चंडीगढ़, 23 मई: इनेलो नेता चौधरी अभय सिंह चौटाला ने ‘कोरोना संक्रमण’ जैसी आपदा से बचाने में डॉक्टर्स, पुलिस और मीडिया द्वारा अहम् भूमिका निभाने की प्रशंसा करते हुए इनके स्वस्थ स्वास्थ्य की मनोकामना की। इनेलो नेता शनिवार को यहां पे्रसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार की किसानों की फसल/खेतीबाड़ी के प्रति अव्यवस्था पर रोष जताते हुए कहा कि सरकारी नियमों के अनुसार किसानों को उनकी फसल की पूरी कीमत 72 घंटों के अंदर नहीं मिल रही और जो भी पेमेंट दी गई वो 25 अप्रैत तक ही दी गई है, किसानों की बकाया राशि करीब 14 हजार करोड़ रुपया आज तक भी नहीं दिया गया है। यही दुर्दशा सरसों और चना बोने वाले किसानों की भी है।
इनेलो नेता ने कहा कि सरकार किसानों के खातों में अलग-अलग योजनाओं के तहत जो पैसे उनके खातों में जमा करवाने की बात कह रही है, उसमें से मात्र चौथे हिस्से के किसानो को ही ये सुविधा मिल पाई है। दुर्भाग्य की बात तो ये है कि सरकार में ऐसे-ऐसे लोग बैठे हैं जिनको किसानों की समस्या व खेतीबाड़ी का कोई ज्ञान ही नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर प्रदेश सरकार ने पहली जून तक किसानों को उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं किया तो हमारी पार्टी हजारों किसानों के साथ जगह-जगह धरने देगी। सरकार ने जिन बैंकों को ये जिम्मेदारी दी है, लगता नहीं कि उनकी कार्यप्रणाली से किसानों को किसी प्रकार की कोई राहत मिलेगी।
इनेलो नेता ने कहा कि बरसात में भीगने की वजह से जो गेहूं का रंग बदल जाता है उस नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करती है लेकिन प्रदेश सरकार ने उल्टा किसानों से ही 14.50 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से काट लिए। जब इस पर शोर मचा तो विभागीय मंत्री द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया कि हरियाणा सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने इस नुकसान को वहन करना मान लिया है।
उन्होंने कहा कि शराब के घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन करना चाहिए था जो कि कानूनन अन्वेषण करते हुए न्यायिक कार्रवाई करती परंतु सरकार द्वारा एसईटी का गठन करके इस घोटाले पर पर्दा डालने का काम किया है क्योंकि यह टीम केवल सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी जिसमें सरकार की मर्जी के अनुसार ही लीपापोती का काम होगा।
इनेलो नेता ने आगे कहा कि सरकार द्वारा जो ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ स्कीम लागू की है वह किसान विरोधी है क्योंकि सात हजार रुपए की जो सहायता राशि निर्धारित की है वह पर्याप्त नहीं है। जहां तक भूमिगत पानी को बचाने का प्रश्न है उसके लिए सरकार द्वारा हरियाणा की असली विरासत एसवाईएल नहर का पानी लाना और दादूपुर-नलवी नहर को पुन: जीवित करना है क्योंकि इसी से भूमिगत जलस्तर है, उसको बहाल किया जा सकता है परंतु सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के पक्ष में आने के बावजूद कोई गंभीर कदम नहीं उठाए हैं तथा दादूपुर-नलवी नहर जो पिछली सरकारों के समय भूमि का जलस्तर बढ़ाने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए खर्च करके बनाई गई थी, उसे ही बंद कर दिया है जो कि बहुत ही अफसोशजनक है तथा हरियाणा की असली विरासत के साथ खिलवाड़ है।