चण्डीगढ़, 12.12.25- :सेव इंडियन फैमिली, (एसआईएफ), चण्डीगढ़ चैप्टर ने अतुल सुभाष की दुखद आत्महत्या की पहली बरसी पर आज एक शांतिपूर्ण मोमबत्ती जलाकर वीरांजलि का आयोजन किया। अतुल सुभाष की मृत्यु ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया था और लंबे समय से चले आ रहे विवादों में फंसे पुरुषों पर पड़ने वाले भावनात्मक और कानूनी दबावों को उजागर किया था।

इस कार्यक्रम में अतुल की स्मृति को श्रद्धांजलि दी गई और उनकी अंतिम इच्छाओं पर पूर्णतः कार्रवाई न होने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया, जिन्हें उन्होंने एक 80 मिनट के वीडियो और 24 पन्नों के नोट में दर्ज किया था। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने के बावजूद, उनकी कोई भी इच्छा पूरी नहीं हुई है, उनके शोक संतप्त माता-पिता अदालतों में तारीख-दर-तारीख का सामना कर रहे हैं, और अतुल को न्याय मिलना अभी भी बाकी है।

एसआईएफ-चंडीगढ़ के अध्यक्ष एवं संस्थापक रोहित डोगरा ने कहा कि अतुल की दुखद आत्महत्या के एक साल बाद भी कुछ नहीं बदला है। उनके माता-पिता ने अपना बेटा खो दिया है, और वे अभी भी एक सुनवाई से दूसरी सुनवाई के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, जिस महिला पर उन्होंने आरोप लगाया है, वह बिना किसी स्पष्ट प्रभाव के अपना काम और करियर जारी रखे हुए है। अगर अतुल की जगह उनकी पत्नी ने आत्महत्या की होती, तो पति और उनके परिवार को शायद तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता, उनका करियर बर्बाद हो जाता और उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती। लेकिन जब एक पुरुष की मृत्यु होती है, तो व्यवस्था पक्षपातपूर्ण हो जाती है। पुरुषों के प्रति व्यवस्थागत उपेक्षा का यह सिलसिला कानूनी अन्याय के समान है। न्याय अभी भी मिलना बाकी है, और इस असमानता को दूर किया जाना चाहिए। संविधान हर लिंग को समान अधिकार देता है। आधी आबादी—हमारे पुरुष—समान सुरक्षा के हकदार हैं। पुरुषों के अधिकार मानवाधिकार हैं। समानता चयनात्मक नहीं हो सकती।

रोहित डोगरा ने आगे कहा कि न्यायिक व्यवस्था को बिना देरी किए कार्रवाई करनी चाहिए, अतुल की अंतिम इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए और न्याय दिलाना चाहिए।