पंचकूला25.12.18- गत दिवस भारतीय संस्कृति रत्न श्रीराव विजय प्रकाश सिंहजी ने अपने परिवार सहित मोरनी हिल्स का दौरा किया। उन्हें देखकर बड़ा हर्ष हुआ कि मोरनी क्षेत्र का समुचित विकास हो रहा है और भारत के विभिन्न क्षेत्रों के पर्यटक यहां आकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने लगे हैं।
मोरनी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए श्रीराव ने बताया कि पंचकूला क्षेत्र में मोरनी एक रमणीक स्थल है। झीलों वाले इस पहाड़ी स्थल का महत्व प्राचीन काल से रहा है। कहते हैं कि पूर्व काल में जब देवी ने राक्षसों को पराजित किया और देवताओं को फिर से स्थापित कर दिया तब देवताओं ने यहीं देवी की स्तुति की थी।
यह स्थान पिंजौर के दक्षिण - पश्चिम में स्थित है जिस पर कभी राजपूत ठाकुरों का राज्य हुआ करता था, जो सिरमौर राज्य के अधीन थे। उसके पश्चात यह क्षेत्र प्रताप चंद को दे दिया गया जिसकी लगभग 11 पीढ़ियों ने यहां राज्य किया। फिर 17 वीं शताब्दी ईस्वी के मध्यकाल में सिरमौर के राजा ने मतभेद होने के कारण जब उन्हें यहां से निकालने के लिए दिल्ली के हकीम कासिम खान की मदद ली, तब कासिम खान ने यह क्षेत्र अपने अधीन कर लिया। लगभग 100 साल बाद सिरमौर के राजा ने इसे फिर से जीत लिया। 19 वी शताब्दी में यह तब तक उसके पास रहा जब गोरखों ने उसे हरा दिया। लगभग 4 वर्ष तक यह क्षेत्र गोरखों के अधीन रहा। सन् 1814 - 15 में हुई गोरखा कैंपेन के पश्चात यह क्षेत्र अंग्रेजों की अधीनता में आ गया जिन्होंने इस क्षेत्र को कासिम खान के वंशज मीर जाफर खान को इनाम स्वरूप दे दिया, जिसने 1849 में हुए युद्ध में अंग्रेजों की सेवा की थी। उसके पश्चात यह उसी परिवार की जागीर के रूप में रहा।
अब यह हरियाणा के पंचकूला जिला का अंग है। हरियाणा सरकार ने इसके विकास के लिए समय-समय पर बड़े महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और बहुमुखी विकास करते हुए अनेक सुख- सुविधाओं से संपन्न किया है।
अगर यह प्रक्रिया जारी रही तो वह दिन दूर नहीं जब मोरनी का पहाड़ी क्षेत्र देश में ही नहीं बल्कि विश्व में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल का रूप ले लेगा।

श्रीराव ने बताया कि मोरनी क्षेत्र की अनेक विशेषताएं दर्शकों को आकर्षित करती हैं। इनमें सम्मिलित हैं एक झील के किनारे स्थित भगवान श्री कृष्ण जी का प्राचीन मंदिर और एक अन्य स्थान पर सैकड़ों साल पुराना एक विशालकाय वटवृक्ष, जिसकी जड़ें पुनः वृक्षों में परिवर्तित होकर इसकी विलक्षणता को बढ़ा रही हैं। इस तरह के प्राचीन वृक्ष अब दुर्लभ हो गए हैं। एक झील के किनारे पर पर्यटन विभाग ने पर्यटक आवास स्थल भी बना दिया है ताकि लोग यहां पर प्रकृति का मनोरम दृश्य देखकर शहर की दौड़भरी जिंदगी से निजात पा सके, झील में बोटिंग कर सकें और बच्चे तरह-तरह के झूलों का भी लुत्फ उठा सकें।