दुधारू पशु बीमा पर लाभार्थियों को मिलता है 50 प्रतिशत अनुदान: डाॅ. सीमा गुलेरिया
पशुपालन विभाग की योजनाएं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दे रहीं हैं नई दिशा


धर्मशाला, 2 सितम्बर: उप निदेशक, पशु स्वास्थ्य एवं प्रजनन, धर्मशाला डाॅ. सीमा गुलेरिया ने आज यहां जानकारी देते हुए कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले पशुपालन को मजबूत करने के लिए जिला कांगड़ा में पशुपालन विभाग लगातार सार्थक कदम उठा रहा है। विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ न केवल पशुपालकों की आय में वृद्धि कर रही हैं, बल्कि पशु स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार लाकर ग्रामीण जीवन को नई दिशा भी दे रही हैं।
उन्होंने कहा कि पशुपालकों को संगठित करने और दुग्ध उत्पादन को व्यावसायिक रूप देने के लिए विभाग ने दुग्ध उत्पादक सहकारिता समितियों का गठन किया है। कांगड़ा जिले में अब तक 50 समितियाँ गठित की जा चुकी हैं। ये समितियाँ न केवल पशुपालकों को बेहतर बाजार उपलब्ध करवा रही हैं, बल्कि उन्हें सामूहिक शक्ति के रूप में आत्मनिर्भर भी बना रही हैं। इसके अतिरिक्त पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए दुधारू पशु बीमा योजना लागू है। इसमें पात्र लाभार्थियों को 50 प्रतिशत अनुदान पर बीमा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जिला में अब तक 5048 दुधारू पशुओं का बीमा किया जा चुका है। यह कदम पशुपालकों को आत्मविश्वास देता है कि किसी अप्रत्याशित स्थिति में भी उनका आर्थिक नुकसान कम होगा।
डाॅ. सीमा गुलेरिया ने कहा कि पशुओं में रोग फैलने की समस्या अक्सर ग्रामीण परिवारों को भारी नुकसान पहुँचाती है। इस स्थिति से निपटने के लिए विभाग ने व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया है। मुंह-खुर रोग निवारक टीकाकरण के तहत इस वर्ष अब तक 2,31,340 बड़े पशुओं और 1,66,692 छोटे पशुओं को टीके लगाए गए। इसके अलावा गलघोटू रोग से बचाव के लिए 1,72,500 बकरियों का टीकाकरण किया गया है वहीं लम्पी त्वचा रोग से बचाव के लिए 35 हजार पशुओं को सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा उच्च नस्ल के पशुओं के संवर्द्धन के लिए विभाग ने 60 प्रतिशत अनुदान पर मेढ़ा वितरण योजना भी शुरू की है। इसके अंतर्गत 30 लाभार्थियों को 30 मेढ़े उपलब्ध कराए गए हैं। यह पहल ग्रामीण पशुपालन को गुणवत्ता और उत्पादकता दोनों में आगे ले जाने का प्रयास है। इसके साथ ही विभाग द्वारा हिम कुक्कुट पालन योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को 60 प्रतिशत अनुदान पर 3 हजार चूजे उपलब्ध कराए जाते हैं। वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 72 हजार चूजों का वितरण किया गया तथा 27 लाभार्थियों को इसका लाभ मिला। यह योजना ग्रामीण परिवारों के लिए रोजगार और पोषण का सशक्त माध्यम बन रही है।
उन्होंने कहा कि जिला में पशुपालन विभाग की ये योजनाएँ ग्रामीण परिवारों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। चाहे वह चूजों का वितरण हो, पशुओं का टीकाकरण हो, बीमा सुरक्षा हो या फिर दुग्ध सहकारिता समितियों का गठन हर पहल का उद्देश्य स्पष्ट है। पशुपालकों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से न केवल ग्रामीण परिवारों की आय में बढ़ोतरी हो रही है, बल्कि पशु स्वास्थ्य और उत्पादन भी मजबूत हो रहे हैं। आने वाले समय में ये प्रयास निश्चित ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में मील का पत्थर साबित होंगे।

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मंडी सदर में आंगनवाड़ी सहायिका पद हेतु आवेदन आमंत्रित

मंडी, 2 सितम्बर। बाल विकास परियोजना अधिकारी मंडी सदर जितेंद्र सैनी ने जानकारी दी है कि समेकित बाल विकास सेवा योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत स्योग के राछड़ आंगनवाड़ी केंद्र में सहायिका का रिक्त पद भरा जाना है। इसके लिए महिला उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इस पद के लिए मासिक मानदेय 5500 रुपये निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि आवेदन करने की अंतिम तिथि 23 सितम्बर रखी गई है, जबकि साक्षात्कार 26 सितम्बर को प्रातः 11 बजे बाल विकास परियोजना अधिकारी, मंडी सदर के कार्यालय में आयोजित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि केवल महिला उम्मीदवार ही इस पद के लिए पात्र होंगी। आवेदिका की आयु 18 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए तथा उसका नाम संबंधित आंगनवाड़ी केंद्र के सर्वे परिवारों की सूची में दर्ज होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त परिवार की वार्षिक आय 50 हजार रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए और उम्मीदवार का 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। हिमाचल प्रदेश का स्थायी निवासी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना भी आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि इच्छुक महिलाएं सादे कागज पर आवेदन पत्र भरकर सभी आवश्यक दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियों सहित 23 सितम्बर तक कार्यालय बाल विकास परियोजना अधिकारी मंडी-सदर में जमा करवा सकती हैं। साक्षात्कार के दिन सभी मूल दस्तावेज साथ लाना अनिवार्य रहेगा। उन्होंने बताया कि चयन प्रक्रिया शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, विशेष श्रेणियों तथा व्यक्तिगत साक्षात्कार के आधार पर होगी। अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार बाल विकास परियोजना अधिकारी, मंडी सदर के दूरभाष नंबर 01905-225840 पर संपर्क कर सकती हैं

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15 तक बिजली बिल जमा करवाएं हमीरपुर-2 के उपभोक्ता

हमीरपुर 02 सितंबर। विद्युत उपमंडल-2 हमीरपुर के अंतर्गत आने वाले उपभोक्ताओं को बिजली के बिल जमा करवाने के लिए 15 सितंबर तक का समय दिया गया है। सहायक अभियंता सौरभ राय ने कहा कि उपमंडल के जिन विद्युत उपभोक्ताओं ने अभी तक अपने बिलों का भुगतान नहीं किया है, वे इनका भुगतान 15 सितंबर तक उपमंडल कार्यालय के काउंटर पर या ऑनलाइन माध्यम से कर दें।
उन्होंने बताया कि इस तिथि तक बिल जमा न करवाने वाले उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन पूर्व सूचना के बगैर ही काट दिए जाएंगे। सहायक अभियंता ने उपमंडल के सभी उपभोक्ताओं से सहयोग की अपील की है।

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अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से हो सकता है बहरापन
सुनने में हो रही है दिक्कत तो तुरंत डॉक्टर से करें संपर्क

हमीरपुर 02 सितंबर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने बताया कि अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण और कई अन्य कारणों से बहरापन हो सकता है। बहरापन एक लक्षण है न कि कोई बीमारी। व्यक्ति कम सुनने की शिकायत कर सकता है या फिर बिल्कुल भी न सुनाई देने की। इसी के मद्देनजर प्रतिवर्ष 30 अगस्त से 4 सितंबर तक बहरापन जागरुकता एवं नियंत्रण सप्ताह मनाया जाता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरुकता शिविरों के माध्यम से लोगों को बहरेपन के कारणों और बचाव के बारे में जागरुक कर रहा है। उन्होंने कहा कि अत्याधिक शोर, तेज गति से मोटरसाइकिल चलाना, प्रैशर हार्न, लाउड स्पीकर और पटाखों का प्रयोग और ज्यादा मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल जैसी गतिविधियां हमें बहरेपन की तरफ ले जा रही हैं। इन गतिविधियों के दौरान 74 से 116 डेसीबल रेंज की ध्वनि उत्पन्न होती है, जबकि सुरक्षित ध्वनि 85 डेसीबल है। डॉ. प्रवीण चौधरी ने बताया कि अगर आप तेज ध्वनि के संपर्क में रहते हैं तो इससे श्रवण दोष का शिकार हो सकते हैं। कम सुनाई देने की शिकायत होने पर तुरंत डाक्टरी सलाह लें। उन्होंने कहा कि बहरेपन के जल्दी निदान व इलाज और जागरुकता बढ़ाकर इसमें काफी हद तक कमी लाई जा सकती है।

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जिला परिषद के वार्डों के परिसीमन पर एक सप्ताह में दर्ज करवा सकते हैं आपत्तियां

हमीरपुर 02 सितंबर। जिला परिषद हमीरपुर के कुल 18 वार्डों के परिसीमन का प्रारूप प्रकाशित कर दिया गया है और इस प्रारूप के संबंध में एक सप्ताह के भीतर आपत्तियां या सुझाव दर्ज करवाए जा सकते हैं।
परिसीमन के प्रारूप की अधिसूचना जारी करते हुए उपायुक्त अमरजीत सिंह ने बताया कि जिला हमीरपुर के विभिन्न विकास खंडों का पुनर्गठन किया गया है, जिसमें कई ग्राम पंचायतें दूसरे विकास खंड में हस्तांतरित हुई हैं। इस कारण जिला परिषद के वार्डों में भी कुछ परिवर्तन हुआ है। इस पुनर्गठन की प्रक्रिया के बाद जिला परिषद के 18 वार्डों के परिसीमन का प्रारूप मंगलवार 2 सितंबर को प्रकाशित कर दिया गया है। उपायुक्त ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इस प्रारूप के संबंध में अपनी आपत्ति या सुझाव दर्ज करवाना चाहता है तो इन्हें एक सप्ताह के भीतर खंड विकास अधिकारी कार्यालय के माध्यम से उपायुक्त कार्यालय को प्रेषित कर सकता है।

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भोरंज में कई मकान क्षतिग्रस्त, एसडीएम ने प्रभावितों को दी फौरी राहत राशि

भोरंज 02 सितंबर। लगातार बारिश के कारण भोरंज उपमंडल में भी सार्वजनिक और निजी संपत्ति का भारी नुक्सान हुआ है तथा कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं।
एसडीएम शशिपाल शर्मा ने मंगलवार को स्वयं मौके पर जाकर आपदा प्रभावितों को फौरी राहत राशि प्रदान की। उन्हांेने गांव पपलाह की केसरी देवी को पांच हजार रुपये की राशि प्रदान की। केसरी देवी के दो मंजिला कच्चे मकान की दीवार गिर गई है तथा यह मकान रहने योग्य नहीं रह गया है। एसडीएम ने बताया कि केसरी देवी को फौरी राहत राशि के साथ-साथ कंबल, दो तिरपाल, एक हाइजनिक किट दी गई। इस परिवार के लिए राजकीय प्राथमिक पाठशाला कोट रसवेडा में अस्थायी राहत शिविर स्थापित किया गया है।
एसडीएम ने बताया कि गांव कोट लांगसा में जगदीश चंद एवं गीता देवी के मकान की दीवार गिर गई है और इस परिवार को भी प्रशासन की ओर से पांच हजार रुपये की राशि उपलब्ध करवाई गई।
इसी प्रकार ग्राम पंचायत कड़ोहता के गांव कथयावी की सनेहरू देवी के मकान की दीवार भी गिर गई है और उसे भी फौरी राहत के रूप में पांच हजार रुपये दिए गए हैं। एसडीएम ने कहा कि सभी आपदा प्रभावित परिवारों को प्रशासन की ओर से हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी।
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