NEW DELHI,24.05.24-कर्नल रोहित चौधरी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा – जय हिंद साथियों। आज यह मुद्दा जो है, वह इलेक्‍शन कमीशन ऑफ इंडिया को जो बीजेपी ने लगातार कम्‍प्‍लेंट्स दी हैं, ऑब्‍जर्वेशन दी हैं, उसके ऊपर हमारे कांग्रेस प्रेसिडेंट को ईसीआई ने एक लेटर लिखा है, उसके तहत उन्‍होंने कहा है – कि पैरा 20 सेक्‍शन 9 में उन्‍होंने कहा है, ईसीआई ने ऑब्‍जर्वेशन दी है, साथ-साथ निर्देश भी दिए हैं कि स्‍टार कैंपेनर्स, पॉलिटिकल प्रोपगैंडा के समय डिफेंस फोर्सेस के ऑपरेशनल चीजों के ऊपर बातचीत नहीं करेंगे।

आपके लिए मैं पढ़कर बता सकता हूं कि They have asked star campaigners to refrain from indulging in any political propaganda involving activities of defence forces and not to make potentially divisive statements regarding socio-economic composition of defence forces मोदी जी जब-जब फंसते हैं तो वह कोई न कोई सहारा ढूंढते हैं। पहले वो डिफेंस का सहारा ढूंढते थे। डिफेंस फोर्सेस के पीछे जाकर छुपते थे और अब इलेक्‍शन कमीशन ऑफ इंडिया के जरिए एक डायरेक्‍शन इशू करवाई गई।

इसके साथ-साथ मैं आपका ध्‍यान मॉडल कोड ऑफ कन्‍डक्‍ट, इसके अंदर Model Code of Conduct for the guidance of political parties and candidates. General conduct इसके बारे में पैरा -2 ये बड़ा क्लियर कहता है criticism of other political parties when made shall be confined to their policies and programmes past record and work तो हम जो बात कर रहे हैं, वह सिर्फ और सिर्फ पॉलिसी के बारे में बात कर रहे हैं। हमारी डिफेंस फोर्सेस, तीनों सेनाएं सक्षम हैं, बहुत बेहतरीन काम कर रही हैं, हमारे बॉर्डर्स को सेफ गार्ड कर रही हैं, नेशनल सिक्‍योरिटी बहुत बढ़‍िया है, लेकिन उनके हाथ कमजोर करने का काम मोदी सरकार ने किया है अग्निपथ जैसी एक योजना लेकर आए, जिसके तहत वह अनट्रेन्‍ड सोल्‍जर्स को देश की सेनाओं में भेजने का काम कर रहे हैं।

अग्निपथ योजना एक पॉलिसी है और हम इस पॉलिसी को चैलेंज कर रहे हैं, बार-बार उठा रहे हैं। पिछले एक साल से लगातार हम हर प्‍लेटफॉर्म पर, हर जगह बता रहे हैं कि यह देश की सुरक्षा के लिए हितकारी नहीं है, देश की सेना के लिए, देश के सैनिकों के लिए और देश के युवाओं के लिए हितकारी नहीं है। जब यह किसी की भी हितकारी नहीं है, तो यह एक पॉलिसी पैरालिसिस है। इस पॉलिसी को हम चैलेंज कर रहे हैं, करते रहेंगे और जब 04 जून को हमारी सरकार बनेगी, तो हमने अपने न्‍याय पत्र के अंदर शामिल किया है कि हम अग्निपथ योजना को, डिफेंस सेक्‍शन के अंदर हमने कहा है – कांग्रेस अग्निपथ योजना को खत्‍म कर देगी, हमारे सभी स्‍टार प्रचारक इसी बात का जिक्र हर जगह, हर प्‍लेटफॉर्म पर कर रहे हैं कि यह योजना, यह स्‍कीम, यह पॉलिसी सुरक्षा के लिए, सैनिकों के लिए, सेनाओं के लिए सही नहीं है। इसलिए इसको जाना होगा और इसको खत्‍म करना होगा।

यह हमारे उस समय के चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ जनरल नरवणे ने अपनी किताब के अंदर इसका जिक्र किया है और कहा है कि अग्निपथ योजना हमारे सबके लिए, तीनों सेनाओं के लिए यह शॉक के तौर पर आई थी, इसका मतलब, यह योजना सेनाओं से या उनसे पूछकर लागू नहीं की गई थी। यह योजना प्रधानमंत्री कार्यालय में आनन-फानन में बनाई गई और उसको लागू किया गया। तो यह एक पॉलिसी है, ऑपरेशनल एक्टिव‍िटी नहीं है। यह मैं आप सबको इस बारे में बताना चाहता हूं कि ऑपरेशनल एक्टिविटी क्‍या होती है। हमारी फोर्सेस काम कर रही हैं और उनके ऊपर हम टिप्‍पणी करें, उनके ऑपरेशंस का फायदा उठाए या फिर हम उनके ऑपरेशंस के नाम पर वोट मांगे और यह काम हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री मोदी जी ने 2019 के इलेक्‍शन के अंदर ब-खू़बी किया- जब पुलवामा में हमारे 40 जवान शहीद हुए थे और उसके बाद बालाकोट के अंदर स्‍ट्राइक की गई थी, तो मोदी साहब ने चुनावी रैलियों के अंदर कहा कि फर्स्‍ट टाइम वोटर्स के वोट क्‍या हमें मिल सकते हैं, क्‍या उन शहीदों के नाम हो सकते हैं, क्‍या पुलवामा के शहीदों के नाम हो सकते हैं या फिर बालाकोट की स्‍ट्राइक के नाम हो सकते हैं।

यह वीडियो मैं आपको दिखाना चाहूंगा, आपकी यादों को तरो-ताजा करना चाहूंगा। मोदी जी ने 2019 की चुनावी रैलियों के अंदर यह वीडियो लगातार अपनी चुनावी रैलियों में कहा था।

(वीडियो दिखाया गया)

तो साथ‍ियों, यह है सेनाओं के काम करने के ऊपर आप वोट मांगते हैं, उनकी एक्टिविटीज के ऊपर वोट मांगते हैं। हमारे देश की सेनाएं 1947 से लेकर आज तक 1948 में, 1962 में, 1971 में, का‍रगिल युद्ध के अंदर, सब जगह बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हैं, कभी उसके ऊपर वोट नहीं मांगे गए, लेकिन आज मोदी जी फंस गए हैं, उनके पास इस अग्निवीर योजना लाने का कोई भी तर्क नहीं है। ग्रामीण इलाकों के अंदर, सब जगह उनके स्‍टार प्रचारकों से पूछा जा रहा है कि आप अग्निवीर योजना क्‍यों लाए? तो आज उनके पास तोड़ नहीं है। एक भी लाभार्थी नहीं है उनके पास, हर योजना का लाभार्थी दिखाते हैं, लेकिन इस योजना का कोई लाभार्थी नहीं है। तो मोदी जी आप फंस चुके हैं।

इसके साथ-साथ जो मॉडल कोड ऑफ कंडक्‍ट है और ईसीआई की गाइडलाइंस, वह कहती हैं – कि हम न्‍यू पॉलिसीज के बारे में बात कर सकते हैं, हम आगे आने वाले समय में क्‍या करेंगे, उसकी होप के बारे में बात कर सकते हैं। तो हम अपने देश की सेना को, सुरक्षा को और युवाओं को और सैनिकों को यह होप देना चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी 04 जून को सरकार बनाएगी, तो अग्निपथ योजना को रद्द करेगी और अग्निपथ योजना के तहत, जो हमारे अग्निवीर हैं, उनके लिए कोई न कोई स्‍थाई प्रबंधन का काम करेगी और इसके अलावा पुरानी भर्ती प्रक्रिया उसको लागू करेंगे।

तो साथ‍ियों हम सबको यह जानना जरूरी है कि अग्निपथ योजना जो है, यह देश की सुरक्षा के लिए डैमेजिंग है। इसने हमारे देश में दो तरह के क्‍लासेज फौज के अंदर, यूनिफार्म के अंदर पैदा कर दिए हैं, जिसको हम बोलते हैं Haves or have nots कुछ वंचित जो अग्निवीर हैं और कुछ लोग वह जो रेगुलर सैनिक हैं, जो शहादत के समय पर उनको सब चीजें मिलेंगी। दो तरह के सैनिक, एक सैनिक जिसकी सैलरी 21,000 दिल्‍ली के मिनिमम वेज 22,000 है उससे भी कम, क्‍या उम्‍मीद रखते हैं उससे और चार साल की नौकरी, 17 साल में भर्ती, 21 साल में रिटायर। ज्‍यादा से ज्‍यादा उम्र सीमा 21 साल की है। 21 साल में भर्ती और 25 साल में रिटायर।

तो यह हमारी Operational preparedness, operational efficiency, operational efficacy उस सारी चीज के खिलाफ है, हमारी देश की सुरक्षा को कमजोर कर रही है। जो चार साल का सैनिक होगा, छह महीने की बेसिक ट्रेनिंग होगी, उसके बाद छह महीने की छुट्टियां, तीन साल के अंदर वापस उसका काम होगा और उसके बाद सरकार ने आज तक जब यह अग्निपथ योजना लाए थे तो यह कहा था – किसी न किसी तरह से इनको चार साल के बाद कहीं न कहीं पर नौकरी दी जाएगी, लेकिन आज तक एक साल से ज्‍यादा हो गया है हमारे जो अग्निवीर सेना में शामिल हो चुके हैं, काम कर रहे हैं, लेकिन उनका भविष्‍य आज भी अंधकार में है। यह नहीं मालूम कि उनको कहां-कहां पर absorb किया जाएगा। आज तक सरकार का कोई नोटिफिकेशन नहीं है कि 25 प्रतिशत को absorb किया जाएगा, 75 प्रतिशत का क्‍या होगा।

हमारे देश में रेगुलर सैनिक के तौर पर 75,000 हर साल भर्तियां होती थीं, उसको कम करके इन्‍होंने 46,000 कर दिया और अग्निवीर भर्ती कितने हुए – 40,000 और 40,000 में से 5,000 छोड़कर चले गए, तो 35,000 बचे। तो साथ‍ियों, आज यह हालात हैं कि हमें Two and half फ्रंट बैटल लड़नी पड़ रही है। पाकिस्‍तान का 1,400 किलोमीटर का बॉर्डर, 3,800 किलोमीटर का चीन का बॉर्डर, 6,500 किलोमीटर की समुद्री सीमाएं और उसके बाद इंटरनल सिक्‍योरिटी। हमें रेगुलर सैनिक चाहिए देश की सुरक्षा को चाक और चौबंद रखने के लिए।

हमें चार साल के सैनिक नहीं चाहिए, जिनका भविष्‍य भी अंधकार में है। जब सैनिक सरहद पर खड़ा होता है तो उसको मालूम होता है कि मैं देश के लिए कुर्बान हो रहा हूं। तो मेरे पीछे मेरा देश, मेरे परिवार का, मेरे बच्‍चों का, सबका ध्‍यान रखेगा और जब अग्निवीर शहीद होता है। तो अग्निवीर के शहीद होने पर सिर्फ मात्र चार साल तक पूरी सैलरी मिलती है और उसके बाद कुछ भी नहीं। ना पेंशन है, ना ग्रेचुटी है, ना एक्‍स सर्विसमैन का बेनिफिट है, ना शहीद का दर्जा है और तमाम तरह के जो बेनिफिट एक रेगुलर सैनिक को दिए जाते हैं, वह नहीं हैं और रेगुलर सैनिक को 15 साल तक लगातार तनख्‍वाह मिलती है, परिवार को, फुल सैलरी, फिर पेंशन, फिर ग्रेचुटी, एक्‍स सर्विसमैन का दर्जा, शहीद का दर्जा, शिक्षा में बहुत सारे बेनिफिट्स और तमाम तरह के जितने भी बेनिफिट्स रोजगार के लिए या किसी भी चीज के लिए, परिवार के लिए पूरा देश उसके लिए खड़ा है।

तो साथियों जो यह इन्‍होंने दो हिस्‍से हमारी सेनाओं के कर दिए हैं, Haves or have nots उसके बारे में आप सबको बहुत अच्‍छी तरह से जानकारी है और इस रिड्यूस्ड इनटेक की एक और स्‍टोरी आपको बता दूं कि जिस तरह से 2019 और 2022 के बीच में हर साल 75,000 सैनिक आने चाहिए थे, वह नहीं आए। उनकी भर्तियों को रद्द कर दिया गया, अग्निपथ योजना को ले आए और जो 1,50,000 बच्‍चे सिलेक्‍ट हुए थे, उनको अग्निपथ के नाम पर बाहर कर दिया गया और जब बाहर कर दिया गया तो वो 1,50,000 बच्‍चे आज लड़ाई लड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी उनकी लड़ाई लड़ रही है, जय जवान कैम्‍पेन उनके लिए चला रही है और उनके लिए हमने कहा है कि उन 2019 से लेकर 2022 के बीच में जो भर्तियां हुई थीं, उन सबकी भर्ती प्रक्रिया को हम कम्‍प्‍लीट करेंगे।

हमने सड़क से संसद तक उनकी लड़ाई लड़ने का वादा किया था कांग्रेस पार्टी ने, जननायक हमारे राहुल गांधी जी ने। तो हमने सड़क पर भी उनके साथ लड़ाई लड़ी, आप सबने भी देखा और उसके साथ-साथ संसद में हमने बहुत उठाने का काम किया, जय जवान कैम्‍पेन चलाई और उसके बाद कोर्ट के अंदर लीगल बैटल भी हम इसके लिए लड़ रहे हैं।

तो साथियों, एक और जो बात बीच में आई थी कि शायद जब ये योजना लेकर आए थे, तो उसमें पैसे की कमी करना चाहते थे, कटौती करना चाहते थे। आपको मालूम होगा कि हमारे देश ने चार लड़ाईयां लड़ी हैं और उस समय हमारी इकोनॉमी आज की तरह उतनी मजबूत नहीं थी, बजटरी प्रोविजन उतने नहीं थे। लड़ाईयां भी लड़ी, मॉडर्नाइजेशन भी किया, टैंक्स भी नए लेकर आए, जहाज भी लेकर आए, मिराज लेकर आए, मिग 29 लेकर आए, तमाम तरह के अलग-अलग जहाज लेकर आए, शिप्स लेकर आए, फ्लीट कैरियर लेकर आए, रडार्स बनाए, डेवलपमेंट के लिए पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्‍स को क्रिएट किया, एक स्पेस वॉरफेयर के प्रोग्राम्स लेकर आए, मिसाइलें डेवलप कीं – पृथ्वी, अग्नि, लॉन्ग रेंज मिसाइल, 10-10 हजार किलोमीटर की मिसाइल, न्यूक्लियर मिसाइल्स डेवलप की और तब भी हमारी सेना रेगुलर सैनिक थे, बजटरी प्रोविजन्स की कोई कमी नहीं थी, मॉडर्नाइजेशन लगातार चल रही थी और आज इस न्यू इंडिया में एक नई चीज देखने को आई है कि शायद यह पैसा बचाना चाहते हैं। पैसा बचाने के लिए अग्निपथ योजना देश की सेनाओं के ऊपर थोपी गई थी।

तो क्या मोदी जी आपकी सरकार के पास देश की सुरक्षा के लिए और देश को सुरक्षित रखने के लिए, सेना पर खर्च करने के लिए आपके पास बजट नहीं है। आप तो 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की बात करते हैं, लेकिन आप अगर मॉडर्नाइजेशन के लिए कहते हैं पैसा नहीं है। उसके लिए हम जो है चार साल के मात्र सैनिक लेकर आना चाहते हैं, हम पेंशन और ग्रेचुटी और इस सारी चीज को बचाना चाहते हैं। तो यह गलत कॉन्‍सेप्‍ट है। यह पॉलिसी ही बुनियादी तौर पर गलत है, इसलिए हम इस पॉलिसी के बारे में हर जगह जिक्र कर रहे हैं, कह रहे हैं कि यह पॉलिसी देश के लिए सही नहीं है, तो इसको, पॉलिसी को जाना पड़ेगा।

तो आप लोगों को एक और चीज बताना चाहूंगा। जहां तक बात है ट्रेनिंग की, क्योंकि ट्रेनिंग कम हो रही है। हमारे अभी तक 11 अग्निवीर शहीद हो चुके हैं और 11 अग्निवीर जो शहीद हुए पिछले एक साल में, एक साल से भी कम समय में, उनमें से सात लोग ऐसे हैं जिनकी संदिग्ध हालातों में मौत हुई है। संदि‍ग्‍ध हालात का मतलब, कि शायद गोली लगने से हुई है, लेकिन शायद वह सुसाइड हो सकते हैं या कोई और चीज हो सकती है। जब आप फौज की ट्रेनिंग को छोटा कर देंगे, डेढ़ साल बेसिक ट्रेनिंग होती है, मेंटली रॉबस्ट सोल्जर तैयार करते हो, फिजिकली रॉबस्ट सोल्जर तैयार करते हो, ऑल वेदर सोल्जर तैयार करते हो, तो उसके अगर ट्रेनिंग को कम कर देंगे, तो हो सकता है कि वह मेंटली उतना रॉबस्ट सोल्जर तैयार ना कर पाओ, जो कि देश की सुरक्षा के लिए तकलीफदेह है और इसीलिए सेना ने एंप्लॉयबिलिटी रिस्ट्रिक्‍शन निकाली कि हमारे देश के जो अग्निवीर हैं उनको, क्योंकि वह फुली ट्रेन्ड नहीं है, तो इसलिए हम उनको ऑल वेदर सैनिक के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते, इंडिपेंडेंटली कहीं अकेले डिप्लॉय नहीं कर सकते, हार्श कंडीशन में नहीं डिप्‍लॉय कर सकते और सेंसेटिव लोकेशन के अंदर नहीं डिप्‍लॉय कर सकते।

तो यह कैसे सैनिक हम तैयार कर रहे हैं और अब जो फीडबैक आ रहा है। अभी आपने देखा होगा रीसेंटली, अभी आप लोग फॉलो कर रहे हैं, तो सेनाओं के बीच में से बात आई कि एक सर्वे किया जाए कि इनकी ट्रेनिंग का ऑडिट हो, ट्रेनिंग कैसे हो रही है, क्या हम जो चाहते थे वैसे हम सैनिक तैयार कर पा रहे हैं, क्या इंटेक ठीक हो पा रहा है, क्या और तमाम तरह की समस्याओं को लेकर एक इवेलुएशन के लिए सर्वे किया जा रहा है।

यह सर्वे इस स्कीम को लाने से पहले करना चाहिए था, पायलट प्रोजेक्ट करना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया। हमारी देश की सेनाओं पर पहले यह अग्निपथ जैसी योजना थोप दी, जो सेनाओं ने नहीं मांगी थी और आज आप एक साल के बाद, क्योंकि समस्याएं यूनिटों में आ रही हैं। समस्याएं आ रही हैं, तो अब उसके ऊपर सर्वे करना चालू कर रहे हैं और अब एक और नई चीज इन्होंने एड की है, कि जो जवान हमारे भर्ती होंगे, उन जवानों का साइकोलॉजिकल टेस्ट भी किया जाएगा। तो यह तमाम तरह की चीजें हैं, जो आप सब लोगों को लोगों के बीच में लेकर जानी चाहिए।

तो साथियों, जहां तक बात है इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की, उन्होंने जो डायरेक्शन दी है हम उनको पूरी तरह से फॉलो करते हुए सेनाओं के कार्यक्रम के ऊपर, सेनाओं के काम करने के तौर तरीके के ऊपर, ऑपरेशनल प्रिपेयर्डनेस के ऊपर या उनकी एक्टिविटीज के ऊपर हम कोई बात नहीं करते हैं, लेकिन पॉलिसी बनाना लेजिस्लेटर का बेसिक काम है, रिस्पांसिबिलिटी एंड ड्यूटी है। तो यह पॉलिसी प्रोविजंस का मैटर है, इसलिए हम इसको लगातार, इस बात को, इस पॉलिसी को, अग्निपथ की पॉलिसी को उठाते रहेंगे और जो पॉलिसी देश की हितकारी नहीं है, सुरक्षा की हितकारी नहीं है, सेना की हितकारी नहीं है, तो उसको हमने स्क्रैप करने का, खत्म करने का फैसला किया है और इस फैसले के साथ हम अडिग हैं, देश की सेनाओं के साथ हैं, देश के सैनिकों के साथ हैं और उनके काम और जुनून उसको सलाम है। धन्यवाद।

ब्रह्मोस मिसाइल के संदर्भ में पूछे एक प्रश्न के उत्तर में कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि देखिए ब्रह्मोस मिसाइल ये पूरी तरह से इंडिजिनियस मिसाइल है और इसका प्रोडक्शन तकरीबन 2004 के अंदर शुरू हो गया था और सबसे पहले जो मिसाइल की जो हमारी ऑपरेशनल रिक्वायरमेंट है, उसको पूरा किया गया, प्रोडक्शन कैपेसिटी को इन्हेंस किया गया और उनको एक दिन में मिसाइल बनाना कोई छोटी बात नहीं है। मैं खुद पृथ्वी मिसाइल का स्पेशलिस्ट हूं। पृथ्वी के साथ अग्नि शुरू हुई, साथ में हमने इंडिजिनियस तौर पर ब्रह्मोस का काम शुरू किया, लेकिन ब्रह्मोस मिसाइल बनाते-बनाते हमें पहले अपनी ऑपरेशनल रिक्वायरमेंट को कंप्लीट करना था, निर्यात की पॉलिसी बनानी थी। आपको जानकर हैरानी होगी, जिस न्यू इंडिया के अंदर जिक्र करते हैं, मोदी जी कहते हैं मेक इन इंडिया 2016, ये मेक इन इंडिया डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2006 में पहली बार बनाया गया था और उसके अंदर कहा गया था कि कोई भी चीज अगर हम बाहर से खरीदते हैं या बनाते हैं देश में, तो उसके लिए डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल के अंदर कैटेगरी डिफाइन की।

एक कैटेगरी बाय ऑफ दी शेल हम खरीदेंगे कुछ सामान और एक बाय एंड मेक कैटेगरी, जिसके अंदर कुछ जैसे राफेल जहाज से, वो 126 हमने खरीदने थे, 16 जहाज फुली कंडीशन में, फिर उसके बाद सीकेडी कंडीशन के अंदर और बाकी हमारे एचएएल के अंदर बनने थे 126 जहाज। जिनको इन्होंने फुली कंडीशन चेंज करके 2015-16 के अंदर इनको चेंज करके पूरी फुली फिनिश कंडिशन में 36 जहाज ये खरीदने का काम कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी कहाँ आई, टेक्नोलॉजी ऑफ ट्रांसफर नहीं हुआ हमें। ये 2006 का जो डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल जो बनाया गया था, उसके अंदर टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने के लिए अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई थी और उसके बाद हमने फॉरेन पॉलिसी, उससे पहले 2006 से पहले हमारा देश सैनिक इक्विपमेंट प्रिक्योर किया करता था, बाहर से लेकर आया करते थे। 1980 में, 82 के अंदर हमारा इंटीग्रेटेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम चला, जिसके अंदर हमने अलग-अलग मिसाइल डेवलप की, अग्नि, नाग, पृथ्वी, आकाश, ये मिसाइल सरफेस टू सरफेस, टैंक वार के लिए एयर टू एयर मिसाइल, ये हमने डेवलप की। वो डेवलपमेंट स्टेज थी और हम मैन्यूफैक्चरिंग कर रहे थे।

वो था असली मेक इन इंडिया, डिफेंस पीएसयू को हम तगड़ा कर रहे थे और उसके बाद हमारी ऑपरेशनल प्रिपेयर्सनेस की रिक्वायरमेंट कंप्लीट हो रही थी, तो हमने 2006 के बाद प्रोक्योरमेंट मैनुअल जो भी सामान उसके बाद आया, उसका 30 प्रतिशत ऑफसेट में हिंदुस्तान में बनता था और उससे टेक्नोलॉजी की ट्रांसफर होती थी। तो इस तरह करके हमने टेक्नोलॉजी को ऑब्जर्व किया है और उसके बाद जब हमारी ऑपरेशनल प्रिपेयर्सनेस की रिक्वायरमेंट पूरी होती चली गई 2009 में, 10 में, तो फिर हमने कहा कि हम आज डेवलप कंट्री की तरह, रशिया की तरह, अमेरिका की तरह हम निर्यात भी कर सकते हैं। हथियारों का निर्यात कर सकते हैँ। हमने बर्मा के पास भी भेजा, हमने फ़िलीपीन्स के पास भी भेजा और ये ब्रह्मोस मिसाइल वाला जो सवाल पूछा है, ये भी निर्यात की पॉलिसी हमारी कई लेवल ऑफ डिस्कशन, बात हुई है, उसके बाद जाकर ये ब्रह्मोस की पॉलिसी और निर्यात की पॉलिसी बनी है।

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि जिस कांग्रेस पार्टी की आयरन लेडी, इंदिरा गांधी जी ने यूएस के प्रेसिडेंट निक्सन के सामने कहा कि हम अपनी सेफ्टी और सिक्योरिटी के लिए फैसले हम अपने आप लेंगे, आपके थोपे हुए फैसले नहीं लेंगे। उस समय भारत की डिफेंस फोर्सेज आज की तरह मॉर्डन नहीं थी, उसके बावजूद उन्होंने फैसला लिया। 1971 के अंदर फैसला लिया। मार्च में उन्होंने फैसला लिया, मार्च, 1971 के अंदर और पाकिस्तान में उस वक्त चुनाव हो रहे थे, 26 मार्च, 1971 का उनका पार्लियामेंट का फैसला हुआ, शेख मुजीबुर्रहमान वो बांग्लादेश के प्रधानमंत्री, पाकिस्तान के ईस्ट और वेस्ट पाकिस्तान, दोनों के प्रधानमंत्री बनने जा रहे थे, लेकिन क्योंकि वो बांग्लादेश, ईस्ट पाकिस्तान के थे, उनको नहीं बनने दिया।

तो ऐसे में जो हालात पैदा हुए, एक मुल्क के दो टुकड़े करने वाला आज तक 1947 के बाद से आज तक कोई मुल्क नहीं हुआ है। अमेरिका, रशिया, चीन, किसी ने एक मुल्क के दो टुकड़े करके दो देश नहीं बनाए। ये काम हमारे डिफेंस फोर्सेस ने, हमारी आयरन लेडी, इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया, जब सैम मानेकशॉ हमारे फील्ड मार्शल बने उस समय और आपको ये भी बताना चाहता हूं कि 1971 की जो वार थी, वो मिलिट्री हिस्ट्री की सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक थी, जिसके अंदर एनिमि पोजीशन के पीछे जाकर ढाका को पूरी तरह से पेरा ड्रोपिंग करके और टैंक ड्रोपिंग करके और बहुत सारी तमाम हथियार को ड्रॉप करके हमने ढाका को घेर लिया और 93 हजार फोर्सेस, उनको तो ये भी नहीं मालूम कि 90 हजार थे या 93 हजार थे, 93 हजार सैनिकों को हमने वहाँ पर सरेंडर कराया, जनरल नियाजी थे पाकिस्तान के ईस्ट कमांडर।

तो मोदी जी ने जिस तरह से कई बार कहा कि 15 लाख आएंगे, दो करोड़ नौकरियां देंगे, ओआरओपी देंगे, देश की सुरक्षा को चाक चौबंद करेंगे। कर दिया चाक चौबंद, कॉन्ट्रैक्चुअल आर्मी ले आए, तो मोदी जी की बातों के ऊपर अब देश विश्वास करना छोड़ चुका है और जुमलेबाजी नहीं चलेगी। लोग आपसे असल मुद्दों के ऊपर बात करना चाहते हैं, महंगाई के ऊपर बात करना चाहते हैं, रोजगार के ऊपर बात करना चाहते हैं। आप जाकर दुनिया को झूठ बोलकर बरगला नहीं सकते मोदी जी, आपका समय खत्म हो चुका है।

हरियाणा के संदर्भ में पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि हरियाणा के लोगों ने फैसला कर लिया है। हरियाणा के लोग चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के फेवर में लहर है और आप चार जून को देख लीजिएगा जब फैसला आएगा तो जो टीका-टिप्पणियां सब बंद हो जाएगी। कांग्रेस पार्टी दस की दस सीट जीतने जा रही है।

मैं पिछले कई दिनों से हरियाणा के एक-एक लोकसभा क्षेत्र के अंदर जाकर मैंने प्रचार किया है, सैनिकों के, पूर्व सैनिकों के प्रोग्राम किए हैं और ये जो अग्निपथ योजना और हमारी जो पांच गारंटियां हैं, ये जंगल की आग की तरह फैल चुकी हैं हर घर के अंदर प्रोलिफ्रेट कर चुके हैं और एक ही मत बाहर निकल कर आ रहा है कि कांग्रेस पार्टी को दस की दस सीटें जिताकर भेजनी है। तो ये बीजेपी या बाकी के लोग कुछ भी कह सकते हैं, इन फाइटिंग की बात कह सकते हैं और बहुत सारी बातें कर सकते हैं, लेकिन उनका हरियाणा से जाना तय है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कर्नल रोहित चौधरी ने कहा कि मोदी जी का राष्ट्रवाद, मोदी जी का देशप्रेम, मोदी जी का सेना के प्रति जो प्रेम है, वो सिर्फ यूनिफॉर्म पहनकर कारगिल में, सियाचिन में जाकर उनके साथ चाय-पकौड़ा खाने का या उनके साथ खड़े रहने का है। लेकिन जब वो वापस आते हैं, आपको याद होगा, आपको याद दिलाना चाहूंगा, 29 सितंबर, 2017 को उरी में जो अटैक हुआ था, उसके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी और 30 सितंबर को वापस आकर मोदी जी ने सबसे पहला काम किया था, डिसेबिलिटी पेंशन को खत्म करने का काम किया था, मात्र एक दिन बाद। ये उनकी देशभक्ति है, ये उनका सेना का प्रेम है।

उसके बाद हमने प्रोटेस्ट किया, वापस लेना पड़ा उनको। लेकिन अब फिर दोबारा से छह महीने पहले उन्होंने दोबारा अटैम्पट किया कि जो डिसेबिलिटी पेंशन है, उसको दोबारा से खत्म करने काम किया। उसको डिसेबिलिटी पेंशन के, डिसेबिलिटी एलिमेंट को इम्पेयरमेंट रिलीफ बना दिया, टैक्स के दायरे में ले आए। 70 साल से जो काम नहीं हुआ, उसको हमारे सैनिकों को डिसेबिलिटी पेंशन जो मिलती थी, वो टैक्स फ्री मिलती थी। उसको टैक्स के दायरे में ले आए। पहली बार लेकर आए, खत्म करने का काम किया। तो ये उनका राष्ट्रप्रेम है? अगर उनका राष्ट्रप्रेम होता, तो क्या वो देश में चार साल के सैनिक लेकर आते? चीन ने हमारा 20 हजार स्क्वायर किलोमीटर का जो डिमिलिट्राइज जोन है, उसके ऊपर अनऑथराइज्ड ऑक्यूपेशन कर चुके हैं और 22 लेवल की जो टाक्स है, मिलिट्री कमांडर लेवल की, वो हो चुकी हैं, लेकिन मोदी जी ने अभी तक या बीजेपी की सरकार ने उसको इवैक्यूएट कराने के लिए अभी क्या एक्शन लिया है? पॉलिटिकल पैरालाइसिस है।

ये सेना का नहीं है, ये डिमिलिट्राइज जोन वो जोन है दस किलोमीटर का जोन है, जिसके अंदर ग्रेजिंग लाइन भी हैं, जिसके अंदर हम भी जा सकते हैं, वो भी पेट्रोलिंग करते हैं। लेकिन अब वहाँ कोई स्ट्रक्चर्स खड़े नहीं हो सकते। अब ऐसा हुआ है, पहली बार मोदी जी की सरकार में, इनके न्यू इंडिया में, स्टैंडअप इंडिया में कि वो डिमिलिट्राइज जोन को आकर चीन काफी एरिया को ऑक्यूपाइ कर चुका है। हमारी सेनाएं सक्षम हैं अगर पॉलिसी ये बनाएं, तो हमारी सेनाएं जिस तरह से उन्होंने डोकलाम में चीनी को रिवर्स कर दिया था, बाहर निकाल दिया था, गलवान में उनको बाहर निकाल दिया था। तो ऐसे ही वो बाकी इलाके 20 हजार स्क्वायर किलोमीटर इलाके से चीनी फोर्सेस को निकालने में सक्षम है। लेकिन नेतृत्व में कमी है मोदी साहब के, डिसीजन मेकिंग में कमी है। अगर वो डिसीजन करें तो हमारी सेनाएं सक्षम हैं कि उनको वापस डिमिलिट्राइज जोन उनसे वापस ले लिया जाए।