चण्डीगढ़, 12.11.25- : श्री गुरु गोबिन्द सिंह कॉलेज, चण्डीगढ़ ने सिख एजुकेशनल सोसाइटी (एसईएस) के तत्वावधान में तथा गुरमत विचार सभा द्वारा इतिहास (पीजी) विभाग, तुलनात्मक धर्म अध्ययन विभाग और संगीत विभाग के सहयोग से श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहादत दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया।

एसईएस के मुख्य संरक्षकों अध्यक्ष गुरदेव सिंह (आईएएस, रिटायर्ड), महासचिव जस्मेर सिंह बाला, उपाध्यक्ष डॉ. बीरेंद्र कौर और संयुक्त एडवोकेट करणदीप सिंह चीमा के मार्गदर्शन में कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज गुरुद्वारा साहिब में श्री सहज पाठ साहिब के भोग से हुई। इसके पश्चात शबद कीर्तन व आसा दी वार की भावपूर्ण प्रस्तुतियाँ अध्यापकों और विद्यार्थियों द्वारा दी गई, जिन्होंने वातावरण को भक्ति और श्रद्धा से भर दिया। विद्यार्थियों ने पारंपरिक सिख युद्ध कला गतका का भी प्रदर्शन किया, जिसमें अनुशासन और वीरता का अद्भुत मेल देखने को मिला।
कार्यक्रम में विशेष व्याख्यान प्रोफेसर मंजीत सिंह, पूर्व जत्थेदार, आनंदपुर साहिब ने दिया। उन्होंने श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, शिक्षाओं और उनके सर्वोच्च बलिदान पर प्रकाश डालते हुए धार्मिक स्वतंत्रता, करुणा और अटूट विश्वास का संदेश रेखांकित किया। सेंट्रल श्री गुरु सिंह सभा, चण्डीगढ़ के विद्यार्थियों ने पुस्तक प्रदर्शनी स्टॉल लगाया। कार्यक्रम के अंतर्गत इंटर कॉलेज ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिनमें श्री गुरु गोबिन्द सिंह कॉलेज, सेक्टर 26 के परविंदर सिंह देओल ने प्रथम पुरस्कार, सरकारी कॉलेज फॉर गर्ल्स, लुधियाना की सिमरनजीत कौर और पीजीजीसीजी-42 की हरमंजोत कौर ने द्वितीय पुरस्कार तथा संत बाबा सेवा सिंह मेमोरियल कॉलेज की सोनी देवी और पटेल मेमोरियल नेशनल कॉलेज की कीर्ति ने तृतीय पुरस्कार हासिल किया।
इसके अतिरिक्त शीशगंज साहिब (दिल्ली) से आनंदपुर साहिब तक गुरु शीश मार्ग यात्रा का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का समापन अरदास और गुरु का लंगर के साथ हुआ, जिसने इस दिन को श्रद्धा, चिंतन और एकता की भावना से ओतप्रोत बना दिया। प्रिंसिपल डॉ. जसविंदर सिंह ने भूपिंदर सिंह (इतिहास विभाग), डॉ. सुखजिंदर कौर (कन्वीनर, गुरमत विचार सभा और तुलनात्मक धर्म अध्ययन), डॉ. गुरप्रीत कौर (वोकल म्यूज़िक टीचर), अखिल आजाद (इंस्ट्रुमेंटल म्यूज़िक टीचर) तथा समस्त स्टाफ और विद्यार्थियों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह पहल विद्यार्थियों को सिक्ख गुरुओं की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने की प्रेरणा देती है।