मंडी, 27 नवम्बर। बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से आज उपायुक्त कार्यालय मंडी में बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त उपायुक्त मंडी गुरसिमर सिंह ने की। । उन्होंने कहा कि दत्तक ग्रहण प्रक्रिया संबंधी सही जानकारी के अभाव में लोग कई कठिनाइयों का सामना करते हैं, इसलिए जागरूकता गतिविधियों को और अधिक प्रभावी रूप से चलाना आवश्यक है। इस अवसर पर बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के संकल्प की शपथ भी ली गई, जिसे अतिरिक्त उपायुक्त ने सभी उपस्थित सदस्यों को दिलाया।

अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि आने वाली तीन ग्राम सभाओं में बाल विवाह निषेध अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी दी जाएगी, जिसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विशेष रूप से जाएंगी। उन्होंने बताया कि बाल विवाह करवाने वाले सभी लोग परिजन, बैंड, टेंट, बाराती सहित समारोह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति कानूनन दोषी माने जाते हैं और इसके लिए दो वर्ष के कारावास तथा एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि नवंबर माह हर वर्ष बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया बारे जागरूकता फैलाने हेतु मनाया जाता है और इस वर्ष विशेष रूप से उन बच्चों के दतक ग्रहण को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो दिव्यांग हैं तथा जिनके माता पिता नहीं हैं, ताकि उन्हें भी प्रेमपूर्ण और सुरक्षित परिवार मिल सके। उन्होंने बताया कि यदि कोई दंपति, एकल महिला या पुरुष बच्चा गोद लेना चाहते हैं तो अब यह प्रक्रिया पहले की तुलना में काफी सरल हुई है और इच्छुक व्यक्ति मिशन वात्सलय पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चा हमेशा कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही गोद लिया जाए ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी जटिलता का सामना न करना पड़े।

अतिरिक्त उपायुक्त ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी को निर्देश दिए कि बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया संबंधी विस्तृत जानकारी सभी ग्राम पंचायतों में ए फोर साइज़ पोस्टर के रूप में पंचायत घरों में प्रमुख स्थानों पर लगाई जाए और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रचार प्रसार को और अधिक प्रभावी बनाया जाए, ताकि जानकारी सीधे ग्रामीण जनता तक पहुंच सके।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी एन आर ठाकुर ने पात्रता मानदंड बताते हुए कहा कि भावी दत्तक अभिभावकों को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए तथा उन पर किसी भी प्रकार का बाल अधिकार उल्लंघन के अंतर्गत दोष सिद्ध नहीं होना चाहिए। दंपति द्वारा बच्चे को गोद लेने के लिए दोनों की सहमति आवश्यक है। एकल महिला किसी भी बालक या बालिका को गोद ले सकती हैं जबकि एकल पुरुष बालिका को गोद नहीं ले सकते। दंपति की संयुक्त आयु न्यूनतम 85 वर्ष और अधिकतम 110 वर्ष होनी चाहिए तथा जिन दंपतियों के दो या अधिक बच्चे हैं वे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को गोद लेने पर विचार कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि 2024-25 में 4515 बच्चों को कानूनी दतक ग्रहण प्रक्रिया द्वारा परिवार मिला, जिनमें 313 विशेष आवश्यकता वाले बच्चे शामिल हैं, जबकि वर्तमान वर्ष में प्रदेश में 12 और मंडी जिले में 2 दतक ग्रहण हुए।

बैठक में पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, श्रम, बाल संरक्षण, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, मंडी जन विकास एवं साक्षरता समिति, ज्ञान विज्ञान समिति सहित 12 हितधारक विभागों के अधिकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

--