घुमारवीं (बिलासपुर), 25 दिसम्बर: नगर एवं ग्राम नियोजन, आवास, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि वर्तमान समय में जब आधुनिक जीवनशैली के कारण अनेक रोग उत्पन्न हो रहे हैं, तब आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। राजेश धर्माणी आज जिला बिलासपुर की घुमारवीं तहसील के अंतर्गत तलवाड़ा गांव स्थित व्यास विहार में आत्रेय आयुर्वेद पीठ आयुर्वेद वेलनेस पंचकर्म रिजॉर्ट के शुभारम्भ अवसर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र और प्राकृतिक शैली भी है। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधे न केवल शरीर को रोगमुक्त रखते हैं, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होते हैं।
राजेश धर्माणी ने कहा कि केरल की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी विशुद्ध आयुर्वेद आधारित आवासीय पंचकर्म केंद्रों की स्थापना स्वास्थ्य पर्यटन को नई दिशा दे सकती है। ऐसे संस्थान न केवल रोगियों को बेहतर उपचार प्रदान करेंगे, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित करेंगे।
इस अवसर पर उन्होंने “शिवालिक क्षेत्र में औषधीय पौधे” नामक पुस्तक का भी विमोचन किया। यह पुस्तक संस्थान की प्रमुख आयुर्वेद चिकित्सक वैद्य नैंसी बन्याल द्वारा लिखी गई है, जिसमें हिमाचल प्रदेश के शिवालिक क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तथा खेती के माध्यम से उगाए जा सकने वाले औषधीय पौधों का विस्तृत और वैज्ञानिक विवरण प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने इस पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह ग्रंथ शोधार्थियों, किसानों, आयुर्वेद चिकित्सकों और आम जनमानस के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
इस दौरान राजेश धर्माणी ने संस्थान परिसर में तुलसी का पौधा भी रोपित किया।
उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए महिला मण्डल तलवाड़ा को 11 हजार रुपये तथा स्कूली बच्चों को 11 सौ रुपये देने की घोषणा भी की।
इससे पूर्व मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए संस्थान के संस्थापक धनी राम वर्मा ने बताया कि आत्रेय आयुर्वेद पीठ आयुर्वेद वेलनेस पंचकर्म रिजॉर्ट की परिकल्पना विशुद्ध आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित है। यहां रोगियों को 24 घंटे चिकित्सकों की निगरानी में पारिवारिक वातावरण जैसी सुविधा प्रदान की जाएगी। संस्थान में आवासीय पंचकर्म चिकित्सा, आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा शमन चिकित्सा, योग, ध्यान, तथा अन्य नैसर्गिक एवं आध्यात्मिक उपचार पद्धतियों के माध्यम से रोगियों का उपचार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि रोगियों के आवास हेतु परिसर में ऋषि-मुनियों की कुटिया की तर्ज पर विशेष मिट्टी के कुटीर बनाए गए हैं, जहां प्रत्येक रोगी को अलग और शांत वातावरण में रहने की सुविधा रहेगी तथा यह व्यवस्था रोगी के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध होती है।
कार्यक्रम के दौरान संस्थान की प्रमुख आयुर्वेद चिकित्सक वैद्य नैंसी बन्याल ने भी आयुर्वेद चिकित्सा की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर महिला मंडल एवं बच्चों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा मंत्री की धर्मपत्नी सोनिका धर्माणी, पूर्व विधायक बंबर ठाकुर, प्रधान ग्राम पंचायत तलवाड़ा धनी राम वर्मा, विभिन्न पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाओं के सदस्य, महिला एवं युवक मंडलों के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे।