करनाल, 21.04.22- आम आदमी पार्टी अराजकता और अस्थिरता में विश्वास करती है। पार्टी के दिल्ली की सत्ता में आते ही वहां उपद्रव का दौर शुरू हो गया था। यह सिलसिला आज जहांगीरपुरी तक कायम है। पंजाब की सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी अब दो पड़ोसी राज्यों को आपस में लड़ा कर देश में गृहयुद्ध पैदा करना चाहती है। सतलुज यमुना लिंक नहर के पानी पर हरपाल चीमा द्वारा दिया गया बयान अत्यंत शर्मनाक और विभाजनकारी है। यह कहना है हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान का। वह पंजाब के वित्तमंत्री हरपाल चीमा द्वारा दिए गए उस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब के पानी पर पंजाब का ही हक है। पंजाब के पानी की एक भी बूंद किसी दूसरे राज्य को नहीं जाने दिया जाएगा, इसके लिए चाहे जो भी कुर्बानी देनी पड़ेगी। डॉ. चौहान ने कहा, ऐसा लगता है कि एसवाईएल नहर के पानी पर आम आदमी पार्टी की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। यह पार्टी सिर्फ विवाद पैदा करना चाहती है। अभी हाल में ही आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रभारी व सांसद सुशील गुप्ता ने कहा था कि वर्ष 2024 में हरियाणा में आप की सरकार बनी तो राज्य के हर खेत में एसवाईएल नहर का पानी पहुंचेगा।

भाजपा प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि क़ानून और संविधान विरोधी बातें करने के बजाय अरविंद केजरीवाल, सुशील गुप्ता और भगवंत मान को तत्काल नहर का निर्माण शुरू कराना चाहिए। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रभारी सुशील गुप्ता के दावे के बाद विरोधी दलों ने आप को घेर लिया था। अकाली दल नेता सुखबीर बादल, कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू और राजा वडिंग से लेकर विरोधी दलों ने अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को घेरते हुए इस मामले में अपना स्टैंड स्पष्ट करने को कहा था। इसके बाद ही हरपाल चीमा ने पंजाब सरकार का रुख जाहिर किया है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी पंजाब में कुछ और बोलती है और हरियाणा में कुछ और।

डॉ. चौहान ने कहा कि पंजाब की सत्ता पर आम आदमी पार्टी के काबिल होते ही साजिशों का दौर शुरू हो गया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली यह पार्टी कानून और संविधान की एकतरफा व्याख्या कर लोगों को गुमराह करने का काम करती है। शाहीन बाग से लेकर कथित किसान आंदोलन और दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों में आम आदमी पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की भूमिका सब देख चुके हैं। चंडीगढ़ पर दावे को लेकर पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया जाना भी इसी एजेंडे का हिस्सा है। डॉ. चौहान ने कहा कि चंडीगढ़ पर प्रस्ताव पारित करने के बाद एसवाईएल का मुद्दा उठाना अरविंद केजरीवाल की अराजकतावादी राजनीति का नया हथकंडा प्रतीत होता है। एसवाईएल का मुद्दा चंडीगढ़ पर स्वामित्व के मुद्दे से भी जुड़ा है। विवादों को सुलझाते समय सभी मुद्दों को समग्र रूप में देखना होगा।