Hisar,27.05.23-महर्षि दयानंद विश्विद्यालय, रोहतक में था तो कुलपति प्रो राजबीर सिंह से इस मुलाकात जरूरी थी और वे भी सहर्ष मिलने फेकल्टी हाउस चले आये । खुशी की बात यह कि उनकी धर्मपत्नी शरणजीत कौर भी आईं , जो हरियाणा वेल्फेयर सोसायटी फार स्पीच एंड हियरिंग इथपेयरमेंट की उपाध्यक्ष हैं । प्रो राजबीर सन् 2019 से कुलपति हैं और अभी इसी वर्ष कार्यकाल में विस्तार हुआ है । पहले सुपवा का कार्यभार भी कुछ समय संभाला । नये प्रोजेक्ट के रूप मे प्रो राजबीर ने बड़े गौरव से बताया कि विवेकानंद पुस्तकालय का विस्तार किया है जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पंद्रह फरवरी को किया । सबसे बड़ी बात यह कि इससे छात्रों के बैठने की क्षमता एक हजार से बढ़कर पच्चीस सौ हो गयी है । प्रतिदिन एक हजार से लेकर पंद्रह सौ किताबें इश्यू होती हैं । हर वर्ष पुस्तक मेला भी आयोजित करते हैं और इस वर्ष पुस्तक मेले में पचास प्रकाशकों ने भाग लिया । हर माह रोहतक व विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के प्राध्यापकों व युवा रचनाकारों की पुस्तकों का विमोचन किया जाता है जिससे कि पुस्तक संस्कृति को फैलाया जा सके । प्रो राजबीर ने कहा कि असल में रिसर्च की गुणवत्ता के लिये समृद्ध पुस्तकालय और बैठकर पढ़ने की सुविधा होना बहुत जरूरी है । यहां ई जर्नल्ज भी हैं और इस पुस्तकालय के लिये ई रिसोर्सिग से प्रतिवर्ष चार करोड रुपये खर्च कर रहे हैं ।
मजेदार बात बताई मैने प्रो राजबीर को कि जब मैं अपने छोटे से शहर नवांशहर में ग्रेजुएशन कर रहा था तो तीनों वर्ष ज्यादा से ज्यादा समय पुस्तकालय में बिताता था और सोचा करता था कि क्यों न मैं लाइब्रेरियन ही बनूं, जब मन किया किताब निकाली और पढ़ने बैठ गया ! पर ऐसा नहीं हुआ और प्रिसिप से पत्रकार बन गया ! प्रो राजबीर ने प्रेमपूर्वक आग्रह किया कि एक बार मै विवेकानंद पुस्तकालय जरूर देखूं तो जब देखा सोचा कि काश! ऐसा खूबसूरत पुस्तकालय मुझे भी मिला होता ! अब महर्षि दयानंद विश्विद्यालय के छात्र तो खुशकिस्मत हैं कि उन्हें नवीनतम सुविधाओं वाला पुस्तकालय मिला जो चौबीस घंटे खुला रहता है ।
पुस्तकालयाध्यक्ष प्रो सतीश मलिक ने पुस्तकालय की विजिट के समय बताया कि ग्यारह हजार ई जर्नल हैं , सोलह डाटा बेस उपलब्ध हैं , 80000 ई बुक्स हैं , पचास हजार डिजीटल थीसिस हैं ! प्रकाशित पुस्तकें लगभग चार लाख हैं । जर्नल हैं 5052 हैं । कुल प्रिंट जर्नल हैं 350 और कुल सजिल्द जर्नल पचास हजार हैं । पुराना भवन प्रातः आफ बजे से रात्रि आठ बजे तक खुला रहता है । प्रो सतीश मलिक ने बताया कि पुस्तकालय की देखरेख के लिये पैंतालीस कर्मचारी हैं