HISAR,21.04.24 ( KAMLESH BHARTIYA)-प्रकृति की सकल भंगिमाओं,मानवीय मन की बूझ अबूझ हलचलों,तथा समाज-संस्कृति की धड़कनों का अविकल दस्तावेज है ,नवोदित प्रवाह 2024 का वार्षिकांक।"देहरादून "से प्रकाशित यह अखबार साहित्यिक अस्मिता के शिलालेख लिखता हुआ अपने गौरवशाली इतिहास की साक्ष्य स्वयं है।

शताधिक कविता, गीतों, कथा ,लघुकथा, संस्मरण, समीक्षा , व्यंग्य तथा उत्तम वैचारिकी से सजे सँवरे प्रवाह की धज ही निराली है।

वर्तमान की मुख्य धारा में शोभित हैं प्रभु राम ,हिन्दी का वैश्विक विस्तार ,संस्कृति के बहुविध पार्श्व---इन्हें वाणी दी है डाॅ गिरीश्वर मिश्र गुणशेखर, डाॅ राजेन्द्ररंजन चतुर्वेदी ,आदि सुधी रचना शिल्पियों के कृतित्व ने।डाॅ सुधारानी पाण्डेय कृत आलेख "डाॅ गिरिजाशंकर त्रिवेदी का गद्य संसार" शीर्षकवाही लेख भावात्मक रिपोर्ताज की तरह है।

डाॅ शुभ्रता मिश्रा ,डाॅ रामविनय सिंह, एवं संजीव प्रभाकर के लेखों ने नवोन्मेषी प्रज्ञा का परिचय दिया है।
कुछ शास्त्रीय कुछ अधुनातन शैली की कविताओं ने पहल के मूल्यबोध एवं सजग चयन की गवाही दी है।उम्र का शतक लगानेवाले पं रामदरश मिश्र की कविताएं चकित करती हैं।"रामायण सा रूप तुम्हारा साँसें वृंदावन "जैसा सुरेश नीरव का गीत ,गुनगुनाने का मन करता है।डाॅ गिरिजाशंकर त्रिवेदी,डाॅ बुद्धिनाथ मिश्र , विज्ञान व्रत ,आदि की कविताएं एवं ग़ज़लें मधुसिक्त उपहार की तरह हैं।
कथा प्रेमियों के लिये अश्विनीकुमार, अनिता रश्मि, रंजना जैस्वाल ,प्रतिभा जोशी तथा कमलेश भारतीय जैसे कथाकार अपनी कथाओं के साथ उपस्थित हैं।

प्रख्यात व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ,रामस्वरूप दीक्षित पहल की श्रीवृद्धि कर रहे हैं।पत्र साहित्य एवं ललित लेख भी संकलित हैं।

संपादकीय वह वातायन है जहां से अंक सौंदर्य की झलक सुलभ है।रंगीन - सम्मोहक मुखपृष्ठ एवं रेखाचित्रों ने संप्रेषणीयता द्विगुणित की है।

कवि उद्भ्रान्त ने जैसे पहल के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को उर्जित करने का काम किया है--""सावधान करता हूं तुमको
लोकतंत्र के सजग पहरुओं
हो जाओ खबरदार।।

"इन्द्रधनुषी पहल के लिये संपादक श्री रजनीश त्रिवेदी एवं समस्त संपादक मंडल को दिल से बधाई। 142पृष्ठों का यह अंक निश्चय ही साहित्यिक विश्व एवं पाठकों के बीच पक्का पुल बनाने में सक्षम है।।
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इन्दिरा किसलय
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