।

पहले दिन के सत्रों में आपदा प्रबंधन शब्दावली, एचआरवीसीए की मूल अवधारणाएं, खतरों की पहचान एवं मानचित्रण तकनीक, तथा स्थानीय स्तर पर खतरों के आकलन जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। प्रतिभागियों ने समूह कार्यों के माध्यम से स्थानीय खतरों का मानचित्रण भी किया।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 27 जून 2025 तक जारी रहेगा, जिसमें जोखिम और संवेदनशीलता, समुदाय आधारित जोखिम मूल्यांकन, क्षमताओं की पहचान, और कार्य योजना निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है। समापन दिवस पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, कांगड़ा द्वारा आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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फीचरःकौशल विकास से स्वरोजगार की नई राहें खोल रही प्रदेश सरकार, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम बना सशक्त माध्यम

  • अनुसूचित जाति के युवाओं को उच्च शिक्षा व लघु गतिविधियों के लिए सस्ती ब्याज दरों पर ऋण सुविधा

मंडी, 25 जून, 2025-हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम वित्तीय सहायता के प्रवाह में सुधार करके पात्र अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवारों को वित्तीय और विकासात्मक सहायता प्रदान कर उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा निगम के माध्यम से सूक्ष्म ऋण योजना, मियादी ऋण व शैक्षणिक ऋण सहित विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं।

स्वरोजगार एवं लघु उद्यम के लिए सस्ती दरों पर ऋण

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के तत्वावधान में निगम द्वारा आय अर्जक लघु गतिविधियों के लिए ऋण योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। सूक्ष्म ऋण योजना में 1.40 लाख रुपए तक की परियोजना लागत पर पात्र लाभार्थी को इस लागत के 90 प्रतिशत यानि 1.25 लाख रुपए की ऋण सुविधा प्रदान की जा रही है। यह ऋण तीन वर्षों की अवधि के लिए 6.5 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध करवाया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त मियादी ऋण योजना के तहत 50 लाख रुपए परियोजना लागत पर पात्र लाभार्थियों को 45 लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है। पुनर्भुगतान की अवधि 7 वर्ष निर्धारित की गई है और 8 प्रतिशत दर पर ब्याज देय होगा।

उच्च शिक्षा के लिए 40 लाख रुपए तक ऋण सुविधा

निगम के माध्यम से अनुसूचित जाति से संबंधित युवाओं के लिए शैक्षणिक ऋण योजना के तहत 40 लाख रुपए तक अथवा पाठ्यक्रम शुल्क की 90 प्रतिशत राशि के बराबर ऋण देश या विदेश में उच्च शिक्षा के लिए प्रदान किया जा रहा है। पुनर्भुगतान की अवधि 10 वर्ष रखी गई है और इस पर 6.5 प्रतिशत ब्याज देय होगा। नियमित पूर्णकालिक व्यावसायिक या तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए इसके तहत लाभ प्रदान किया जाता है।

यह है पात्रता

इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अनुसूचित जाति से संबंधित लाभार्थी ही पात्र होंगे। इसके लिए परिवार की कुल वार्षिक आय तीन लाख रुपए या इससे कम होनी चाहिए। लाभार्थी हिमाचल प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए। साथ ही वह किसी बैंक अथवा अन्य वित्तीय संस्थान से डिफॉल्टर घोषित नहीं होना चाहिए। लाभार्थी किसी भी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से बारहवीं पास होना चाहिए।

यहां मिलेगी उपयोगी जानकारी

हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास निगम से संबंधित जानकारी एवं योजनाओं के बारे में अधिक जानने के लिए https://www.facebook.com/share/1AvesMDpqQ/ लिंक पर विज़िट कर सकते हैं। ई-मेल से mdhpscstdc@rediffmail.com अथवा निगम के सोलन स्थित कार्यालय में दूरभाष संख्या 01792-220671 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है। पात्र युवा निगम की वेबसाइट https://hpscstdc.hp.gov.in/ पर ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।

गरीबी कम करने में उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा निगम

हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निगम के प्रबंधक निदेशक अजय कुमार यादव ने बताया कि निगम कौशल विकास और अन्य अभिनव पहलों के माध्यम से वित्तीय सहायता के प्रवाह में सुधार करके अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के बीच समृद्धि को बढ़ावा देने पर कार्य कर रहा है। विभिन्न एजेंसियों और अन्य विकास भागीदारों के साथ कुशल, उत्तरदायी और सहयोगात्मक तरीके से काम करते हुए पात्र अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के माध्यम से गरीबी को व्यवस्थित रूप से कम करने में अग्रणी उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना निगम का ध्येय है।

वर्ष 1979 में हुई स्थापना

निगम की स्थापना 14 नवंबर, 1979 को "हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति विकास निगम" अधिनियम के तहत की गई थी। प्रारंभ में, इसकी स्थापना विशेष रूप से अनुसूचित जाति के परिवारों की आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने के लिए की गई थी। वर्ष 1984 में प्रदेश सरकार और भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश के अनुसूचित जनजाति परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का कार्य भी इसी निगम को सौंपने का निर्णय लिया। इसके उपरांत से इन वर्गों के उत्थान में निगम सतत प्रयत्नशील है।

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अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने 7 दिनों में मलबा हटाने के कंपनी को दिए कड़े निर्देश

पाड़छु पुल पर जारी कार्य की 24 घंटे निगरानी रखेगा स्थानीय प्रशासन- डा. मदन
मंडी, 25 जून-अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ. मदन कुमार ने आज धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के पाड़छु पुल के समीप जलभराव के कारण उत्पन्न हुई स्थिति से निपटने के लिए जारी राहत कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने मौके पर पहुंचकर वहां जारी कार्यों का निरीक्षण किया और निर्माण कंपनी सहित सभी संबंधित एजेंसियों को इसमें और तेजी लाने के निर्देश दिए।
इसके उपरांत उन्होंने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक बैठक कर मौजूदा स्थिति की समीक्षा भी की। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने कहा कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का निर्माण कार्य कर रही संबंधित कंपनी को 7 दिनों में स्थल से अतिरिक्त मलबा हटाने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति पर नजर रखने के लिए प्रशासनिक व अन्य संबंधित अधिकारी चौबीसों घंटे निरंतर निगरानी बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि कंपनी को अगले 24 घंटे में पानी की समुचित निकासी सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्देशों पर उपायुक्त सहित जिला प्रशासन पूरी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है, ताकि स्थानीय लोगों को किसी भी तरह की सुविधा का सामना न करना पड़े। साथ ही किसी भी तरह के जान माल के नुकसान की संभावना को न्यून किया जा सके। उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा जिला प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें किसी भी तरह की कोताही किसी भी स्तर पर सहन नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि कंपनी को मशीनरी सहित अन्य उपकरणों की संख्या बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि यहां से जल निकासी के कार्य को तय समय अवधि में और शीघ्रता से पूरा किया जा सके। इसके अतिरिक्त संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा दीवार इत्यादि लगाने से भी निर्देश दिए, ताकि लोगों के घरों एवं संपत्ति को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
बैठक में एसडीएम धर्मपुर जोगिंदर पटियाल, एसडीएम सरकाघाट स्वाति डोगरा, डीएसपी धर्मपुर संजीव सूद, मॉर्थ के अभियंता तन्मय व गॉवर कम्पनी के अधिकारी शामिल रहे।