CHANDIGARH, 26.03.22-प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित किये जा रहे 51वे भास्कर राव सम्मलेन के पांचवें दिन टैगोर थिएटर में दर्शकों ने मधुर गायन एवं बांसुरी वादन की खूबसूरत प्रस्तुतियों का आनंद लिया । आज के कार्यक्रम में केंद्र के चेयरमैन श्री एस के मोंगा, गुरु माँ शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर भी मौजूद थे । इस कार्यक्रम में श्री जे एम बालामुरुगन, आईऐएस, प्रमुख सचिव , माननीय राज्यपाल , पंजाब ने बतौर विशेष अतिथि शिरकत की

संजीव अभ्यंकर एक असाधारण मधुर आवाज के धनी, संजीव ने आठ साल की छोटी उम्र से ही हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने ने संगीत की शिक्षा डॉ. शोभा अभ्यंकर, पंडित पिंपलखरे जी और पद्मविभूषण पंडित जसराज जी से प्राप्त की हैं । हालाँकि उनका उद्देश्य बचपन से ही संगीत में अपना करियर बनाना था, लेकिन उन्होंने वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की है।

प्रवीण गोडखिंडी संगीतकारों के संगीत परिवार में जन्मे, प्रवीण धारवाड़ के रहने वाले हैं, एक ऐसी जगह जिसने दुनिया को पंडित भीमसेन जोशी, गंगूबाई हंगल और पंडित कुमार गंधर्व जैसे कई महान संगीतकार दिए हैं। वह अपने पिता पंडित वेंकटेश गोडखिंडी, एक प्रख्यात गायक और बंसुरी वादक को बांसुरी के लिए अपने पहले और एकमात्र गुरु के रूप में पाकर भाग्यशाली मानते हैं। इनके सुपुत्र श्री षडज गोडखिंडी भी अपने पिता की तरह प्रतिभाशाली कलाकार हैं और अपने पिता से बांसुरी वादन की विधिवत शिक्षा ले रहे हैं

आज की पहली प्रस्तुति में पंडित संजीव अभ्यंकर ने राग शुद्ध कल्याण में आलाप से अपनी प्रस्तुति आरम्भ की और विलम्बित एक ताल की रचना "बोलन लागि पपीहा " पेश की । इसके बाद संजीव ने द्रुत तीन ताल में निबद्ध एक रचना पिहरवा मोरा रे मंगा दे पेश करके संजीव ने अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया। इसके उपरांत राग कलावती में तराना और होरी में राग मिश्रा तिलंग में निबद्ध बंदिश आज मोहे मोहन खेलन होरी " पेश करके दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के अंत में मीराबाई रचित एक सुन्दर भजन " मैं तो सावरे के रंग राची" पेश किया । इनके साथ तबले पर पंडित राम कुमार मिश्रा एवं हारमोनियम पर पारोमिता मुख़र्जी ने बखूबी संगत की

कार्यक्रम के दूसरे भाग में जानेमाने बांसुरी वादक पंडित प्रवीण गोडखिंडी ने अपने पुत्र षडज के साथ मंच संभाला । इन्होंने कार्यक्रम की शुरूआत राग जोग से की । जिसमें पारम्परिक आलाप से शुरू करके जोड़ एवं मध्य ताल में मधुर रचना प्रस्तुत की । इसके पश्चात इन्होंने रूपक एवं तीन ताल में सुन्दर गतें प्रस्तुत की । कार्यक्रम के अंत में इस जोड़ी ने एक पहाड़ी धुन प्रस्तुत करके खूब तालियां बटोरी । इनके साथ तबले पर जानेमाने तबला वादक उस्ताद अकरम खान ने बखूबी संगत की ।

कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सम्मानित किया गया । कल जाने माने संतूर वादक पंडित राहुल शर्मा एवं भरतनाट्यम नृत्यांगना डॉ पद्मजा सुरेश अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।