जाॅर्ज एवरेस्ट स्टेट मसूरी में हाॅट बैलून फेस्टेवल का होगा आयोजन

देहरादून 06 नवम्बर, 2020। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा एमटीबी “हील विद व्हील्स” साइकिल रैली, जाॅर्ज एवरेस्ट स्टेट मसूरी में हाॅट बैलून फेस्टेवल व उत्तरा आर्ट गैलरी एमडीडीए काॅम्पलैक्स घंटाघर में फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। साइकिल रैली में प्रतिभाग करने के लिए प्रतिभागियों की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। राज्य से अब तक 200 राइडर्स पंजीकरण हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत साइकिल रैली को सीएम आवास से रविवार 8 नवम्बर को प्रातः 6:30 बजे हरी झण्डी दिखाकर रवाना करेंगे, जिसके बाद मुख्यमंत्री तीन दिवसीय मैजिस्टिक उत्तराखण्ड फोटो प्रदर्शनी का शुभारंभ करेंगे। यह प्रदर्शनी देहरादूनवासियों के लिए 8 नवम्बर से 10 नवम्बर तक लगी रहेगी। इस आर्ट गैलरी में राज्य के प्रतिष्ठित स्थानीय फोटोग्राफरों द्वारा पर्यटन संबंधी खींची गयी बेहतरीन फोटो को प्रदर्शित किया जायेगा।

साइकिल रैली को सफल बनाने के लिए पर्यटन विभाग के अधिकारियों, तकनीकी टीम और साइकिल चालकों ने गुरूवार को सीएम आवास से जॉर्ज एवरेस्ट, मसूरी मार्ग तक के रूट की जांच की। साइकिल रैली का संचालन करने वाले अधिकारी मार्ग की प्रभावकारिता जांच करने के लिए आवश्यक उपकरणों से लैस थे। साइकिल रैली की यह यात्रा सीएम आवास से जाॅर्ज एवरेस्ट तक एक तरफ 30 किलोमीटर है। रविवार को होने वाले बाइसाइकिल रैली सीएम आवास से प्रारंभ होकर किमारी, बसागथ मार्ग से होकर जाॅर्ज एवरेस्ट पर पहुंचेगी। यूटीडीबी द्वारा साइकिल रैली मार्ग में राइडर्स के लिए चार जगह पर जलपान व रिफ्रेशमेंट की व्यवस्था की गयी है जहां पर स्वयंसेवक तैनात रहेंगे। उक्त कार्यक्रम में सीमा शर्मा को नोडल अधिकारी तैनात किया गया है।

कोविड के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए, साइकिल चालक 10 के समूह में आगे बढ़ेंगे। साइकिल रैली को पुलिस विभाग का भी समर्थन मिल रहा है, मार्शल ग्रुप रैली के सुचारू रूप से चलने के लिए सड़क सुरक्षा और यातायात की निगरानी भी करेगा। साइकिल रैली में यूटीडीबी द्वारा प्रतिभागियों की सुरक्षा व सुविधा के लिए 108 एम्बुलेंस सहित चिकित्सा दल व आवश्यक औषधि की भी व्यवस्था की गई है।

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा, “एमटीबी “हील विद व्हील्स” साइकिल रैली के लिए प्रतिभागियों का अच्छा रूझान देखने को मिल रहा है। साइकिल रैली को सफल बनाने के लिए हम सामुहिक रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूटीडीबी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय फोटो प्रदर्शनी में राज्य के फोटोग्राफरों द्वारा खींचे गये पर्यटन के अलौकिक सौन्दर्य को इस आर्ट गैलरी में दर्शाया जायेगा।

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ट्रैकिंग ट्रक्शन सेन्टर होम-स्टे योजना के अन्तर्गत पारम्परिक पहाड़ी शैली में बने भवनों को प्राथमिकता दी जायेगी-जावलकर

देहरादून 06 नवम्बर, 2020। पर्यटन विभाग द्वारा ट्रैकिंग ट्रक्शन सेन्टर होम-स्टे नियमावली-2020 के प्राविधानों के अन्तर्गत जनपद उŸारकाशी के अगोड़ा जबकि जनपद टिहरी के घुत्तू के पात्र व्यक्तियों को योजना का लाभ प्रदान किये जाने के लिए अधिसूचित किया गया है। चयनित आवेदकों को अटैच्ड टाॅयलेट सहित नये कक्षों के निमार्ण हेतु प्रति कक्ष रू0 60,000/- तथा पूर्व से निर्मित कक्षों के साज-सज्जा हेतु रू0 25,000/-प्रति कक्ष अधिकतम 06 कक्ष तक की राज सहायता प्रदान की जायेगी। योजना का लाभ प्रदान किये जाने हेतु अगोड़ा से आरम्भ होने वाले ट्रैकिंग मार्गों हेतु अगोड़ा, भंकुली, गजोली, दासडा़ व नौगांव जबकि घुत्तू से आरम्भ होने वाले ट्रैकिंग मार्गों हेतु घुत्तू, रानीडाल, ऋषिधार, सत्याल, मल्ला मेहरगांव गांवों को अधिसूचित किया गया है।

सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि लाभार्थियों का चयन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के माध्यम से किया जायेगा, और मूल्यांकन समिति के परीक्षण के उपरान्त प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण के माध्यम से अनुदान की राशि लाभार्थियों को अन्तरित की जायेगी। सम्बन्धित जनपदों के जिला पर्यटन विकास अधिकारी चयन समिति के सचिव और मूल्याकंन समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगें।

उन्हांेने कहा कि इस योजना का उद्देश्य ट्रैकिंग टूरिज्म की सम्भावनाओं वाले दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटकों हेतु आवासीय सुविधायें स्थापित करते हुए राज्य में साहसिक पर्यटन को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करना है। उन्हांेने कहा कि राजकीय सहायता देकर सरकार स्थानीय लोगों को सशक्त कर रही है, ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके। पलायन को रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों को पर्यटन के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह योजना कारगर सिद्ध होगी। योजना के अन्तर्गत पारम्परिक पहाड़ी शैली में बने भवनों को प्राथमिकता दी जायेगी। सम्बन्धित गांव के मूल निवासी ही योजना का लाभ ले सकेंगे। यह योजना पोस्ट कोविड काल में देश के अन्य शहरों से वापस लौटे युवा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन सिद्ध होगी और इस प्रकार रिर्वस माइग्रेशन को बढ़ावा देने का काम करेगी।

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पर्यटकों को लुभा रहे हैं पहाड़ी व्यंजन

देहरादून 06 नवम्बर, 2020। जब हम उत्तराखंड की रमणीक व सुरम्य घाटियों के बारे में सोचते हैं, तो आमतौर पर उनकी अद्भुत सुंदरता हमारे दिमाग में आती है। उत्तराखण्ड को देवों की भूमि के रूप में जाना जाता है। यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे देवस्थान हैं तो गंगा, भागीरथी और अलकनंदा जैसी पावन और जीवनदायिनी नदियां भी हैं।

प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य में नंदादेवी और द्रोणागिरी की बर्फ से ढकी चोटियों का योगदान है तो ऋषिकेश, जिम कॉर्बेट और औली जैसे एडवेंचर टूरिज्म के केंद्र भी हैं। झीलों की नगरी नैनीताल और पर्यटकों को आकर्षित करने वाली फूलों की घाटी पूरे विश्व में विख्यात है।

पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड के चर्चित होने के बावजूद अधिकांश पर्यटक प्रदेश के स्थानीय भोजन से बहुत अधिक परिचित अभी नहीं हैं। ये व्यंजन केवल स्वादिष्ट हैं बल्कि पूर्ण रूप से पौष्टिक होने की वजह से शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को भी बढ़ाते हैं। उत्तराखण्ड के व्यंजन सरल लेकिन अविश्वसनीय हैं। यहां प्राथमिक भोजन में गेहूं के रोटी के साथ सब्जियां शामिल हैं जो स्थानीय लोगों का मुख्य भोजन है। दालों से बनने वाले व्यंजन स्थानीय भोजन का प्रमुख हिस्सा हैं। धीमी आग पर पकाया गया यह भोजन अद्भुत स्वाद देता है। खाना पकाने में टमाटर, दूध और दूध आधारित उत्पादों का बखूबी उपयोग हर व्यंजन को विशिष्ट बनाता है।

प्रदेश की विशिष्टताओं के बारे में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं, ‘‘उत्तराखण्ड राज्य न केवल अपनी प्राचीन प्रकृति, स्वच्छ हवा, पानी और खाद्य उत्पादों आदि के लिए जाना जाता है, बल्कि औषधीय जड़ी-बूटियों के अपने समृद्ध भंडार के लिए भी काफी लोकप्रिय है। उत्तराखण्ड में पॉलीहर्बल्स, मसालों का भंडार है, जो अपने चिकित्सीय उपयोग के लिए जाने जाते हैं और सदियों से ऋषियों और आयुर्वेद में विश्वास करने वाले लोगों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। उत्तराखण्ड का पहाड़ी व्यंजन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है और शारीरिक क्षमता को भी बढ़ाता है। पर्यटक उत्तराखंड आकर इन सभी विशेषताओं का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए हमारी सरकार राज्य के पर्यटन क्षेत्र में पाक कला को सामने लाने पर विचार कर रही है। यदि पर्यटन के लिए पहाड़ी व्यंजनों को खोजा जाता है और कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो बहुत ही कम समय के भीतर, राज्य खुद को वैश्विक मानचित्र में पाक केंद्र के रूप में स्थापित कर लेगा।“

उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद् के सचिव दिलीप जावलकर ने कहा, ‘‘हेल्थ एंड वेलनेस उत्तराखंड पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। वर्तमान में हेल्थ एंड वेलनेस में इम्यूनिटी भी महत्वपूर्ण हो गयी है, राज्य में इम्युनिटी बढ़ाने वाले व्यंजनों की पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए, कोविड संक्रमण के समय में कुमाऊंनी व गढ़वाली व्यंजनों की समृद्ध विरासत को मिलाकर राज्य को ‘हिमालयन इम्यूनिटी फूड’ केंद्र के रुप में विकसित करने का प्रस्ताव भेजा गया है।’’

उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्रों में कुछ लोकप्रिय व्यंजन हैं जो निम्न प्रकार हैं-

काफुली -उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल क्षेत्र में प्रसिद्ध शाकाहारी पकवानों में से एक काफुली काफी स्वादिष्ट व्यंजन है जिसका आनंद ज्यादातर सर्दियों के मौसम में लिया जाता है। इसे पालक, लाई और मेथी के पत्तों से बनाया जाता है। लोहे की कड़ाही में पकाया जाने वाले इस स्थानीय व्यंजन को गर्म चावल के साथ खाने का आनंद ही अलग है। स्थानीय भाषा में इसे कापा भी कहा जाता है, यह एक पौष्टिक व्यंजन है जो आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और ई जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध है।

पहाड़ी मसूर की दाल - मसूर की दाल उत्तराखंड के कुमाऊँ व गढ़वाल दोनों क्षेत्रों का प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन है। स्वास्थ्य लाभ के संदर्भ में, यह रक्त कोशिकाओं के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, हड्डियों को मजबूत और आंखों की दृष्टि शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। देसी घी, चपातियों और चावल के साथ इस पहाड़ी मसूर दाल का आनंद लिया जाता है।

भट्ट के डूबके -भट्ट के डूबके कुमाऊँ क्षेत्र का एक पारंपरिक पकवान है। उच्च प्रोटीन और फाइबर के साथ समृद्ध, यह भट्ट या काले सोयाबीन के साथ बनाया जाता है। इस पारंपरिक पकवान को देखते हुए मुंह में पानी आने लगता है, भट्ट के डूबके पाचन में मदद करने के साथ ही रक्तचाप को कम करता है और विटामिन ई और अमीनो एसिड का एक बड़ा स्रोत भी है

झंगोरे की खीर -उत्तराखंड में पैदा होने वाला झंगोरा एक प्रकार का अनाज है जिससे गढ़वाल क्षेत्र में झंगोरे की खीर बनाई जाती है। यह एक स्वादिष्ट स्वीट डिश के रूप में उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय है। झंगोरे की खीर में दूध को मिलाया जाता है जिससे एक अनूठा स्वाद आता है।

भांग की चटनी -उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले व्यंजनों में भांग की चटनी है। यह भुने हुए भांग के बीज और भुने जीरे के साथ नींबू का रस, मिर्च और हरी धनिया पत्ती से तैयार किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य व्यंजनों के साथ प्रोटीन से समृद्ध भांग की चटनी को खाने के लिए परोशा जाता है। भांग का प्रयोग सर्दियों में पहाड़़ी सब्जियों में भी किया जाता है।

कंडाली का साग -कंडाली का साग उत्तराखंड में तैयार किए जाने वाले लोकप्रिय गढ़वाली व्यंजनों में से एक है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध स्थानीय पौधों में से एक कंडाली का उपयोग इस व्यंजन को तैयार करने में किया जाता है। कंडाली का साग आयरन, फॉर्मिक एसिड, विटामिन ए और फाइबर से समृद्ध होता है। पर्यटक राज्य में आकर चपाती या चावल के साथ इस व्यंजन का आनंद ले सकत हैं।

कोविड महामारी के दौरान होम स्टे पर्यटकों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन गया है क्योंकि उनमें से अधिकांश राज्य के दूरस्थ स्थानों में स्थित हैं जो जंगलों, पहाड़, बुग्याल के मैदान और तारों से रात के आसमान के बीच कम बजट में आवास प्रदान करते हैं। इन दिनों प्रदेश के होम स्टे स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जियों से तैयार स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्धक स्थानीय व्यंजनों के जरिए पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। यह भोजन पर्यटकों को स्थानीय परिवार पांरपरिक शैली में परोसते हैं।

कोविड महामारी के कारण लोगों ने अब अपनी पसंद को सामान्य व्यंजनों से स्वस्थ स्थानीय व्यंजनों में स्थानांतरित कर दिया है। इसी आदर्श को आगे बढ़ाते हुए, रुद्रप्रयाग में वन इको रिजॉर्ट के मालिक अंशुल भट्ट ने अब पारंपरिक स्थानीय जड़ी-बूटियों से तैयार स्थानीय पेय को मेहमानों के लिए परोसना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि “हमने अपने मेनू में स्वस्थ ‘‘मंडवे की रोटी, गुलथिया, झंगोरे की खीर’’ को शामिल किया है क्योंकि अधिकांश पर्यटक अपने स्वस्थ्य के प्रति अधिक सचेत हैं। हम अपने व्यंजनों को तैयार करने के लिए स्थानीय देसी घी और पहाड़ी नमक ‘नूण’ का भी उपयोग करते हैं।

अब उत्तराखण्ड के कई रेस्तरां भी अपने मेनू में राज्य के स्थानीय व्यंजनों को प्रमुखता से स्थान दे रहे हैं। दूसरे प्रकार के व्यंजनों से लेकर सैंडविच की दुकानों तक सभी प्रकार के विभिन्न रेस्तरांओं में भी पहाड़ी व्यंजन अपनी जगह बना रहे हैं। ये स्थानीय व्यंजन इन्हें सही मायने में प्रतिस्पर्धा से अलग खड़ा करने और पर्यटकों को इम्युनिटी बूस्टर के विदेशी स्रोतों के विकल्पों की पेशकश कर रहे हैं।

देहरादून जौलीग्रांट हवाई अड्डे के पास स्थित कैफे डिंडयाली की मालिक, श्रीमती साक्षी बहुगुणा रतूड़ी ने बताया कि ‘हमारे कैफे में प्रामाणिक गढ़वाली मेनू है जहाँ हम कंडाली का साग, काफुली, मीठा भात, जैसे स्थानीय व्यंजन पर्यटकों को परोसते हैं। हम अपने कैफे और होमस्टे के माध्यम से अपने पारंपरिक गढ़वाली खाद्य पदार्थों और संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।” पर्यटक इसका आनंद ले रहे हैं और यहां तक कि उन्हें धन्यवाद भी देते हैं कि अन्य कैफे के मुकाबले असली खाना परोसा जाता हैं क्योंकि वे नियमित भोजन खाने से ऊब चुके हैं।’’

उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन और व्यंजनों को लोकप्रिय बनाने के लिये किये जा रहे प्रदेश सरकार के प्रयासों का लाभ पर्यटकों को आकर्षित करने में मिलेगा।

कोविड महामारी के दौरान लोगों के खानपान के व्यवहार में जो बदलाव आया है, उसका लाभ उत्तराखंड को उसके व्यंजनों की विविधता के चलते मिलना सुनिश्चित है।

प्रदेश सरकार का मिशन और विजन उत्तराखंड को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में स्थान दिलाना है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-हेम प्रकाश-8193044427