उपमुख्यमंत्री करेंगे माता श्री चिंतपूर्णी महोत्सव-2025 का शुभारंभ
14 से 16 नवम्बर तक अंब के मेला मैदान में होगा भव्य आयोजन
विधानसभा अध्यक्ष करेंगे समापन समारोह की अध्यक्षता

ऊना, 13 नवम्बर. उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री 14 नवम्बर को माता श्री चिंतपूर्णी महोत्सव-2025 का शुभारंभ करेंगे। यह भव्य आयोजन 14 से 16 नवम्बर तक अंब के मेला मैदान में होगा। समापन समारोह 16 नवम्बर को विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की अध्यक्षता में सम्पन्न होगा। यह जानकारी उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने दी।
उपायुक्त ने बताया कि महोत्सव का शुभारंभ 14 नवम्बर को माता श्री चिंतपूर्णी जी की पावन ज्योति की शोभायात्रा के साथ सायं 4 बजे मेला मैदान, अंब में किया जाएगा। उद्घाटन अवसर पर श्रद्धा, संस्कृति और लोक परंपराओं का अनुपम संगम देखने को मिलेगा।

तीन दिवसीय इस महोत्सव में प्रतिदिन सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन किया जाएगा, जिनमें स्थानीय कलाकारों के साथ साथ प्रदेश और देश के ख्यातिलब्ध कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। 14 नवम्बर को लोकप्रिय गायक बब्बू मान, जबकि 16 नवम्बर को प्रसिद्ध कलाकार अमृत मान अपने गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। इसके अलावा हिमाचल के विख्यात गायक एसी भारद्वाज, कुमार साहिल और अनुज शर्मा सहित अन्य हिमाचली कलाकार प्रदेश की संगीत की समृद्ध परंपरा को अपनी मधुर प्रस्तुतियों से जीवंत करेंगे।
इसके अतिरिक्त महिषासुर मर्दिनी नृत्य, हिमाचली नाटी ग्रुप, और फ़िरदौस बैंड जैसी प्रस्तुतियाँ सांस्कृतिक संध्याओं में विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी।
महोत्सव में फूलों की होली, मनोरंजन झूले, प्रदर्शनी स्टॉल, तथा हिमाचली हस्तशिल्प प्रदर्शनियाँ दर्शकों के आकर्षण का प्रमुख हिस्सा होंगी। साथ ही, सामाजिक जागरूकता से जुड़े विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

वहीं, विधायक सुदर्शन सिंह बबलू ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के मार्गदर्शन और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की प्रेरणा से इस महोत्सव को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि यह क्षेत्र की आर्थिकी, उद्यमिता और स्थानीय रोजगार को भी नए अवसर प्रदान करेगा।
उल्लेखनीय है कि इस साल यह महोत्सव का द्वितीय संस्करण है। पिछले वर्ष 26 से 28 सितम्बर तक अंब मैदान में आयोजित महोत्सव का प्रथम संस्करण अत्यंत सफल रहा था। महोत्सव ने आस्था और लोक-संस्कृति के समन्वय से एक प्रेरणादायक सांस्कृतिक पहल के रूप में अपनी छाप छोड़ी।