CHANDIGARH, 26.08.22-प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय मल्हार उत्सव का आज यहां सुरों की मधुर ध्वनि से समापन हो गया । इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में 22 से 25 अगस्त तक किया गया । जिसमें संगीत के हर रंग को बखूबी पेश किया गया । गायन और वादन की विधाओं से सजा ये उत्सव संगीत प्रेमियों के लिए खुशनुमा यादें छोड़ गया । आज के कार्यक्रम में दिल्ली से आई रमा सुंदर रंगनाथन ने अपने शास्त्रीय गायन से समां बांध दिया ।
आज की कलाकार रमा पंडित तेजपाल एवं शांति शर्मा जी की शिष्या हैं । इन्होंने अल्पायु से संगीत सीखना शुरू किया और अपनी प्रतिभा के बल पर संगीत प्रेमियों के दिल में जगह बनाई। आजकल रमा पद्म विभूषण पंडित एल.सुब्रमण्यम के शिष्यत्व में डॉक्टरीयल थीसिस पर कार्य कर रही है । ऑल इंडिया रेडियो की ए.ग्रेड कलाकार रमा ने विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी कला को प्रदर्शित किया है ।

आज के कार्यक्रम की शुरूआत रमा ने राग मियां मल्हार में निबद्ध विलंबित एक ताल की रचना करीम नाम तेरो से की गई उपरांत मध्य लय तीन ताल से सजी बंदिश बरसन लागी बदरिया पेश करके वाहवाही बटोरी । इसके उपरांत द्रुत तीन ताल में निबद्ध अमृत मल्हार में निबद्ध बंदिश आई आई मेघा कारी प्रस्तुत की गई ।

कार्यक्रम के अगले भाग में रमा ने राग कलावती से सजी विलंबित एक ताल में निबद्ध रचना ऐ री धन धन नीदंरिया प्रस्तुत की उपरांत मध्य लय एक ताल की रचना काहे करत हो गुमान पेश की और साथ ही द्रुत तीन ताल में निबद्ध आज मिल गावो बजावो पेश करके खूब तालियां बटोरी ।

मल्हार उत्सव के समापन पर रमा ने प्रसिद्ध शब्द अव्वल अल्ला नूर उपाया जो कि राग हेमंत से सजाया गया था पेश करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया । इनके साथ तबले पर बेहतरीन तबलावादक अख्तर हसन तथा युवा एवं प्रतिभाशाली हारमोनियम वादक ललित सिसोदिया ने बखूबी संगत करके कार्यक्रम को और भी खूबसूरत बना दिया ।

कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया । इस अवसर पर केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर तथा कत्थक गुरू एवं केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर भी उपस्थित थी ।