ग्रामीण क्षेत्रों में भी 1000 वर्गमीटर से अधिक प्लॉट पर निर्माण के लिए टीसीपी की अनुमति अनिवार्य

हमीरपुर 28 अक्तूबर। उपायुक्त अमरजीत सिंह ने बताया कि हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम योजना अधिनियम 1977 के तहत अधिसूचित योजना क्षेत्रों और विशेष क्षेत्रों में किसी भी निर्माण कार्य के लिए नगर एवं ग्राम योजना (टीसीपी) विभाग की पूर्व अनुमति अनिवार्य होती है। अब इन क्षेत्रों से बाहर ग्रामीण क्षेत्रों में 1000 वर्गमीटर से अधिक के एरिया वाले प्लॉट पर निर्माण के लिए भी टीसीपी विभाग की पूर्व अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। टीसीपी अधिनियम 1977 में यह महत्वपूर्ण संशोधन इसी वर्ष एक अगस्त से लागू कर दिया गया है।
उपायुक्त ने बताया कि अधिसूचित क्षेत्रों से बाहर के ग्रामीण क्षेत्रों में अगर कोई व्यक्ति 1000 वर्गमीटर से अधिक के प्लॉट पर निर्माण करना चाहता है तो उसे भी नगर एवं ग्राम योजना अधिनियम 1977 के तहत विभाग की अनुमति लेनी होगी। ऐसे बड़े निर्माण कार्यों पर टीसीपी एक्ट के विभिन्न प्रावधान लागू होंगे।
उपायुक्त ने जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के बड़े निर्माण करवाने वाले लोगों से अपील की है कि वे विभाग की अनुमति अवश्य लें, ताकि उन्हें बाद में कोई दिक्कत न हो। उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों को भी अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित निर्माण कार्यों में इसकी अनुपालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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एक साथ कई फसलें उगाकर तीर्थू देवी ने पेश की मिसाल
गांव हरनेड़ की वृद्ध महिला किसान ने प्राकृतिक खेती से किया कमाल

हमीरपुर 28 अक्तूबर। रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग के बगैर भी खेतों से अच्छी पैदावार ली जा सकती है तथा एक ही खेत में, एक ही सीजन में, एक साथ कई फसलें भी उगाई जा सकती हैं। हमीरपुर की निकटवर्ती ग्राम पंचायत बफड़ीं के गांव हरनेड़ की 68 वर्षीय महिला किसान तीर्थू देवी ने यह कर दिखाया है।
कृषि विभाग की आतमा परियोजना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित की जा रही प्राकृतिक खेती की विधि को अपनाकर तीर्थू देवी अपने खेतों में एक साथ कई फसलंे उगा रही हैं और इन फसलों के अच्छे दाम भी प्राप्त कर रही हैं।
पिछले माह समाप्त हुए खरीफ सीजन के दौरान तीर्थू देवी ने अपने खेतों में देसी मक्की के साथ ही तिल, सोयाबीन और भिंडी भी लगाई थी। उन्होंने इन फसलों में रासायनिक खाद या कीटनाशकों का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं किया। अत्यधिक बरसात के कारण तिल की फसल तो खराब हो गई, लेकिन मक्की, सोयाबीन और भिंडी की अच्छी पैदावार हुई।
तीर्थू देवी ने बताया कि उन्होंने मक्की की फसल तो सितंबर के पहले हफ्ते में ही निकाल ली थी और पिछले हफ्ते सोयाबीन भी तैयार हो गई। लेकिन, देसी भिंडी के पौधों में अभी भी रोजाना काफी भिंडी निकल रही है और बाजार में इसके काफी अच्छे दाम मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक साथ तीन-तीन फसलों से उन्हें काफी फायदा हुआ है। भारी बरसात के कारण तिल की फसल नहीं हो पाई।
तीर्थू देवी ने बताया कि आतमा परियोजना के अधिकारियों ने उनके गांव के किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जागरुक किया था और किसानों को फसल विविधीकरण को अपनाने की सलाह दी थी। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने भी प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण को अपनाया। गांव के प्रगतिशील किसान ललित कालिया ने भी उनकी मदद की। तीर्थू देवी ने किसानों-बागवानों से प्राकृतिक खेती और फसल विविधीकरण को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि इससे उनकी आय में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हो सकती है।

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लोक प्रशासन में उत्कृष्टता पुरस्कारों के लिए 15 नवंबर से पहले भेजें नामांकन
एडीसी अभिषेक गर्ग ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिए निर्देश

हमीरपुर 28 अक्तूबर। एडीसी अभिषेक गर्ग ने बताया कि केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग ने वर्ष 2025 के लिए लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कारों हेतु सभी आवश्यक औपचारिकताओं के साथ 15 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं।
एडीसी ने बताया कि लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों के जिलों और संगठनों द्वारा किए गए असाधारण और अभिनव कार्यों को मान्यता देना और पुरस्कृत करना है। ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि पुरस्कारों की पहली श्रेणी में 11 प्राथमिकता क्षेत्र कार्यक्रमों के अंतर्गत जिलों के समग्र विकास का आकलन किया जाएगा और इसके अंतर्गत 5 पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इसके आकलन की अवधि 1 अप्रैल 2022 से 30 सितंबर 2025 तक होगी।
दूसरी श्रेणी में आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के अंतर्गत 5 पुरस्कार दिए जाएंगे। इसमें 01 अप्रैल 2023 से 30 सितंबर 2025 तक की उपलब्धियों का आकलन किया जाएगा। तीसरी श्रेणी में केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों, राज्यों और जिलों को नवाचार के लिए 6 पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इसके आकलन की अवधि भी 01 अप्रैल 2023 से 30 सितंबर 2025 तक की रहेगी।
अभिषेक गर्ग ने बताया कि पुरस्कारों के लिए पंजीकरण और नामांकन प्रस्तुत करने हेतु वेब पोर्टल औपचारिक रूप से 2 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। उन्होंने सभी संबंधित विभागों के जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को अलग-अलग श्रेणियों में प्रधानमंत्री पुरस्कारों के लिए आवेदन हेतु सभी औपचारिकताएं पूरी करने और फील्ड से डाटा एकत्रित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि विकास के कई मानकों में जिला हमीरपुर को देश के अग्रणी जिलों में जाना जाता है। इसलिए, विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार के लिए आवेदन हेतु सभी संबंधित अधिकारी तत्परता के साथ कार्य करें। एडीसी ने बताया कि पुरस्कार योजना से संबंधित अधिसूचना पहले ही सभी विभागों को प्रेषित कर दी गई है।