BILASPUR, 15.05.24-एम्हा बिलासपुर के अनुसंधान अनुभाग ने 13 मई, 2024 को गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस (जीसीपी) पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व- महानिदेशक डॉ वी. एम. कटोच कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एम्स आए थे। आईसीएमआर की बायोएथिक्स युनिट की प्रमुख डॉ० रोली माधुर आमंत्रित वक्ता के रूप में कार्यशाला में भाग लेने के लिए बैंगलोर से आई थी। जनरल आर्मी मेडिकल सर्विसेज के पूर्व महानिदेशक डॉ० वी. पी. चतुर्वेदी भी इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित अतिथि थे। डॉ० सुबीर मोलिक, पूर्व एमेरिटस वैज्ञानिक, आईसीएमआ और डॉ, बिकाश मेथी, प्रोफेसर, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ ने आमंत्रित बताओं के रूप में इस कार्यक्राम में भाग लिया। राष्ट्रीय स्तर की इस महत्ापूर्ण कार्यशाला के लिए एम्क्ष बिलासपुर आए प्रतिभागियों के अलावा देश भर के हर राज्य से 900 से अधिक प्रतिभागीयों ने भी वर्चुअल मोड द्वारा कार्यशाला में शामिल हुए।

कार्यशाला का आयोजन डॉक्टरों और शोधकर्ताओं को जीसीपी के सिद्धांतों को समझने में मदद करने के लिए किया गया था। जीसीपी दिशानिर्देशों और नई दवाओं और नैदानिक परीक्षण (एनडीसीटी) नियमों का ज्ञान

किसी भी चिकित्सा शोधकर्ता, विशेष रूप से संस्थागत नैतिकता समितियों के सदस्‌ों के लिए आनरक्षक है। जीसीपी और एनडीसीटी पर अद्यतन ज्ञान नैदानिक अनुसंधान में भाग लेने वाले रोगियों के अधिकारों, सुरक्षा और कल्याण की नैतिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है। कार्यशाला का आयोजन एम्स के शैक्षणिक क्लॉक के द्वितीय तल पर चिकित्सा शिक्षा इकाई में किया गया था।

उद्घाटन समारोह सुबह 9:30 बजे गणमान्ध्र व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज‌ालन और एम्स बिलासपुर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर वीर सिंह नेगी के स्वागत भाषण के साथ शुरू हुआ, जिन्होंने चिकित्सा शोधकर्ताओं के लिए जीसीपी के जान की आवश्कता पर जोर दिया। इसके बाद मुख्य अतिथि और प्रसिद्ध राष्ट्रीय विशेषज्ञ डॉ. ची.एम. कटोच द्वारा मुख्य भाषण दिया गया। डॉ. कटोच ने आचार समिति के सदस्यों और नैदानिक

शोधकर्ताओं की भूमिकाओं एवं जिम्मेदारियों पर जोर दिया। इस विषय में अग्रणी नाम डॉ. रौली माथुर ने इस विषय पर आईसीएमआर के हालिया अपडेट के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बायोमेडिकल अनुसंधान की सुव्यवस्थित करने के लिए आईसीएमआर द्वारा की गई पहल के साथ-साथ शोधकर्ताओं और रोगियों की चिंताओं पर भी चर्चा की। डॉ. सुबीर मौलिक और डॉ. बिकाश मेधी में इस विषय पर विस्तृत जानकारी के साथ दर्शकों को अवगत कराया। कार्यक्रम का समापन शाम 5:00 बजे विदाई भाषण के साथ हुआ। वक्ताओं के रूप में विषय क्षेत्र के प्रतिक्षित दिमाजों के साथ कार्यशाला ने देश भर के डॉक्टरों और शोधकर्ताओं

को अनुसंधान करने के लिए एवं अपने ज्ञान को समृद्ध करने के लिए एक सुनहरा मंच प्रदान किया, जो नैतिकता और उत्कृष्टता के वैश्विक मानकों को पूरा करता है।