CHANDIGARH,11.07.22-संगीत के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करने के लिए प्राचीन कला केंद्र के अनथक प्रयास चण्डीगढ़ के लिए कोई नई बात नहीं । क्योंकि भारतीय कलाओं के प्रसार एंव प्रचार का जो बीड़ा केंद्र ने उठाया है, षायद ही कोई और संस्था इतनी तनमयता से कार्य कर रही हो। चाहे कोविड के भयावह पल हो या एक सामान्य वक्तए केंद्र नेें संगीत के प्रचार द्वारा भारतीय षास्त्रीय संगीत को हमेषा प्रफुल्लित किया है। केंद्र की पिछले 25 वर्शो से लगातार चली आ रही मासिक बैठकों का सिलसिला बिना रुकावट जारी हैं । आज केंद्र की इस मासिक बैठक की 274वीं कड़ी में यूएसऐए टैक्सास से आई षास्त्रीय गायिका रचना बोडास द्वारा भारतीय षास्त्रीय संगीत की संुन्दर प्रस्तुति पेष की गई।
आज की कलाकार रचना ने प्रारम्भिक शिक्षा अपने पिता से प्राप्त करने के बाद महान षास्त्रीय गायिका एंव गुरू वीना सहृसबु़़द्धे से संगीत की बारीकियां सीखी । इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के एम. एल. कौसर सभागार में सायं 6ः30 बजे से किया गया । रचना ने संगीत मे M.A. तक शिक्षा ग्रहण की है,। आल इंडिया रेडियो की ग्रेडेड कलाकार रचना ने देश ही नही विदेशों में भी अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन किया है और विदेश में भारतीय संगीत को संजोने का अद्भुत कार्य भी रचना बहुत लगन से करती आ रही हैं ।

आज के कार्यक्रम की षुरुआत रचना ने राग मधुवंती से की जिसमें पारम्परिक आलाप के बाद विलम्बित एक ताल की रचना पे ’लाल के नैना’ पेष करने के उपरांत मध्यताल तीन ताल छोटे ख्याल की रचना ’काहे मन करो सखी री अब’ प्रस्तुत करके खूब तालियाँ बटोरी । इसके बाद आड़ा चौताल में एक खूबसूरत तराना पेष किया । इसके पष्चात् दूसरे राग रागेश्री में मध्य लय झपताल की रचना ’’प्रथम सुर साधे’’ प्रस्तुत करके दर्षकों का खूब मनोरंजन किया ।

कार्यक्रम के अंत में रचना ने तीन ताल से सजा एक तराना पेश किया और कबीर दास जी का भजन प्रस्तुत किया । केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने बखूबी मंच संचालन किया और डॉ.शोभा कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया ।