करनाल, 02.09.21- हरियाणा के सरकारी विभागों में अब अधिकारियों के लिए काम के प्रति लापरवाही बरतना मुश्किल होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक सॉफ्टवेयर लांच किया है जिसका नाम है 'आस'। आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखकर लांच किए गए इस सॉफ्टवेयर में सभी अधिसूचित आवश्यक सेवाओं को निपटाने की एक समय सीमा निर्धारित की गई है। इसे जनता के सेवा के अधिकार को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। किसी भी अधिकारी को अपने पास आई सेवा संबंधी फाइल को तय समय सीमा के भीतर ही निपटाना होगा। यदि वह उस समय सीमा के भीतर अपने दायित्वों को पूरा नहीं कर पाता तो सॉफ्टवेयर इसकी शिकायत स्वत: उच्च अधिकारियों के पास भेज देगा और अंततः यह शिकायत आयोग के पास भी पहुंच सकती है। इस प्रकार अधिकारियों के लिए अब फाइलों पर कुंडली मारकर बैठना संभव नहीं हो सकेगा। यह जानकारी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने रेडियो ग्रामोदय के लाइव कार्यक्रम के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने सॉफ्टवेयर के लोकार्पण के समय यह भी कहा कि आम जनता को इस डिजिटल मंच के बारे में पता होना चाहिए। सरकार इसके प्रति लोगों को जागरूक करेगी। मुख्यमंत्री ने अन्य लोगों से भी इस सूचना के प्रचार प्रसार की अपील की है।

लाइव कार्यक्रम के दौरान गुरुग्राम से जुड़े प्रवीण चंद्र वशिष्ठ ने प्रदेश में तालाबों एवं जोहड़ों की सफाई का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तालाबों की सफाई उचित तरीके से नहीं हो पा रही है। कहीं कहीं तो धन की कमी भी आड़े आ रही है। इस पर डॉ. चौहान ने कहा कि हरियाणा सरकार ने तालाबों की सफाई के लिए विशेष रुप से हरियाणा तालाब एवं अवशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन कर रखा है। प्रदेश के किसी भी गांव में यदि जलाशयों की सफाई न हो रही हो तो इस प्राधिकरण को समस्या के बारे में लिखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण के अलावा हर गांव में नागरिकों की समितियों का भी गठन होना चाहिए जो तालाबों एवं जलाशयों पर नाजायज कब्जों को रोके।

ग्राम चोचड़ा से जुड़े एक अन्य प्रतिभागी ने गांव में अपेक्षित विकास कार्य न होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि गांव में बरसाती पानी की निकासी का उचित प्रबंध न होने के कारण बारिश के दौरान गांव में जलजमाव की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा गांव में खेलकूद की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए खेल स्टेडियम का भी अभाव है।