Chandigarh 30 Nov कोरोना के चलते हुए देशव्यापी लॉकडाउन में जब सब बंद था और करने को कुछ ज्यादा नहीं था। तो एक शख्स हर रोज फ्लैश बैक में जा रहा था। यह फ्लैश बैक उसकी पिछली जिंदगी का था जिसमें उसने उन सब घटनाओं को याद किया जो कोई-न-कोई सीख देकर गई थीं।

यहां बात हो रही है चंडीगढ़ के धनास के गवर्नमेंट स्कूल के इंग्लिश टीचर शमशील सिंह सोढ़ी की। अपने अब तक के जीवन में मिली सीख को शमशील ने कविताओं के रूप में लिखा और काव्य संग्रह, मन दियां लिखतां का विमोचन सोमवार को श्री गुरु नानक देव के प्रकाशोत्सव पर कर दिया।शमशील ने बताया कि मन दियां लिखतां काव्य संग्रह में 183 पंजाबी कविताएं हैं। इन्हें शमशील ने 22 मार्च से लिखना शुरू किया था। उन्होंने बताया कि अपनी कविताओं के माध्यम से उन्होंने लुप्त होते जीवन दर्शन,पर्यावरण ,संस्कृति व संस्कारों को बचाने की आवश्यकताओं को लेकर संदेश दिया है।शमशील ने कहा कि उन्होंने आपदा को अवसर में बदला। है। लॉकडाउन के समय का सदुपयोग करते हुए उन्होंने महत्वपूर्ण संदेश इन कविताओं के माध्यम से देने की कोशिश की है। वह बोले, आजकल की पीढ़ी हमारी संस्कृति, संस्कार, पर्यावरण संरक्षण, बड़ों का आदर सत्कार, पुस्तकों से प्रेम आदि भुला कर पाश्चात्य देशों की संस्कृति की नकल कर रही है। इससे उनका दिल दुखता है इसलिए उनके मन की पीड़ा को अपनी किताबों में बयान किया है , उन्होंने यह बताया की पंजाबी सिनेमा में गंभीर विषयों व् सामजिक सन्देश को दर्शाती फ़िल्में के वह शौक़ीन हैं व् फिल्म अरदास करां के मलकीत रॉनी जी के किरदार से प्रभावित होकर कई कवितायेँ रचित कीं