CHANDIGARH,27.03.22-51वें अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य और संगीत सम्मेलन के समापन दिवस पर प्रसिद्ध तबला वादक पं. योगेश समसी और मोहनवीणा वादक पद्मभूषण पं. विश्वमोहन भट्टमोहन ने आज यहां टैगोर थिएटर में अपनी अद्वितीय प्रस्तुतियों से दर्शकों को खूबसूरत शाम और मीठी स्वरों से सराबोर कर दिया । । एसएनए अवार्डी गुरु मां डॉ. शोभा कोसर और सचिव श्री. सजल कौसर भी इस मौके पर उपस्थित थे।

आज केंद्र के संस्थापक श्री एम एल कौसर , की 14वीं पुण्यतिथि है। । इस अवसर पर केंद्र ने अपनी वार्षिक स्मारिका के 51वें संस्करण का अनावरण किया और इस संगठन के संस्थापक श्री गुरु एम एल कौसर को प्रेमपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके।
कलाकारों के बारे में: पं. योगेश समसी एक अद्वितीय तबला वादक हैं, जिन्होंने एक साथ एकल प्रदर्शन, संगत और शिक्षाशास्त्र में उपलब्धि की अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छुआ है।एकल कलाकार के रूप में, योगेश पंजाब घराने में परंपरा और नवीनता दोनों को संतुलित करते हैं। उनके प्रदर्शन पारंपरिक सामग्री की एक विशाल श्रृंखला पर महारत दिखाते हैं,साथ ही, वह अपने गुरु उस्ताद अल्लाह रक्खा के दर्शन और लयबद्ध विचार प्रक्रियाओं प्रदर्शित करते नए विचारों को प्रस्तुत करके युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं।

दूसरी ओर पद्मभूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट हिंदुस्तानी संगीत (उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत) के महँ गुरु हैं। पं. विश्व मोहन भट्ट सितार वादक एवं गुरु पंडित रविशंकर के सबसे प्रसिद्ध शिष्यों (शिष्यों) में से एक हैं। उनकी अधिकांश प्रारंभिक संगीत शिक्षा उनके परिवार से आई थी। विश्व मोहन भट्ट ने अपने पिता के गायन, रचनाओं और रागों को भिगो दिया। एक पावरहाउस कलाकार होने के नाते, उनका विश्व व्यापक प्रदर्शन हमेशा दर्शकों को आकर्षित करता है चाहे वह संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, खाड़ी देशों या उनकी मातृभूमि भारत में हो। विश्व मोहन भारतीय संस्कृति और संगीत को दुनिया भर में महिमामंडित करने और लोकप्रिय बनाने के कठिन कार्य को अंजाम देकर भारत के सांस्कृतिक राजदूत बन गए हैं।

आज के पहले कलाकार योगेश समसी शाम के पहले कलाकार थे। उन्होंने अद्वितीय लयबद्ध तबले का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। उन्होंने तबला के पंजाब घराने के विशेष रचनाओं को प्रस्तुत करके दर्शकों का प्यार प्राप्त किया। और तबला के प्रसिद्ध घरानों के उस्तादों के द्वारा रचित प्रसिद्द रचनाओं का प्रदर्शन करके खूब तालियां बटोरी । श्री तन्मय देवचके ने हारमोनियम पर बखूबी संगत की।

इस प्रदर्शन के बाद पं. विश्वमोहन जी ने दुर्लभ राग विश्वरंजनी में पारम्परिक आलाप, जोड़ के माध्यम से कार्यक्रम की बेहतरीन शुरुआत की और राग का विस्तार रूप प्रस्तुत किया। उपरांत उन्होंने द्रुत और विलम्बित गत पेश की । इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाने को राग केदार और मालगुंजी के स्वरों को भी सूंदर रचनाओं के साथ प्रस्तुत किया गया। पंडित जी ने समापन प्रस्तुति द्वारा केंद्र के संस्थापक गुरु एम.एल. कौसर को राग जोग और किरवानी के स्वरों से भावभीनी श्रद्धांजलि दी । इस भाग में उनके साथ पंडित सलिल भट्ट ने भी बखूबी साथ दिया।
पिता पुत्र की जोड़ी के साथ युवा और तबला वादक अभिषेक मिश्रा ने संगत की।

शाम के विशिष्ट अतिथियों ने कलाकारों को सम्मानित किया। श्री। सचिव सजल कौसर ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मीडिया, दर्शकों, कलाकारों और उनकी टीम का आभार व्यक्त किया। इस वर्ष में इस सम्मलेन की खूबसूरत शाम के साथ इस सम्मलेन का समापन हो गया।