करनाल, 16.10,22- फसलों के अवशेष के निपटारे के लिए उसको जलाना अनुचित और हानिप्रद है । किसान जब पराली जलाता है तो वह केवल हवा को ही प्रदूषित नहीं करता अपितु मिट्टी के उपजाऊपन को भी नुकसान पहुंचाता है । उपरोक्त उद्गार हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने जलमाना में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा द्वारा चलाए जा रहे फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को संबोधित करते हुए रखे। स्थानीय राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा खंड कृषि अधिकारी डॉ.राधेश्याम के नेतृत्व में किसानों को फसल अवशेष के निपटारे हेतु जागरूक किया गया।


डॉ.चौहान ने कहा कि पराली जलाने से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड व अन्य जहरीली गैसें दिल्ली तो बाद में पहुचेंगी, पहले तो गाँव के किसान, दुकानदार, बच्चे, बुजुर्ग आदि को नुकसान पहुचाएंगी । विशेषज्ञों के अनुसार पराली जलाने से वायु प्रदूषण तो बढता ही है इसके साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए आवश्यक विभिन्न तत्व भी जल जाते हैं । इसप्रकार फसल अवशेष को जलाना सीधे- सीधे हवा और मिट्टी दोनों के लिए हानिप्रद है ।

डॉ राधेश्याम ने किसानों को बताया कि जमीन हमें फसल, धन, समृद्धि सब कुछ देती है और अपने लिए हमसे केवल फसल के अवशेष मांगती है। आप पराली जलाएं नहीं बल्कि उसे जमीन में दबा दें इससे जमीन की गुणवत्ता बढ़ेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल जी के नेतृत्व में हरियाणा सरकार फसल को जमीन में दबाकर या जमीन के बाहर बिना जलाए खपाने वाले कृषि यंत्रों के लिए भी 50% से 80% तक की छूट प्रदान कर रही है। किसान को अपने खेत की पराल को अपने खेत में ही खपाने पर 1000 रूपए प्रति एकड़ और पराल के गठ्ठर बनाने वाले किसान को भी 1000 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी दिया जा रहा है।