चण्डीगढ़ , 07.04.24-: संस्कार भारती, चण्डीगढ़ एवं बृहस्पति कला केंद्र के साँझा तत्वावधान में मासिक काव्य गोष्ठी "साहित्य सरिता" का रमणीय आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवियत्री एवं शिक्षाविद् दर्शना सुभाष पाहवा ने की। सुरजीत सिंह धीर ने मां सरस्वती की वंदना से शुभारंभ किया।

विधा प्रमुख एवं कार्यक्रम के संचालक डॉ. अनीश गर्ग ने अपनी रचना से किया,"कलम ख़ामोश ना होगी किसी दौर में...ईमान ज़िंदा है शब्दों के शोर में", अंतरराष्ट्रीय शायरा ईशा नाज़ ने बुलंद आवाज़ में उपस्थिति दर्ज की,*अश्क जो आंखों से टपके तो यह मालूम हुआ, लौट कर वापस आते नहीं जाने वाले"

डा. सुनीता नैन,"दुश्मनों से प्यार से क्या मिले, दोस्तों ने किनारा कर लिया,और ये ही दगा देंगे मुझे, हौले से इशारा भी कर दिया, श्याम चंद्र मिश्रा ने कहा,"
सामर्थ्य है फिर क्यों कहें

विधि का लिखा टलता नहीं, नीरज रायजादा ने पढ़ा,"मसले खत्म जिंदगी के न कभी होगें, रहेंगे हम न मगर सिलसिले यही होंगे", डेज़ी बेदी ने कहा,"खुशनुमा सी गली नहीं मिलती हर किसी को खुशी नहीं मिलती"
पंजाबी की वरिष्ठ कवियत्री निम्मी वशिष्ठ ने पढ़ा," साहां दे विच रहे सोहणया, अपने दिल दी सरदल मली"
कार्यक्रम के अध्यक्ष दर्शन सुभाष पाहवा ने अध्यक्ष संबोधन के साथ आए हुए सभी कवियों की रचनाओं की समीक्षा की और अपनी पंक्तियां कुछ यूं रखीं,"

यह पता था कि आगे डूब जाने का है ख़तरा, तो इतनी गहराई में जाने की जरूरत क्या थी"
इस कार्यक्रम में दर्शना सुभाष पाहवा,डा. अनीश गर्ग, ईशा नाज़, डा.सुनीता नैन, निम्मी वशिष्ट, डेज़ी बेदी, नीरज रायजादा, एच सी गेरा, श्याम चंद्र मिश्रा, किरन आहूजा, किशोर विद्रोही ने विशेष तौर पर भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत में संस्कार भारती के मार्गदर्शक प्रोफेसर सौभाग्य वर्धन ने सभी का धन्यवाद किया।