CHANDIGARH, 04.11.22-रूहानियत के एहसास में इंसानियत का आधार संभव है और मानवीय गुणों को धारण करने के उपरांत ही मनुष्य सही अर्थो में इंसानियत के पद चिन्हों पर चल पाता है तथा अपने अमूल्य जन्म, मनुष्य स्वरूप का अर्थ समझ पाता है। मानव शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है तथा मानव जीवन को ग्रंथों में बहुत ही अमूल्य और दुर्लभ बताया गया है। यह मानव जीवन बार बार नहीं मिल सकता क्योंकि यह केवल सृजनहार की विशेष कृपा से ही प्राप्त होता है। ऐसे सृजनहार को जानना ही इस मानव जीवन का प्राथमिक उद्देश्य बताया गया है। कहा भी गया है कि ‘‘मन तू ज्योति स्वरूप है, अपना मूल पहचान।‘‘ यदि सृजनहार का यश गाना व उसकी तारीफें करना ही हमारा कार्य होता तो यह कार्य तो सारा जगत ही कर रहा है। परमात्मा की पहचान के बिना भक्ति, भक्ति नहीं होती। कहा भी है, ‘‘बिन डिट्ठे क्या सलाइए अन्धा अन्ध कमाए।‘‘ वह कौन सी ऐसी शक्ति है जो सूरज-चांद-सितारों को रोके हुए है? वह कौन सा आधार है जिस पर यह पृथ्वी टिकी हुई है? वह कौन-सी ऐसी ताकत है जो कण-कण को स्थिर किए हुए है? ऐसी शक्ति को बिना जाने इस मानव जन्म को अकारण ही खोना व्यर्थ नहीं तो और क्या है। यह नाशवान् आंखे निराकार का साकक्षात्कार नहीं कर सकती परन्तु बुद्धि के द्वारा निराकार अविनाशी की अनुभूति संभव है। जिस प्रकार बुद्धि द्वारा दूसरे सूक्ष्म तत्वों की अनुभूति की जा सकती है जिसका कोई रूप रंग नहीं होता। उसी प्रकार परमात्मा को जानने हेतु सत्गुरु के ब्रह्मज्ञान की आवश्यकता होती है जैसे आइने की आवश्यकता अपना चेहरा देखने के लिए होती है उसी प्रकार सत्गुरु की आवश्यकता निज स्वरूप को पहचाने के लिए होती है। कहा भी है, ‘कहो नानक गुरु बिन नाही सूझे हरि साजन सबके निकट खड़ा।‘‘
ब्रह्मज्ञान न केवल मोक्ष का दाता होता है अपितु परलोक सुधार का भी एकमात्र साधन है। ब्रह्मज्ञानी संत का जीवन सदा निर्मल, हृदय स्वच्छ, वचन मधुर और कर्म परोपकारी वाला होता है। ऐसी धारणा से जीवन में लोक सुखी परलोक सुहेले का स्वप्न साकार हो जाता है। संसार को आवाज देते हुए मुझे हर्ष होता है कि सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज से ब्रह्मज्ञान प्राप्त करके इस मानव जीवन का ध्येय पूर्ण किया जा सकता। जन जन को सुखी करने के लिए इस प्रकार के संत समागमों का आयोजन समय समय पर किया जाता रहा है।
जैसा कि विदित ही है कि आध्यात्मिक स्थल, समालखा, हरियाणा में 16 से 20 नवंबर, 2022 को 75वाँ वार्षिक निरंकारी संत समागम सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की छत्रछाया में होने जा रहा है। इस समागम में भारत के अतिरिक्त विश्वभर से लाखों श्रद्धालु भक्त पहुंच रहे हैं। निरंकारी मिशन की ओर से आयोजित इस पावन संत समागम में यही संदेश दिया जाएगा कि ब्रह्मज्ञान प्राप्त करके इस मानव शरीर का ध्येय पूर्ण करें।