बरसात में बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बरतें सावधानी, सुरक्षा का रखें ध्यान, उपायुक्त ने जारी किए आदेश
ऊना, 25 जून। जिला दंडाधिकारी ऊना जतिन लाल ने बरसात में संभावित बाढ़ के खतरे को ध्यान में रखते हुए आवश्यक सावधानियों एवं सुरक्षात्मक उपायों को तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश जारी किए हैं। ये आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 33 एवं 34 के अंतर्गत जारी किए गए हैं। उपायुक्त ने सभी उप-मंडलाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में सुरक्षा उपायों को कड़ाई से लागू करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इन आदेशों का उद्देश्य मानसून के दौरान किसी भी प्राकृतिक आपदा से जानमाल की क्षति को रोकना और आमजन की सुरक्षा सुनिश्चित बनाना है।
उन्होंने कहा कि स्वां नदी एवं उसकी सहायक नदियों व खड्डों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बनी झुग्गियों, अस्थायी बस्तियों या अन्य अनधिकृत संरचनाओं की शीघ्र पहचान कर वहां रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए। साथ ही स्वां नदी और उसकी सहायक नदियों, खड्डों के आसपास, विशेष रूप से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में, झोपड़ियों, झुग्गियों या अस्थायी आश्रयों जैसी कोई अस्थायी संरचनाएं न स्थापित हों। संवेदनशील क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने के लिए सार्वजनिक घोषणाएँ करें और क्षेत्र को तुरंत खाली करवाएं। उपायुक्त ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर एसडीएम स्वयं मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लें ताकि किसी भी प्रकार की जानमाल की हानि को रोका जा सके। उपायुक्त ने निर्देशों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए पुलिस, होमगार्ड, अग्निशमन, राजस्व विभाग एवं त्वरित प्रतिक्रिया टीमों के साथ उचित समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे बरसात में नदी-नालों के समीप न जाएं। आपात कालीन स्थिति में किसी भी प्रकार की सूचना, सहायता अथवा जानकारी के लिए जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र ऊना के दूरभाष 01975-225045, 225046, 225049 पर सम्पर्क करें।। जिला प्रशासन प्रत्येक नागरिक की सहायता और सुरक्षा के लिए हर समय तत्पर है।
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डेंगू से बचाव को बरतें एहतियात
ऊना, 26 जून। बरसात के मौसम में अनेक बीमारियां पांव पसार लेती हैं। आम तौर पर बरसात में तेज बुखार से पीड़ित रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। इसीलिए लोगों को बरसात के दिनों में होने वाली बीमारियों से सावधान रहना चाहिए। इस मौसम में फैलने वाली एक बीमारी है डेंगू। डेंगू एक वायरस से होने बाली बीमारी का नाम है जो एडीज नामक मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के काटने पर विषाणु तेजी से मरीज के शरीर पर अपना असर दिखाते हैं जिससे तेज बुखार और सिर दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसे हड्डी तोड़ बुखार या ब्रेक बोन बुखार भी कहा जाता है। डेंगू होने पर मरीज के खून में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से घटती है जिसके कारण कई बार जान का जोखिम भी बन जाता है। डेंगू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है। यह केवल मच्छर के काटने से ही होता है। गर्मी और बरसात के मौसम में यह बीमारी तेजी से पनपती है। डेंगू के मच्छर हमेशा दिन में काटते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ऊना डॉ. संजीव वर्मा बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को तेज ठंड और बुखार हो, कमर, मांसपेशियों, जोड़ों और सिर में दर्द, हल्की खांसी, गले में दर्द और खराश, शरीर पर लाल दाने, थकावट, भूख न लगना और कमजोरी, उल्टी और दस्त होना डेंगू के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे किसी भी लक्षण पर मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवा लेनी चाहिए। यदि किसी भी व्यक्ति को ऊपर दिये गये लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाएं। डेंगू की जांच के लिए एनएस 1 या एलाइजा टेस्ट किया जाता है जिसके आधार पर डॉक्टर तय करते हैं कि मरीज को डेंगू हुआ है या नहीं।
डेंगू से कैसे करें बचाव
डेंगू एक मच्छर से होने वाली बीमारी का नाम है। सभी को अपना बचाव मच्छर से करना है। डेंगू का घर एक जगह जमा साफ पानी है। इसलिए घर और अपने आस-पास दो या तीन दिन से ज्यादा पानी को जमा न होने दें। कूलरों में मिट्टी के तेल का छिड़काव करें तथा घड़ों तथा बाल्टियों में जमा पानी को बदलते रहें। बुखार आने पर स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर जांच जरूर करवाएं। बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनाएं। इस मौसम में घरों की खिड़कियां बन्द रखें तथा कूड़ेदान में कूड़ा जमा न होने दें। घरों में पानी की टंकियों, कूलरों, गमलों की समय-समय पर सफाई करते रहें।
क्या कहते हैं जिलाधीश
जिलाधीश जतिन लाल ने कहा कि ऊना जिले में लोगों को डेंगू और अन्य जीवाणु तथा वायरस जनित रोगों से बचाव को लेकर शिक्षित एवं जागरूक करने पर बल दिया जा रहा है। डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारी से बचाव को लेकर पूरी सतर्कता बरतना जरूरी है। घर और आसपास पानी को न जमा होने दें, साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और बुखार जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाएं। प्रशासन का प्रयास तभी सफल होगा जब जन सहयोग पूर्ण रूप से मिलेगा।