एससी-एसटी, अल्पसंख्यकों, दिव्यांगों और सफाई कर्मियों को करें लाभान्वित
6 अलग-अलग समितियों की बैठकों में डीसी अमरजीत सिंह ने दिए निर्देश
एससी-एसटी अत्याचार के मामलों की जांच और अभियोजन में न हो विलंब
कार्यालयों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर दिव्यांगों को मिलें सभी सुविधाएं

हमीरपुर 29 दिसंबर। उपायुक्त अमरजीत सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे एससी, एसटी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों, दिव्यांगों और सफाई कर्मियों को विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करें तथा इनके अधिकारों की रक्षा से संबंधित अधिनियमों के प्रावधानों की अनुपालना सुनिश्चित करें। सोमवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की विभिन्न योजनाओं, अभियानों तथा अधिनियमों से संबंधित 6 अलग-अलग जिला स्तरीय समितियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त ने ये निर्देश दिए।
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के अंतर्गत गठित स्थानीय समिति की बैठक में उपायुक्त ने बताया कि मानसिक विकलांगता, ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी और बहु-विकलांगता से ग्रस्त बच्चों के माता-पिता स्वभाविक रूप से इन बच्चों के संरक्षक होते हैं। लेकिन, 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद ऐसे लोगों के लिए कानूनी संरक्षकों की नियुक्ति आवश्यक होती है। जिला में अभी तक 206 ऐसे दिव्यांगजनों के अभिभावकों को कानूनी अभिभावक प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। समिति ने 5 नए आवेदनों को भी मंजूरी दे दी।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने बताया कि इस समय जिला में अधिनियम के तहत दर्ज 26 मामले विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। 34 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट्स भी अभी विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। 14 मामलों में पुलिस जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की जांच और अभियोजन में विलंब नहीं होना चाहिए।
नशा मुक्त भारत अभियान 2.0 की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जिला में इस अभियान के तहत आयोजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की रिपोर्टिंग के लिए एक समग्र फॉरमेट तैयार किया गया है। सभी संबंधित विभाग इस फॉरमेट पर नियमित रूप से रिपोर्ट प्रेषित करें तथा आवश्यक सुझाव भी दें। उपायुक्त ने कहा कि नशीले पदार्थों की तस्करी एवं सेवन की शिकायत के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस ने टॉल फ्री नंबर 112 और ड्रग फ्री हिमाचल ऐप शुरू किया गया है। इन पर शिकायत करने वाले व्यक्ति का नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाता है। इस 112 नंबर और ड्रग फ्री हिमाचल ऐप का व्यापक प्रचार-प्रसार होना चाहिए। इसके अलावा जिला के सभी स्वास्थ्य खंडों में नशे के उपचार के लिए नई दिशा केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। टॉल फ्री नंबर 14416 पर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परामर्श की सुविधा प्रदान की जा रही है। इनकी जानकारी भी आम लोगों तक पहुंचनी चाहिए।
जिला दिव्यांगता समिति की बैठक में उपायुक्त ने बताया कि इस वित्त वर्ष के दौरान जिला के 5011 दिव्यांगजनों की पेंशन पर 4.44 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 73 दिव्यांग विद्यार्थियों को 6.39 लाख रुपये की छात्रवृत्ति दी गई। 7 दिव्यांगों की शादी पर 2 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। उन्हांेने कहा कि सभी भवनों, सार्वजनिक स्थलों, परिवहन सेवाओं, अस्पतालों, कार्यालयों और शौचालयों इत्यादि में दिव्यांगों के लिए निर्धारित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान उपायुक्त ने कहा कि सभी संबंधित विभाग अल्पसंख्यक वर्गों के पात्र लोगों को चिह्नित करें और उन्हें विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करें।
हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों के नियोजन प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम-2013 के अंतर्गत गठित जिला सतर्कता समिति की बैठक में उपायुक्त ने कहा कि सेप्टिक टैंकों, शौचालयों और नालियों की सफाई करने वाले कर्मचारियों के पास सभी आवश्यक उपकरण एवं सुरक्षा किट होनी चाहिए तथा उनके स्वास्थ्य की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए।
उक्त सभी समितियों की बैठकों में जिला कल्याण अधिकारी चमन लाल शर्मा ने विभिन्न योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। बैठक में एसपी बलवीर सिंह, जिला परिषद अध्यक्ष बबली देवी, जिला न्यायवादी संदीप अग्निहोत्री, संबंधित विभागों के अधिकारी तथा उक्त समितियों के गैर सरकारी सदस्य भी उपस्थित थे।

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आंगनवाड़ी वर्करों को दिया जा रहा ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ का प्रशिक्षण


भोरंज 29 दिसंबर। शिशुओं की पढ़ाई के साथ-साथ उनका सही पोषण सुनिश्चित करने तथा इसके बारे में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को जागरुक एवं प्रशिक्षित करने के लिए भोरंज में महिला एवं बाल विकास विभाग की तीन दिवसीय कार्यशाला सोमवार को आरंभ हुई। बाल विकास परियोजना अधिकारी सुनील कुमार की अध्यक्षता में आरंभ हुई इस कार्यशाला का पहला दिन ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ विषय पर केंद्रित रहा।
इस अवसर पर बाल विकास परियोजना अधिकारी और अन्य अधिकारियों ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं। कार्यशाला में खंड समन्वयक अक्षय महाजन, वृत्त पर्यवेक्षक रवि कुमार, सुनील नड्डा, आशा रानी, सरोज देवी, कुंता राणा और अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे। कार्यशाला में लगभग 100 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
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5 माह की बच्ची का पीजीआई में हुआ मुफ्त ऑपरेशन
जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में है एक साल तक के बच्चों के मुफ्त इलाज का प्रावधान

हमीरपुर 29 दिसंबर। प्रसूता महिला और उसके शिशु के जीवन की रक्षा के लिए आरंभ किया गया जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम कई महिलाओं तथा उनके शिशुओं के लिए जीवनदायी साबित हो रहा है। विशेषकर, कुछ गंभीर एवं दुर्लभ समस्याओं के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं तथा उनके माता-पिता के लिए यह योजना एक वरदान साबित हो रही है। क्योंकि, इस योजना के तहत शिशु का बड़े से बड़ा इलाज या ऑपरेशन भी निशुल्क किया जाता है।
इसी वर्ष 11 जुलाई को तहसील हमीरपुर के गांव रहजोल में रजनीश कुमार के घर में जन्म लेने वाली बच्ची आराध्या राणा के लिए भी जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम जीवनदायी साबित हुआ है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण चौधरी ने बताया कि जन्म के समय ही इस बच्ची के दिल में एक समस्या थी। इसके दिल में मामूली छेद था, जोकि ऑपरेशन से पूरी तरह ठीक हो जाता है। यह ऑपरेशन काफी महंगा होता है। लेकिन, जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में एक साल तक के बच्चे का महंगे से महंगा इलाज या ऑपरेशन बिलकुल मुफ्त किया जाता है। 11 जुलाई को जन्मीं आराध्या राणा को भी इस योजना से लाभान्वित करने के लिए जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय अत्री ने सभी औपचारिकताएं पूर्ण करवाईं और इस बच्ची को डॉ. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल हमीरपुर से पीजीआई चंडीगढ़ के लिए रैफर करवाया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस बच्ची का ऑपरेशन बिलकुल निशुल्क किया गया है और वह पूरी तरह ठीक है। उन्होंने बताया कि अगर किसी बच्चे को जन्म के बाद एक साल तक की आयु के दौरान स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी तरह की समस्या आती है तो जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत उसका इलाज और बड़े से बड़ा ऑपरेशन भी निशुल्क किया जाता है।

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आरसेटी ने 33 महिलाओं को दिया प्रशिक्षण

हमीरपुर 29 दिसंबर। मट्टनसिद्ध स्थित पंजाब नेशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) हमीरपुर द्वारा महिलाओं के लिए आयोजित 12 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर सोमवार को संपन्न हो गया। इस शिविर में 33 महिलाओं को अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
शिविर के समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए आरसेटी के निदेशक अजय कुमार कतना ने कहा कि इस प्रशिक्षण के बाद महिलाएं घर में ही अपना उद्यम शुरू कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें अगर बैंक से ऋण की आवश्यकता होगी तो उसमें भी आरसेटी उनकी मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि महिलाएं घर में अपने दैनिक कार्यों के साथ-साथ छोटे-छोटे उद्यम भी चलाकर अपने परिवार की आर्थिकी सुदृढ़ कर सकती हैं। इसके लिए उन्हें आगे आना चाहिए।
इस अवसर पर शिविर के मूल्यांकनकर्ता रविंद्र शर्मा और मुकेश कुमार, आरसेटी के फैकल्टी मैंबर संजय हरनोट और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे