मंडी कलम को संरक्षण और संरक्षक की जरूरत, तभी बनेगी विश्व प्रसिद्ध: अपूर्व देवगन
मंडी कलम पर भाषा एवं संस्कृति विभाग की पांच दिवसीय कार्यशाला का उपायुक्त ने किया शुभारंभ
मंडी, 26 दिसंबर। उपायुक्त अपूर्व देवगन ने कहा कि मण्डी कलम को संरक्षक और संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि इस कला का अभ्यास करने वाले कलाकारों को प्रोत्साहन मिल सके और यह कला जीवित रहकर आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन इस दिशा में दृढ़ संकल्प के साथ कार्य करते रहेंगे, लेकिन यह प्रयास तब तक पूर्ण नहीं हो सकते, जब तक कलाकार स्वयं इच्छुक न हों। चाहे सिखाने वाले हों या सीखने वाले, कला को आगे बढ़ाने में कलाकारों की भूमिका सबसे अहम है।
उपायुक्त ने यह विचार भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश, जिला मंडी द्वारा आयोजित मण्डी कलम (पहाड़ी लघु चित्रकला शैली) की पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करने के उपरांत कार्यशाला में भाग लेने आए प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस कार्यशाला का आयोजन वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी में किया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान आगामी पांच दिनों तक महाविद्यालय के विद्यार्थी मण्डी कलम की बारीकियां सीखेंगे।
उपायुक्त ने कहा कि कांगड़ा और चंबा की मिनिएचर आर्ट देश और विदेश में पहले से ही प्रसिद्ध हैं, जिन पर 17वीं और 18वीं शताब्दी में कार्य आरंभ हुआ था, जबकि मंडी कलम में 16वीं शताब्दी से भी पहले कार्य शुरू हो चुका था। उस दौर में इस कला को शाही परिवारों का संरक्षण प्राप्त था। हालांकि आधुनिक समय में मंडी कलम पर बहुत सीमित अवधि से ही पुनः कार्य आरंभ हुआ है।
उन्होंने कहा कि मण्डी कलम को भी अन्य सिस्टर आर्ट फॉर्म की तरह वही पहचान मिलनी चाहिए, जिसकी वह हकदार है। इसी कड़ी में पिछले कुछ वर्षों से इस कला को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी कला विधा को आगे बढ़ाने में गैर सरकारी संगठनों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
उपायुक्त ने प्रतिभागियों से कहा कि किसी भी कला को सीखने के लिए अपने क्षेत्र और उसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को जानना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला पांच दिन का एक बेसिक कोर्स है, जबकि अगली कार्यशाला शिवरात्रि महोत्सव के दौरान आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि कला तकनीकी होने के साथ-साथ भाव से भी जुड़ी होती है और यदि मंडी कलम में इसके मूलभूत तत्व नहीं होंगे, तो उसे मण्डी कलम नहीं कहा जा सकेगा।
उद्घाटन सत्र पर आयोजित कार्यक्रम में जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि चित्रकार एवं शोधकर्ता राजेश कुमार ने मण्डी कलम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और इसकी विशेषताओं की जानकारी दी।
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त गुरसिमर सिंह, प्रधानाचार्य वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी डॉ संजीव कुमार, कॉलेज प्राध्यापक, जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी, चित्रकार एवं शोधकर्ता राजेश कुमार, कालीदास सम्मान प्राप्त कांगड़ा कलम के कलाकार सुशील कुमार, राजीव कुमार, संजीव कुमार तथा महाविद्यालय के कला विभाग से जुड़े विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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सराज में पोषण भी पढ़ाई भी के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का तीन दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
मंडी, 26 दिसंबर। बाल विकास परियोजना सराज द्वारा पोषण भी पढ़ाई भी कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन 24 से 26 दिसंबर तक पंचायत समिति सभागार में किया गया। प्रशिक्षण का उद्देश्य नवचेतना और आधारशिला पहलों को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करते हुए प्रारंभिक बाल्यावस्था में पोषण और शिक्षा को सुदृढ़ करना रहा। बाल विकास परियोजना अधिकारी सराज रमेश ठाकुर ने प्रशिक्षण को बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इस कार्यक्रम की रीढ़ हैं और उनके माध्यम से ही पोषण तथा गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा बच्चों तक पहुंचती है।
प्रशिक्षण के दौरान प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा की अवधारणा पर केंद्रित सत्र आयोजित किए गए, जिनमें बच्चे के जीवन के पहले छह वर्षों के महत्व, संतुलित पोषण और गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की गई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को खेल-आधारित शिक्षण, गतिविधि केंद्रित सीख, कहानी, कविता, गीत, नाटक और स्थानीय संसाधनों के उपयोग से बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित करने के व्यावहारिक तरीके बताए गए।
सत्रों में बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और आनंददायक वातावरण तैयार करने, सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाने तथा सामाजिक और भावनात्मक विकास को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया। नवचेतना पहल के अंतर्गत बच्चों में जागरूकता, आत्मविश्वास, जिज्ञासा और सामाजिक व्यवहार विकसित करने के उपाय साझा किए गए, जबकि आधारशिला पहल के माध्यम से 3 से 6 वर्ष के बच्चों की शैक्षणिक और वैचारिक नींव मजबूत करने के लिए आवश्यक गतिविधियों और शिक्षण विधियों की जानकारी दी गई।
प्रशिक्षण के समापन पर प्रतिभागी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रशिक्षण को उपयोगी, प्रेरणादायक और व्यवहारिक बताते हुए इससे प्राप्त ज्ञान को अपने-अपने आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रभावी रूप से लागू करने का संकल्प लिया। इस दौरान परियोजना के वृत्त पर्यवेक्षक किरण शर्मा, शकुंतला, रीना कुमारी, तेज कुमारी, मीना कुमारी, विरागी राम, यशपाल सिंह तथा खंड समन्वयक मस्त राम ने मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण सत्रों में सहयोग प्रदान किया।
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मंडी सदर परियोजना में पोषण भी पढ़ाई भी के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण शुरू
पोषण भी पढ़ाई भी से आंगनबाड़ी केंद्रों में प्रारंभिक बाल शिक्षा को मिलेगी नई दिशा: जितेन्द्र सैनी
मंडी, 26 दिसंबर। बाल विकास परियोजना मंडी सदर के अंतर्गत पोषण अभियान के तहत पोषण भी पढ़ाई भी कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आज जिला परिषद के सम्मेलन कक्ष में किया गया। यह प्रशिक्षण 26 दिसंबर से आरंभ होकर तीन दिनों तक चलेगा।
यह जानकारी देते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी मंडी सदर जितेन्द्र सैनी ने बताया कि प्रशिक्षण के प्रथम चरण में वृत्त टारना, सदर तथा तल्याहड़ क्षेत्र के अंतर्गत कार्यरत 100 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि परियोजना क्षेत्र में कुल 479 आंगनबाड़ी केंद्र कार्यरत हैं, जिनमें सेवाएं दे रही सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चरणबद्ध तरीके से 100-100 के बैच में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पोषण भी पढ़ाई भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत आधारशिला को मुख्य पाठ्यचर्या रूपरेखा के रूप में अपनाया गया है। इसमें 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए खेल आधारित और गतिविधि आधारित शिक्षण सामग्री शामिल है, जिससे बच्चों के शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक और भाषाई विकास को सुदृढ़ किया जा सके। इसके साथ ही बच्चों के समग्र विकास को मापने के लिए स्पष्ट विकासात्मक मानकों पर भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
सैनी ने आगे बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत नवचेतना घटक पर विशेष जोर दिया गया है, जो प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर केंद्रित है। इसके तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों और बाल मनोविज्ञान से संबंधित व्यवहारिक जानकारी प्रदान की जा रही है। साथ ही अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी को मजबूत करने, शिक्षण के दौरान आने वाली चुनौतियों के समाधान हेतु परामर्श एवं मार्गदर्शन तथा ई-लर्निंग और डेटा प्रबंधन के लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कौशल विकास को सुदृढ़ करना, उन्हें आधुनिक शिक्षण पद्धतियों से अवगत कराना तथा बच्चों के मनोवैज्ञानिक विकास की बेहतर समझ विकसित करना है, ताकि वे आंगनबाड़ी केंद्रों में शिक्षक की भूमिका को और अधिक प्रभावी तथा आत्मविश्वास के साथ निभा सकें।
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