CHANDIGARH,23.09.22-प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित किए जा रहे विशेष कार्यक्रम में आज केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में सायं 630 बजे से एक यादगारी खनकती शाम का आयोजन किया गया । जिसमें चेन्नई से आई विदुषी कलाईमानी जयलक्षमी शेखर ने अपनी वीणा के मधुर तरंगों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया ।जयलक्षमी एक बहुमुखी कलाकार हैं जिन्हें वीणा,वायलिन,बांसुरी वादक होने के साथ-साथ मंझी हुई गायिका भी है । आज के कार्यक्रम में श्री एस.पी.राजासेखरन,जरनल सचिव,चंडीगढ़ तमिल संगम ने बतौर विशेष अतिथि शिरकत की ।

चेन्नई के श्री पुड्डकोट्टई जयरामा अययर के शिष्यत्व में इन्होंने दस वर्ष तक वीणा की विधिवत शिक्षा ली । जयलक्ष्मी जी को पद्मभूषण महान संगीत कलानिधि डॉ.श्रीपदा पिनाकपानी के शिष्यत्व में भी सीखने को सौभाग्य प्राप्त है । बहुत से पुरस्कारों से पुरस्कृत जयलक्षमी ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन किया है

आज के कार्यक्रम में जयलक्षमी ने राग हंसध्वनि में निबद्ध और ताल खंडा चापु से सजी रचना से कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके उपरांत मयमलवा गौला जोकि राग रूपक में निबद्ध था, पेश किया।इसके पश्चात इन्होने राग कल्याणी में निबद्ध दक्षिण भारतीय रचना पेश की।

संगीत की पारम्परिक बंदिशों की तालों से सजी इस शाम में जयलक्षमी ने दक्षिण भारतीय संगीत की झलक को बखूबी दर्शाया । वीणा के मधुर झंकारों से सजी इस शाम का दर्शकों ने खूब आनंद लिया । इस कार्यक्रम में जयलक्षमी ने कार्यक्रम का समापन इन्होंने एक पारम्परिक तिल्लाना जोकि राग बृन्दाबनि में निबद्ध था से किया । आज के कार्यक्रम में इनके से मृदंगम पर कुम्बाकोनम एवं पदमानाभन एवं घट्टम पर डॉ. त्रिची मुरली ने बखूबी संगत की । कार्यक्रम के अंत में चंडीगढ़ तमिल संगम के जनरल सचिव श्री राजशेखरन ने कलाकारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर और केंद्र के रजिस्ट्रार डॉ शोभा कौसर भी उपस्थित थे