सोलन-दिनांक 04.10.2019-प्रदेश सरकार के महत्वाकांक्षी क्षय रोग मुक्त हिमाचल अभियान के अंतर्गत आज यहां जिला आयुर्वेदिक अस्पताल सोलन में फार्मासिस्टों के लिए क्षय रोग प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला की अध्यक्षता जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने की। कार्यशाला में सोलन जिला के अर्की, कंडाघाट तथा सोलन उपमंडलों के 50 आयुर्वेदिक औषधि योजकों को क्षय रोग के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
डॉ. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि क्षय रोग अर्थात टीबी का इलाज संभव है। सक्रिय क्षय रोग संक्रमण के लक्षणों में दो सप्ताह तक चलने वाली खांसी, शरीर में गांठे पड़ना, बलगम (म्युकस) या रक्त के साथ खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और सीने में दर्द शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग क्षय रोग के जीवाणु से संक्रमित हो सकते हैं लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। इसे सुप्त क्षय रोग कहते हैं। सुप्त क्षय रोग के कारण भविष्य में सक्रिय रोग होने की संभावना होती है। उन्होंने कहा कि रोग के लक्षणों का पता चलते ही रोगी तुरंत तपेदिक के के लिए समीप के अस्पताल जाकर जांच करवाएं।
उन्होंने औषधि योजकों का आह्वान किया कि वे क्षय रोग से ग्रसित रोगियों को दवा का पूरा कोर्स करने के लिए प्रेरित करें। समय पर परीक्षण कर दवा आरंभ करके क्षय रोग से मुक्ति पाई जा सकती है। सक्रिय क्षय रोग से ग्रसित लोगों का इलाज एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाओं से किया जाता है जो क्षय रोग के जीवाणु को नष्ट कर देती हैं। किन्तु इसके लिए यह आवश्यक है कि रोगी नियमित समय पर निर्धारित अवधि के लिए दवा का सेवन करे। उन्होंने कहा कि औषधी योजक क्षय रोगियों की काउंसिलिंग करने के साथ-साथ रोगियों का रिकॉर्ड रखना भी सुनिश्चित करें ताकि शत-प्रतिशत क्षय रोगी मुक्त समाज का निर्माण किया जा सके।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मुक्ता रस्तोगी ने इस अवसर पर कहा कि जिले में क्षय रोग से पीडि़त लगभग 1500 रोगी हैं। इनमें से 500 रोगी नालागढ़ क्षेत्र में हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सभी चिकित्सा खंडों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 02 अक्तूबर को जिलाभर में आयोजित ग्राम सभाओं में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने क्षय रोग के बारे में लोगों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि क्षय रोग के अधिकांश मामलों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 तक हिमाचल को क्षय रोग मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए आवश्यक है कि जन-जन को क्षय रोग के विषय में जागरूक किया जाए।
डॉ. मुक्ता रस्तोगी ने क्षय रोग के संबंध में विभिन्न शंकाओं का निवारण भी किया।
कार्यशाला में आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ. जयपाल गर्ग ने पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से विश्व स्तर पर क्षय रोग की स्थिति के बारे में अवगत करवाया।
डॉ. करूणेश नागल ने संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि आरएनटीसीपी क्षय रोग उन्मूलन के अनुसार पता लगाना (डिटेक्ट), उपचार करना(ट्रीट), रोकथाम(प्रिवेंट), निर्माण (बिल्ड) अर्थात डीटीपीबी को चार रणनीतिक स्तंभों में एकीकृत किया गया है।
डॉ. राजेश ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से क्षय रोग उपचार के लिए निश्चित खुराक संयोजन के संदर्भ में विस्तार से जानकारी प्रदान की।