धर्मशाला,13.08.20--नगरोटा बगवां उपमंडल के गांव मुंदला के किसानों ने परंपरागत फ़सलों के साथ नक़दी फ़सलों की ओर रुख़ करते हुए अपनी वार्षिक आय में रिकॉर्ड आठ गुणा वृद्धि दर्ज की है। अब उनकी वार्षिक आय 57,966 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 4,22,846 रुपये हो गई है।
इन किसानों की आय में रिकॉर्ड वृद्धि का श्रेय, प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना जाइका के सहयोग से चल रही हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना को जाता है। क्षेत्र की सिंचाई के मुख्य स्त्रोत रानी कूहल को वर्षभर सिंचाई के उपयोग में लाने हेतु, इस पर 1‐2 करोड़ व्यय किए गए हैं। इससे खरीफ तथा रबी सीजन में उपज 21.5 एवं 19 क्विंटल प्रति हेक्टयेर से बढ़कर अब 28.46 और 36.16 क्विंटल प्रति हेक्टयर हो चुकी है। ग़ौरतलब है कि महज़ सात प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पर होने वाला सब्ज़ी उत्पादन बढ़कर अब 70 प्रतिशत हो गया है।
उपायुक्त कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति बताते हैं कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में सिंचाई सुविधाआंे को सुदृढ़ करने, कृषि गतिविधियों में विविधता लाने और किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के उद्देश्य से अनेक क़दम उठाए गये हैं। हिमाचल प्रदेश फ़सल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना (जाइका) के अन्तर्गत रानी कूहल के निर्माण से मूदलां के लोगों की आर्थिकी में सुधार आया है। नक़दी फसलों के उत्पादन से लोग आत्मनिर्भर हुए हैं। गांव की 2,163 मीटर लंबी रानी कूहल और 1,129 मीटर लम्बी इसकी सहायक कूहलों को पक्का कर उन्हें, वर्षभर खेतों तक पानी पहुंचाने योग्य बनाया गया है। किसान अब परंपरागत खेतीबाड़ी के स्थान पर नक़दी फ़सलों से स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। गांव की 35 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में हिमाचल प्रदेश फ़सल विविधिकरण परियोजना द्वारा सिंचाई सुविधा सुनिश्चित की गई है।
हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन परियोजना और कृषि विभाग क्षेत्र के किसानों को हरसंभव सहयोग दे रहा है। किसानों के उत्पादन ख़र्च में कमी लाने के लिए किसानों को सामूहिक रूप से तीन लाख रुपये की मशीनरी निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई है। व्यक्तिगत तौर पर 80 से 90 प्रतिशत अनुदान पर कृषि उपकरण उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। किसानों के खेतों तक मशीनों और व्यापारियों की पहंुच सुनिश्चित करने के लिए इस योजना में लगभग 42 लाख रुपये की लागत से 978 मीटर खेत संपर्क सड़क का निर्माण किया गया है। एक पोली हाउस के निर्माण पर 1‐75 लाख रुपये व्यय किये गए है।
पहले, कृषि पर निर्भर क्षेत्र की 90 प्रतिशत आबादी फ़सलों की संकर क़िस्मों के बारे में अनभिज्ञ थी। कुल बीजित क्षेत्र में रबी में मात्र 5.45 हेक्टेयर तथा खरीफ में 4.60 हेक्टयर भूमि ही सब्ज़ी उत्पादन के अधीन थी। मिटटी की सरंचना में सुधार लाने के लिए केंचुआ खाद बनाने हेतु गड्ढों के निर्माण के अतिरिक्त सब्ज़ियों की पनीरी तैयार करने के लिए पॉलीहाउस का निर्माण किया गया। कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों को संगठित करने तथा परियोजना की गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए कृषि विकास संघ (केवीए) का गठन करने के बाद, इस संघ को सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत करवाया गया। ग्रामीणों को कृषि सम्बन्धी विभिन्न विषयों पर जागरूक बनाने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया तथा आय बढ़ाने के लिए विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण के अलावा मशीनरी उपलब्ध करवाई गई। प्रशिक्षण शिविरों में किसानों को उन्नत किस्म के बीज तथा अन्य कृषि सामग्री वितरित की गई तथा प्रदर्शनी प्लॉट लगाये गए। आधुनिक कृषि प्रणाली अपनाने हेतु विभिन्न कृषि औज़ार दिए गए ताकि किसान कम समय में ज़्यादा काम कर, अपनी उत्पादन बढ़ा सकें।
रानी कूहल के पूर्व प्रधान सूबेदार मेहर सिंह कहते हैं कि इस कूहल के बनने से फ़सलों तथा सब्ज़ियों के उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई है। वर्तमान प्रधान प्रताप सिंह बताते हैं कि तमाम किसान इस कूहल के निर्माण के लिए जाइका तथा प्रदेश सरकार के धन्यवादी हैं।
ज़िला परियोजना प्रबंधक जाइका डॉ. राजेश सूद कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश फ़सल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना के तहत कांगड़ा के 2,441 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा प्रदान करने हेतु 78 परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। किसानों को आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए उन्हें नक़दी फसलों की ओर प्रेरित किया जा रहा है।