CHANDIGARH,प्राचीन कला केन्द्र द्वारा चार दिवसीय मल्हार उत्सव का आयोजन केन्द्र के 35 स्थित एम.एल.कौसर सभागार में किया जा रहा है । इस उत्सव में देश के विभिन्न शहरों से कलाकार भाग ले रहे हैं । आज के कार्यक्रम में नादेड़ से पंडित धनंजय जोशी ने पहले दिन मल्हार उत्सव को अपने मधुर स्वरों से भीगा दिया । आज के कार्यक्रम में केन्द्र के रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे ।
आज के कार्यक्रम में नादेड़ से आए धनंजय जोशी जो कि पंडित अजय पहुनकर जी के शिष्य हैं,फिजीक्स के प्रोफैसर हैं । भौतिक विज्ञान और संगीत के इस अदभुत मेल के सामंजस्य का उदाहरण धनंजय बखूबी पेश करते हैं । इन्होंने संगीत जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है ।

धनंजय ने आज के कार्यक्रम की शुरुआत राग मियां मल्हार से की जिसमें पारम्परिक आलाप के पश्चात विलंबित एक ताल में निबद्ध बंदिश करीम नाम तेरो प्रस्तुत की । इसके पश्चात मध्य लय तीन ताल से सजी रचना बिजुरिया चमके पेश करके धनंजय ने दर्शकों की खूब प्रशंसा लूटी। साथ ही मल्हार के अनुरूप एक और रचना जिसके बोल थे ‘‘बरसन लागी रे’’ पेश करके खूब तालियां बटोरी । कार्यक्रम के अगले भाग में धनंजय ने राग सरस्वती पर आधारित रचना ‘‘सदेसवां मोरा पिया से कहीयो जा’’ पेश की । साथ ही गौड़ मल्हार में निबद्ध रचना ‘‘पापी दादरवा बुलाए’’ प्रस्तुत की जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा ।

कार्यक्रम के अंत में धनंजय ने राग भैरवी पर आधारित बंदिश ‘‘कैसी ये भलाई रे’’ पेश करके कार्यक्रम का खूबसूरत समापन किया । इनके साथ देने के लिए कुरूक्षेत्र के प्रसिद्ध हारमोनियम वादक डॉ.तरूण जोशी तथा चंडीगढ़ के जानेमाने तबला वादक महमूद खां ने संगत की । कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को पुष्प देकर सम्मानित किया गया ।

कल यानि 23 अगस्त को मल्हार के दूसरे दिन जयदीप घोष अपने सरोद वादन से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे