चंडीगढ़, 11 अप्रैल-271वें मासिक बैठक कार्यक्रम के अवसर पर प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित एक भावपूर्ण शाम में ग़ज़ल प्रेमियों को प्रसिद्ध गायक और संगीतकार श्री आर.डी. कैले द्वारा मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का आयोजन एम.एल. कौसर सभागार में किया गया । इस अवसर पर केंद्र के सचिव श्री. सजल कौसर एवं कत्थक गुरु एवं रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर उपस्थित थीं।

आज के कलाकार आरडी कैले आकाशवाणी, दिल्ली के एक शीर्ष ग्रेड कलाकार हैं, उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों में कार्यक्रम की प्रस्तुति के साथ साथ और ओस्लो, नॉर्वे और ब्रिटेन में बर्मिंघम और लंदन में विभिन्न निजी महफिलों में अपनी ग़ज़लों से दर्शकों की वाहवाही लूटी ।

आरडी कैले ने एक भजन "गोपाल गोकुल वल्लभी प्रिया" के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसके बाद एक भावपूर्ण ग़ज़ल "खुश्क आँखें हो गई" और "मन की मुश्ते खाक से" पेश की । इसके बाद उन्होंने दो खूबसूरत ग़ज़लें "पिया तोसे लागे नैना मोरे ", ऐ हुस्न ए बेपरवाह तुझे के साथ साथ एक ठुमरी" ना जायो रे सौतन घर सैयां " ने श्रोता के दिल को छू लिया।

इन मधुर ग़ज़लों के बाद उन्होंने कुछ प्रसिद्द गीत एवं ग़ज़लें जैसे "दो घड़ी बैठो तुम्हारा रूप, मेरी ज़िंदगी के चिराग को", बरसती आग से कुछ, निखड़े चिरान दे अज्ज" इत्यादि पेश करके दर्शकों का मनोरंजन किया। आरडी कैले ने कार्यक्रम का समापन प्रसिद्द लोक गीत हीर "हीर आखदी जोगिया झूठ बोले" के साथ किया और दर्शकों ने तालियों से इस खूबसूरत शाम का समापन किया ।

आरडी कैली के साथ बेहतरीन संगतकारों की टोली में की बोर्ड पर जी एस लवली, तबला पर महमूद खान , गिटार पर सुरिंदर शैरी , ढोलक पर करम चंद और ऑक्टोपैड पर अरुण ने संगीत कार्यक्रम को सराहनीय समर्थन प्रदान किया। कार्यक्रम के बाद कलाकारों को सम्मानित किया गया।