CHANDIGARH,11.12.21-प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज 270वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें इंदौर से आए जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित गौतम काले ने शास्त्रीय गायन की मधुर स्वर लहरियों से दर्शकों को मोहित कर दिया ।
मेवाती घराने से संबंधित पदमविभूषण पंडित जसराज जी के शिष्य गौतम काले की बचपन से ही संगीत में गहरी रूचि थी । इन्होंने संगीत की शिक्षा के साथ-साथ घुड़सवारी में भी अपना परचम लहराया । आज के कार्यक्रम का आयोजन गुरू एम.एल.कौसर सभागार में सायं 6 बजे से किया गया ।
कार्यक्रम की शुरूआत गौतम ने राग बिहाग से की । जिसमें इन्होंने पारम्परिक आलाप के पश्चात विलम्बित एक ताल की बंदिश ‘‘कैसे सुख हौवे’’ प्रस्तुत की । उपरांत मध्य लय तीन ताल में निबद्ध रचना ‘‘लट उरझी सुरझा जा बालम’’ प्रस्तुत की । इसके उपरांत द्रुत तीन ताल से सजी बंदिश ‘‘देखो मोरी रंग में भीगोई डारी’’ प्रस्तुत की ।
कार्यक्रम के अंत में एक कबीर भजन ‘‘रहना नहीं देस बिराना’’ जिसकी स्वर रचना इन्होंने स्वयं की है । इनके साथ तबले पर शहर के जानेमाने तबला वादक रजनीश धीमान और हारमोनियम पर डॉ.तरूण जोशी ने बखूबी संगत की ।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को पुष्प एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।