चंडीगढ़, 8 मार्च ,ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से ही अंतर्मन का सुकून मिलता है। यह ब्रह्मज्ञान सतगुरु की शरण में आकर मिलता है यह विचार मलोया (चंडीगढ़) के ग्राउंड में हुए विशाल निरंकारी संत समागम में संत निरंकारी मंडल के सचिव आदरणीय श्री जोगिंदर सुखीजा जी ने हजारों की संख्या में उपस्थित साथ संगत को संबोधन करते हुए कहे।

उन्होंने सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के संदेश “मनुष्य जन्म अनमोल है तथा इस मनुष्य जीवन में रहते हुए ही ब्रहम की प्राप्ति की जा सकती है” के संदर्भ में आगे कहा कि ब्रह्मज्ञान ही सदैव रहने वाला है तथा यही सत्य है। बाकी जो कुछ भी है वो स्वप्न्न है, नाशवान है केवल एक हरि ही सत्य है।

उन्होंने आगे कहा कि जो इस तन, मन व धन को निरंकार प्रभु की देन मानते है, उन्हीं का जीवन सुकून से भरा होता है। फिर प्रत्येक परिस्थिति में एक सी ही स्थिति बनी रहती है।

बाबा हरदेव सिंह जी द्वारा दी उदाहरण से समझाते हुए कहा कि एक मूर्तिकार द्वारा तीन एक जैसी मूर्तियां बनाई गई परंतु कीमत अलग अलग रखी। उनकी विभिन कीमत होने का मूर्तिकार ने कारण बताया कि पहली मूर्ति के कान में तिनका डाला तो वो दूसरे कान से निकल गया, भाव शब्द सुना परन्तु उस पर सुनकर अनसुना कर दिया।

वही दूसरी मूर्ति के कान में डाला तिनका मुंह से निकल जाता है। भाव सुना पर जुबान से दोहरा रहे हैं, उसे जीवन में अपना नही रहे। वही तीसरी मूर्ति का तिनका कान से सीधे अंदर चला गया। भाव जो गुरु की शिक्षाओं को सुनते ही नही बल्कि उन शिक्षाओं को ग्रहण कर अमल में ले आये हैं। इसीलिए उसी व्यक्ति के जीवन की कीमत अधिक है जो ब्रह्मज्ञान प्राप्ति कर सतगुरु के हर वचन को हूबहू अपनाता है।

चंडीगढ़ जोन के जोनल इंचार्ज श्री ओ.पी. निरंकारी जी और चंडीगढ़ ब्रांच के संयोजक, एरिया के मुखी व क्षेत्रीय संचालक ने श्री जोगिंदर सुखीजा जी सचिव संत निरंकारी मंडल का चंडीगढ़ पहुंचने पर अभिवादन किया। इस अवसर पर जोनल इंचार्ज ने कहा कि सुकून तभी प्राप्त होगा जब आत्मा अपने मूल परमात्मा से ब्रह्मज्ञान द्वारा इकमिक हो जाएगी।

चंडीगढ़ ब्रांच के संयोजक श्री नवनीत पाठक जी ने चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम व पार्षद तथा सभी विभागों द्वारा दिये गए सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।