CHANDIGARH,18.09.21-प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित की जा रही गुरमति संगीत की छठीं बैठक में जालंधर के सधे हुए कीर्तनकार भाई मनजीत सिंह शांत द्वारा शब्द कीर्तन का गायन पेश किया गया । इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में किया गया । इसके साथ ही केन्द्र के फेसबुक एवं यूट्यूब चैनल पर भी प्रसारित किया गया ।

आज के कार्यक्रम की शुरुआत राग श्री से की जिसमें उन्होंने ‘‘रागां विच श्री राग है’’ । शब्द पेश किया । गुरमति संगीत के निर्धारित रागों पर आधारित इस कार्यक्रम की खास पेशकश में भाई मनजीत सिंह ने रागों से सजे गुलदस्ते में श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की रचना ‘‘ बाजत बसंत और भैरव हिंडोल राग’’ प्रस्तुत की जिसे संगत ने बहुत प्यार से सुना । इसके उपरांत 17 मात्रा में निबद्ध मांझ में उन्होंने ‘‘सो जीवया जिस मन बसया सोए’’ शब्द पेश किया । कार्यक्रम के अंत में गुरू गोबिंद सिंह जी द्वारा रचित तराना ‘‘तदर दानी दानी तुम दानी’’ प्रस्तुत किया ।

इनके साथ तबले पर अमनदीप सिंह रूपक,गायन पर मनिंदर सिंह एवं रबाब पर नवकरनवीर सिंह ने बखूबी संगत की । कार्यक्रम के अंत में केंद्र के गुरमति संगीत विभाग के प्रमुख श्री मलकीत सिंह जंडियाला ने कलाकारों को सम्मानित किया ।