प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं की जिला बिलासपुर में शुरू हुई खरीद घुमारवीं और बिलासपुर केंद्रों में पहले दिन हुई खरीद; डीसी राहुल कुमार ने लिया व्यवस्थाओं का जायजा, किसानों से किया संवाद
बिलासपुर, 16 मई। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाने के बाद जिला बिलासपुर में प्राकृतिक गेहूं की खरीद प्रक्रिया का शुभारंभ हो गया है। यह पहल कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के तहत हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के सहयोग से शुरू की गई है। पहले दिन यह खरीद घुमारवीं और बिलासपुर केंद्रों में आरंभ हुई।
उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार ने बिलासपुर स्थित खरीद केंद्र का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और मौके पर किसानों से संवाद भी किया। उन्होंने किसानों के अनुभव जाने और जिला में अन्य किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करने को कहा। उन्होंने विभाग को निर्देश दिए कि ऐसे किसानों को, जिन्होंने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है, उन्हें प्रशिक्षण व जागरूकता अभियानों से जोड़ा जाए।
डीसी ने बताया कि हिमाचल सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। अब तक 8,000 से अधिक किसान जिले में प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं, जिनमें से 4,800 किसान केंद्र सरकार के सितारा पोर्टल पर पंजीकृत हैं और पूरी तरह प्राकृतिक खेती के मानकों को पूरा करते हैं।
उन्होंने बताया कि इस बार 100 से अधिक किसानों ने प्राकृतिक गेहूं बेचने के लिए पंजीकरण करवाया है और पहले दिन 17 किसानों से 22 क्विंटल से अधिक गेहूं की खरीद विभाग द्वारा की गई है। विभाग को अनुमान है कि इस बार लगभग 7.8 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जाएगी।
खरीद केंद्र में उपायुक्त ने गेहूं की गुणवत्ता जांचने के लिए मॉइश्चर मीटर के माध्यम से किए जा रहे परीक्षण का लाइव डेमोंस्ट्रेशन भी देखा और अधिकारियों को निर्देश दिए कि खरीद प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से हो तथा किसानों को कोई असुविधा न हो।
उपायुक्त राहुल कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री सुक्खू के दूरदर्शी प्रयासों से हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बना है, जिसने प्राकृतिक गेहूं के लिए 60 रुपए प्रति किलो की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है, जो अब तक का सर्वाधिक मूल्य है। इसके अतिरिक्त किसानों को 2 रुपए प्रति किलो भाड़ा उपादान भी प्रदान किया जा रहा है।
इस अवसर पर उन्होंने किसानों से संवाद भी किया और प्राकृतिक खेती से संबंधित उनके अनुभवों को जाना। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जिला में प्राकृतिक खेती को और अधिक बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास करें और जो किसान इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं, उन्हें अन्य किसानों को प्रशिक्षण देने और प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
डीसी ने कहा कि हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए गए हैं, जिसके अंतर्गत प्राकृतिक गेहूं का मूल्य 40 रुपए से बढ़ाकर 60 रुपए प्रति किलो, मक्की का मूल्य 30 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए प्रति किलो और कच्ची हल्दी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 90 रुपए प्रति किलो निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह कदम किसानों की आय बढ़ाने और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
उपायुक्त ने किसानों से आह्वान किया कि वे अधिक संख्या में प्राकृतिक खेती को अपनाएं, क्योंकि यह पद्धति न केवल स्वास्थ्य, पर्यावरण और मिट्टी की गुणवत्ता के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे खेती की लागत घटती है और किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है।
इस अवसर पर परियोजना निदेशक आत्मा रितेश गुप्ता सहित विभाग के अन्य अधिकारी तथा जिला के दूरस्थ क्षेत्रों से आए किसान उपस्थित रहे।
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बिलासपुर अस्पताल में मनाया गया राष्ट्रीय डेंगू दिवस,
लोगों को जागरूक रहने की दो गई सलाह,
वर्ष 2017 में फैला था बिलासपुर में डेंगू
बिलासपुर- 16.05.25-स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा राष्ट्रीय डेंगू दिवस का आयोजन ट्रामा हाल बिलासपुर में किया गया जिसकी अध्यक्षता सीएमओ डॉक्टर शशि दत्त शर्मा ने की।
कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को डेंगू के बारे में जानकारी प्रदान की गई और बताया गया कि डेंगू मच्छर साफ पानी में ही पनपता है और केवल दिन के समय ही काटता है इसलिए लोगों को बुखार आने पर अपने खून की जांच करवानी चाहिए। ताकि इसके विष को काम किया जा सके।उन्होंने बताया कि डेंगू के लक्षणों में तेज सिर दर्द, तेज बुखार, शरीर पर लाल धब्बे होना और नाक से खून बहना आदि होते हैं जिनको देखते ही तुरंत अस्पताल में अपने खून की जांच करवानी चाहिए। उन्होंने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए नारियल पानी, ओ आर एस घोल, फलों का रस और ताजे फलों का सेवन करना चाहिए। कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी का आयोजन भीं किया गया और इनाम भी वितरित किए गए। इस अवसर पर बताया गया कि बिलासपुर जिला में वर्ष 2017 में डेंगू का प्रकोप फैला था और करीब 2 हजार लोग इससे बीमार हुए थे। इसलिए इससे बचाव करना ही लाभदायक कदम है। इस अवसर पर आशा वर्करों, आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को घर घर जाकर डेंगू के बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए गए और पानी की टंकियों और कूलरों में साफ सफाई रखने के निर्देश देने के बारे में कहा गया। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रविन्द्र कुमार तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी डा अर्शिमा भी उपस्थित रही।कार्यक्रम में स्वास्थ्य पर्यवेक्षक, स्वास्थ्य कार्यकर्ता , आशा वर्कर आदि शामिल रही।