मंडी, 19 नवम्बर। जैव विविधता संरक्षण, नदीय मत्स्य उत्पादन बढ़ाने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से मंगलवार को मंडी जिला में रिवर रैंचिंग कार्यक्रम का पांचवां और अंतिम चरण आयोजित किया गया। अंतिम चरण में कंडापत्तन ब्यास नदी में 88,000 तथा राणा खड्ड में लगभग 45,000 भारतीय मेजर कार्प मछलियों के बीज (रोहू, मृगल आदि) छोड़े गए।

कंडापत्तन में स्थानीय विधायक चन्द्रशेखर मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने स्थानीय मछुआरों और मत्स्य पालकों को संबोधित करते हुए फिशरीज को-ऑपरेटिव सोसायटी बनाने और उसे मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक मत्स्य संसाधनों का संरक्षण स्थानीय समुदाय और विभाग की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने मछुआरों से असमय और अवैध मछली पकड़ने से बचने तथा संरक्षण प्रयासों में सहयोग करने का आग्रह किया।

सहायक निदेशक मत्स्य मंडी नीतू सिंह ने बताया कि वर्षभर में विभाग द्वारा चरणबद्ध तरीके से ब्यास नदी, सुकेती खड्ड, अलसेड खड्ड, ज्यूणी खड्ड और उहल नदी में कुल 5,09,000 मछली बीज छोड़े गए हैं, जिससे नदीय मत्स्य संपदा को मजबूती मिलेगी और मछुआरों और मत्स्य पालकों को दीर्घकालिक आर्थिक लाभ होगा। उन्होंने यह भी बताया कि कार्यक्रम के दौरान स्थानीय नागरिकों, मछुआरों और मत्स्य पालकों को मत्स्य संरक्षण, अवैध मछली पकड़ने के दुष्प्रभाव और विभाग की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूक किया गया।

नीतू सिंह ने कहा कि कार्यक्रम की सफलता का श्रेय निदेशक , मत्स्य पालन विभाग, हिमाचल प्रदेश, विवेक चंदेल को जाता है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया।

इस कार्यक्रम को सुचारु रूप से कार्यान्वित करवाने हेतु सहायक निदेशक मत्स्य, बिलासपुर, पंकज ठाकुर पर्यवेक्षक के रूप में तैनात थे। कार्यक्रमों में महाशीर फॉर्म मछयाल के मत्स्य उप-निरीक्षक मुकेश कुमार और विभागीय कर्मचारी उपस्थित रहे।