चण्डीगढ़, 02.05.24 : प्राचीन श्री गुग्गा माड़ी हनुमान मन्दिर, सेक्टर 20 के सामने रामलीला मैदान में आयोजित श्रीमद् रामचरितमानस (रामायण) रामकथा दिव्य महोत्सव के दौरान कथा व्यास विश्वविख्यात सन्त रमेश भाई शुक्ला ने प्रवचन के दौरान कहा कि ईश्वर समस्त प्राणियों के भीतर रहता है। गीता में भी इस बात का उल्लेख है कि ईश्वर मनुष्य के भीतर ही विद्यमान है। शिव का अर्थ शंकर अर्थात भक्ति है जबकि पार्वती का अर्थ श्रद्धा अर्थात ज्ञान है। ज्ञान भक्ति के बिना ईश्वर को पाना असंभव है। कथा मन सुनता है जबकि कान तो केवल सुनने का माध्यम हैं। अच्छे श्रोता बनना अति आवश्यक है । पार्वती का अर्थ बुद्धि है। आत्मा शंकर है। यह शरीर ही सच्चा शिवालय है। सती की मृत्यु के पश्चात पार्वती का जन्म होता है। पार्वती के जन्म होने पर हिमालय हरा-भरा हो जाता है । खुशहाल जीवन जीने के लिए पार्वती का जन्म जरूरी है। जीवन में सत्य को धारण करना चाहिए। सत्य वह है जो आज है, कल था और आगे भी रहेगा। परमात्मा ही सत्य है इसलिए परमात्मा से संबंध स्थापित करना चाहिए। संसार का संबंध तो दुखदाई होता है।