एशियन डेवलपमेंट बैंक की टीम पहुंची बिलासपुर, जिला प्रशासन के साथ ग्रामीण विकास योजनाओं की समीक्षा

बिलासपुर, 14 नवंबर 2025-एशियन डेवलपमेंट बैंक की उच्चस्तरीय टीम ग्रामीण समृद्धि एवं लचीलापन कार्यक्रम के अंतर्गत आज बिलासपुर पहुंची। टीम में वरिष्ठ नेचुरल रिसोर्स विशेषज्ञ सुना किम, सामाजिक विकास विशेषज्ञ आनंद रमेश कुनियार, परियोजना प्रबंधन (कृषि) विशेषज्ञ प्राची शर्मा, एसोसिएट प्रोजेक्ट ऑफिसर नेहा सैनी, कृषि व्यवसाय सलाहकार (निजी क्षेत्र) अर्जुन तथा वित्त सलाहकार तनुश्री चंद्रा शामिल रहे। टीम ने जिला प्रशासन के साथ ग्रामीण विकास, कृषि आधारित आजीविका और महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़े विभिन्न विषयों पर व्यापक संवाद किया।

बैठक की अध्यक्षता डीसी बिलासपुर राहुल कुमार ने की। इस अवसर पर जिला के सभी संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे और अपने-अपने विभागों की प्रगति, गतिविधियों, उपलब्धियों तथा मौजूदा कार्यात्मक चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की।

बैठक के दौरान केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं की डिजाइनिंग, निष्पादन, लाभार्थियों तक पहुंच, स्थानीय आवश्यकताओं और चुनौतियों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। ग्राम पंचायत स्तर से भेजे जाने वाले बजट डिमांड, उसके अनुमोदन, कार्यान्वयन प्रक्रिया तथा योजनाओं की प्रगति पर भी विस्तृत प्रस्तुति दी गई। ग्रामीण विकास विभाग के परियोजना अधिकारी यशपाल ने विभागीय योजनाओं को लेकर एक विस्तृत प्रस्तुति प्रस्तुत की।

टीम ने प्रधानमंत्री धन धान्य योजना के अंतर्गत इसके आगामी चरणों, परियोजना प्रक्रिया, मूल्यांकन मानकों और लागू करने की रणनीति पर गहन चर्चा की। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चलाई जा रही अन्य योजनाओं के प्रभाव, उनकी उपलब्धियों, सामना की जा रही चुनौतियों तथा नशा निवारण और स्वच्छ भारत मिशन की प्रगति पर भी विस्तार से विचार-विमर्श हुआ।

एडीबी टीम ने योजनाओं को जमीनी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक अंतिम रूप देने की प्रक्रिया, विभागीय समन्वय, सफलताओं-असफलताओं के कारणों और विभिन्न चरणों में आने वाली बाधाओं के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त की। टीम ने जिला में बैंकिंग सेक्टर से संबंधित समस्याओं—विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्धता में आ रही दिक्कतों और स्थानीय लोगों द्वारा बैंकों में किए जा रहे डिपॉजिट्स की स्थिति—के बारे में भी तथ्य जुटाए।

स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयास बैठक का एक महत्वपूर्ण विषय रहे। टीम ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों, उत्पादों के विपणन के लिए उपलब्ध करवाई जा रही सहायता और जिला प्रशासन द्वारा महिलाओं को प्रदान की जा रही सुविधाओं तथा संसाधनों के बारे में विस्तृत जानकारी ली।

बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति, रखरखाव, आवाजाही की सुविधाओं, पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिकाओं तथा उनके समक्ष मौजूद चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। विभागीय अधिकारियों ने अवगत कराया कि कुछ केंद्रीय योजनाएं हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप नहीं हैं, जबकि राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाएं स्थानीय जरूरतों के अधिक अनुकूल हैं। यही कारण है कि कुछ केंद्रीय योजनाओं का प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश में अपेक्षित स्तर के अनुसार नहीं हो पा रहा है।

बैठक में विभिन्न योजनाओं के लिए भेजी जाने वाली बजट डिमांड, समय पर बजट न मिलने, कुछ योजनाओं में कार्य आदेश समय पर जारी न होने तथा इसके कारण विभिन्न कार्यों में होने वाली देरी जैसे मुद्दों पर भी विस्तृत समीक्षा की गई। इसके साथ ही भविष्य में बिलासपुर जिला के लिए योजनाओं की डिजाइनिंग, रणनीति निर्माण तथा प्रभावी कार्यान्वयन को और सुदृढ़ बनाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर भी विस्तार से चर्चा हुई।

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बिलासपुर में एमएसएमई उद्यमों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और उत्पादन प्रक्रिया में आधुनिकता लाने के लिए कार्यशाला का आयोजन

बिलासपुर, 14 नवंबर 2025-जिला उद्योग केंद्र बिलासपुर ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से स्मार्ट विनिर्माण और उद्योग 4.0 विषय पर एक विस्तृत जागरूकता कार्यशाला का सफल आयोजन होटल सागर व्यू, बिलासपुर में किया।

इस कार्यक्रम में जिला उद्योग केंद्र के जर्नल मैनेजर जे. आर. अभिलाषी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे
उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला एमएसएमई उद्यमों को डिजिटल तकनीकों से सशक्त बनाने और उनके उत्पादन प्रक्रियाओं में आधुनिकता लाने की दिशा में प्रभावी कदम होगी।
कार्यशाला का संचालन सीईएल की विशेषज्ञ टीम द्वारा किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उद्यमियों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मशीन अधिगम, क्लाउड ईआरपी प्रणाली और ग्राहक संबंध प्रबंधन जैसे आधुनिक औद्योगिक उपकरणों के उपयोग और लाभों से अवगत कराना था, ताकि वे रैम्प पहल के अंतर्गत अपने कारखानों को डिजिटल रूप से अधिक सक्षम बना सकें।

कार्यशाला की शुरुआत रैम्प पहल के परिचय के साथ हुई, जिसमें एमएसएमई इकाइयों के डिजिटल सशक्तिकरण की संभावनाओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि स्मार्ट विनिर्माण तकनीकों को अपनाने से उत्पादन क्षमता बढ़ती है, संसाधनों की बचत होती है और उत्पाद की गुणवत्ता स्वतः बेहतर होती है। उदाहरण स्वरूप कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित मशीनों के पूर्वानुमानित रखरखाव, इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेंसरों द्वारा तापमान व ऊर्जा खपत की रीयल-टाइम निगरानी, मशीन अधिगम आधारित गुणवत्ता परीक्षण और बाजार मांग का पूर्वानुमान जैसी तकनीकों को सरल भाषा में समझाया गया।

प्रतिभागियों को डिजिटल प्रतिकृति मॉडल, स्मार्ट औद्योगिक डैशबोर्ड, स्वचालित असेंबली लाइनें, कम लागत वाले स्वचालन मॉडल तथा क्लाउड ईआरपी प्रणालियों के वास्तविक उपयोग दिखाए गए, जिससे छोटे उद्यमों को यह समझने में मदद मिली कि बिना बड़े निवेश के भी तकनीकी उन्नयन संभव है। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि चरणबद्ध तरीके से तकनीक अपनाने से उद्यम तुरंत लाभ प्राप्त कर सकते हैं और भविष्य में उत्पादन क्षमता को आसानी से बढ़ा सकते हैं।

कार्यक्रम में एमएसएमई उद्यमियों, प्लांट प्रबंधकों, औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों, जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों तथा मंत्रालय के विशेषज्ञों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागियों ने तकनीक अपनाने की लागत, उपयुक्त सेवा प्रदाताओं के चयन, स्वचालन की व्यावहारिकता और छोटे उद्यमों में तकनीक की विस्तार क्षमता जैसे सवाल पूछे, जिनका विशेषज्ञों ने व्यावहारिक उदाहरणों के साथ समाधान प्रस्तुत किया।

बैठक के अंत में आगे की कार्ययोजना पर सहमति बनी। आगामी सप्ताहों में एमएसएमई इकाइयों का व्यक्तिगत संयंत्र निरीक्षण किया जाएगा, जिसमें ‘‘डिजिटल तत्परता मूल्यांकन’’ किया जाएगा। इसके अंतर्गत उन तकनीकों की पहचान की जाएगी जो उद्यम को तुरंत लाभ पहुंचा सकती हैं और वे व्यवस्थाएं भी चिन्हित की जाएंगी जिन्हें भविष्य में चरणबद्ध रूप से लागू किया जा सकता है।

इस अवसर पर मैनेजर मधु शर्मा, रैम्प सलाहकार अशुतोष शर्मा, सीईएल टीम से धीरज यादव तथा लघु उद्योग संघ के महासचिव इंदर ठाकुर उपस्थित रहे।