निसिंग, 17.06.24- हमारे महान पूर्वजों विशेष कर पराक्रमी योद्धाओं का इतिहास स्वाधीनता प्राप्ति के बाद भी एक साजिश के तहत या तो विकृत किया गया या उसका विलुप्त करने का षड्यंत्र उस समय की सरकारों के सीधे संरक्षण में कई दशक तक बेरोक टोक चला रहा। विकृति का यह क्रम अब जाकर थमता देखा जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह ने यह टिप्पणी आज गोंदर में आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए की। पराक्रमी योद्धा और जुंडला के संस्थापक राणा हरि राय की याद में यह आयोजन महाराणा प्रताप भवन में किया गया था।
वंशावली संरक्षण के क्षेत्र में अद्भुत कार्य करने वाले और दर्जन भर पुस्तकों के लेखक डॉ. सूरजमल राव मुख्य वक्ता के रूप में इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अजमेर से शामिल हुए।
अपने वक्तव्य में डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा केंद्र कि नरेंद्र मोदी सरकार और हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने इतिहास की किताबों में से गंदगी को निकाल बाहर किया। एनसीईआरटी की जो किताबें हमलावर मुगलों के गौरव -गान से लबालब हुआ करती थी, अब कमोबेश शुद्ध हो गई हैं। हरियाणा में इतिहास की पुस्तकों का नए सिरे से लेखन कराया गया है। और आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं की कैथल जिले में जन्मे हमलावर बाबर के सेनापति के साथ इस क्षेत्र के हमारे पूर्वजों को लेकर टक्कर लेने वाले राणा मोहन सिंह मढाड का जिक्र अब इतिहास की आधिकारिक पुस्तकों में शामिल हो गया है।
डॉ. सिंह ने कहा कि पूर्व की सरकारों के मुखिया विश्वविद्यालयों के नाम अपने राजनेता पिताओ के नाम पर रखते थे। परिपाटी को बदलकर भारतीय जनता पार्टी सरकार ने बागवानी विश्वविद्यालय का नाम महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय, संस्कृत विश्वविद्यालय का नाम महर्षि वाल्मीकि विश्वविद्यालय, कैथल के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज का नाम भगवान परशुराम मेडिकल कॉलेज और कौशल विश्वविद्यालय का नाम श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय रखा है।
वंशावली विशेषज्ञ डॉ सूरजमल राव ने बताया कि राणा हरि राय और उनके वंश का संबंध सीधे तौर पर सम्राट पृथ्वीराज चौहान से है । वंशावली संरक्षण का काम करने वाले भाटो की बहिया इस बात को प्रमाणित करती हैं। उन्होंने राणा हरि राय और उनके परिवार के वर्तमान हरियाणा के एक बड़े हिस्से पर शासन के कालखंड पर नए सिरे से शोध किए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि सैकड़ो वर्षों तक चौहान वंश ने सजग प्रहरी की भूमिका अदा की। इस ऐतिहासिक तथ्य पर हम सब को गर्व होना चाहिए।
इस अवसर पर आजाद सिंह चौहान, नकली राणा, मैनपाल सुबेदार, महीपाल राणा, राजकुमार आर्य, शमसेर राणा, मोहर सिंह राणा, हिसम सिंह चौहान, राजकुमार फोजी, राजकुमार राणा मेंबर ब्लॉक समिति, दीपक आर्य, पंकज आर्य, अक्षय चौहान, बबला एडवोकेट, बजिंदर चौहान, महेंद्र मास्टर , अजय चौहान, संजय आर्य, प्रदीप आर्य, जयकुमार आर्य, शुभम राणा, संगम चौहान आदि ग्रामीण मौजूद रहे।